हाईकोर्ट - नारायण राणे के बंगले के खिलाफ याचिका खारिज, जल्दबाजी में नहीं दी जा सकती पटाखा बेचने की अनुमति

High court - petition dismissed filed against Narayan Ranes bungalow
हाईकोर्ट - नारायण राणे के बंगले के खिलाफ याचिका खारिज, जल्दबाजी में नहीं दी जा सकती पटाखा बेचने की अनुमति
हाईकोर्ट - नारायण राणे के बंगले के खिलाफ याचिका खारिज, जल्दबाजी में नहीं दी जा सकती पटाखा बेचने की अनुमति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के मुंबई के जुहू स्थित बंगले ‘अधिश’ के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप भालेकर ने दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि बंगले के निर्माण से बड़े पैमाने पर ‘कोस्टरल रेग्यूलेशन जोन (सीआरजेड-2)’ से जुड़े नियमों का उल्लंघन हुआ है। नियमानुसार समुद्र तट से 50 मीटर के भीतर निर्माण कार्य की अनुमति नहीं है लेकिन बंगले के निर्माण के दौरान इस नियम की अनदेखी की गई है। इसलिए बंगले को गिराने का आदेश दिया जाए। याचिका में राणे के बंगले के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अलीबाग में सीआजेड के उल्लंघन के कारण समुद्र के किनारे बने अवैध बंगले के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश का हवाला दिया गया था। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदरा जोग व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने याचिका सुनवाई के लिए आयी। इस दौरान सरकारी वकील ने कहा कि अलीबाग का प्रकरण एक अलग विषय है। इसका मुंबई के बंगलों से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने याचिका को आधारहीन बताया। वहीं याचिकाकर्ता के वकील नितिन सातपुते ने दावा किया कि साल 2012 में राणे के जुहू स्थित बंगले का निर्माण कार्य को पूरा किया गया था। लेकिन इससे पहले मेरे मुवक्किल ने मुंबई महानगरपालिका के पास बंगले के निर्माण में सीआरजेड से जुड़े नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन होने के संबंध में शिकायत की थी लेकिन किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अलीबाग में सीअारजेड के उल्लंघन को लेकर अवैध बंगलों के खिलाफ कार्रवाई की गई है वैसे ही राणे के बंगले के खिलाफ कार्रवाई की जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया और उसे खारिज कर दिया। 
 

जल्दबाजी में नहीं दी जा सकती पटाखा बेचने की अनुमति

वहीं बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि पटाखा बेचने की अनुमति जल्दबाजी में नहीं दी जा सकती है। क्योंकि विस्फोटक सामाग्री होने के चलते पटाखे काफी ज्वलनशील होते है। यदि इनकी बिक्री में जरुरी सतर्कता व सावधानी नहीं बरती गई तो इससे सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा हो सकता है। यह बात कहते हुए हाईकोर्ट ने पटाखा बेचने के लिए एक दुकानदार को दुकान के इस्तेमाल में बदलाव करने की अनुमति से जुड़ी मंजूरी शीघ्रता से देने का आग्रह अस्वीकार कर दिया है। नई मुंबई निवासी सागर शिनगारे ने इस संबंध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि पटाखे बेचने का एक सीमित सीजन होता है और पटाखे खास तौर से दिवाली के दौरान बेचे जाते है। इसलिए मुझे अंशकालिक समय के लिए पटाखे बेचने के लिए अपने दुकान के इस्तेमाल के स्वरुप में बदलाव करने की अनुमति दी जाए। मैंने इस संबंध में सिडको के पास आवेदन भी किया है। लेकिन अब तक मेरे आवेदन पर कोई निर्णय नहीं किया गया है। न्यायमूर्ति अकिल कुरैशी व न्यायमूर्ति एसजे काथावाला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान पनवेल महानगरपालिका की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि जिस जगह याचिकाकर्ता की दुकान है उस जगह को सिडको ने लकड़ी के बजार(टिंबर मार्ट) के रुप में आरक्षित किया है। याचिकाकर्ता के ने पिछले साल भी पटाखे बेचने की अनुमति देने की मांग को लेकर महानगरपालिका के पास आवेदन किया था। जिसे मनपा ने खारिज कर दिया था। क्योंकि वहां पर काफी लकड़ी के समान बेचनेवाली दुकाने है।  मनपा के वकील ने दावा किया कि याचिकाकर्ता ने सिडको के उस निर्णय को चुनौती नहीं दी है जिसके तहत भूखंड को टिंबर मार्ट के रुप में आरक्षित किया गया। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि जमीन के इस्तेमाल के स्वरुप में बदलाव की मांग वैध लेकिन इस मांग पर जल्दबाजी में फैसला नहीं लिया जा सकता है। क्योंकि पटाखे काफी ज्वलनशील होते है और जिस जगह पर याचिकाकर्ता पटाखे बेचने की अनुमति मांग रहे है वहां पर ऐसी समाग्री रखी गई है जो जल्द ही आग पकड़ती है। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने सिडको को चार सप्ताह में याचिकाकर्ता के आवेदन में निर्णय लेने का निर्देश दिया। यदि सिडको याचिकाकर्ता के आवेदन को मंजूरी देता है तो महानगरपालिका भी याचिकाकर्ता के पटाखा बेचने के लाइसेंस को विषय में आठ सप्ताह में निर्णय ले। 

Created On :   17 Oct 2019 1:24 PM GMT

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