हाईकोर्ट : अदालत में मोबाइल-रिकार्डिंग उपकरण पर रोक बरकरार, फोरेंसिक विशेषज्ञ की उपस्थिति में ही हो पोस्टमार्टम

High Court : Prevention of Mobile-Recording Equipment in Court
हाईकोर्ट : अदालत में मोबाइल-रिकार्डिंग उपकरण पर रोक बरकरार, फोरेंसिक विशेषज्ञ की उपस्थिति में ही हो पोस्टमार्टम
हाईकोर्ट : अदालत में मोबाइल-रिकार्डिंग उपकरण पर रोक बरकरार, फोरेंसिक विशेषज्ञ की उपस्थिति में ही हो पोस्टमार्टम

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने मोबाइल फोन के साथ कोर्ट कक्ष के भीतर जाने पर लगाए गए प्रतिबंध को जनहित में मानते हुए इसके खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में मुख्य रुप से हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से 13 फरवरी 2017 को जारी की गई उस नोटिस को चुनौती दी गई थी। जिसके तहत कोर्ट में याचिका दायर करनेवाले व आम नागरिकों को अदालत कक्ष में मोबाइल फोन,कैमरा व आडियो-वीडियो रिकार्डिंग उपकरण ले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया था। याचिका में दावा किया गया था कि मोबाइल प्रतिबंध के संबंध में जारी की गई नोटिस से आम लोगों की परेशानी व असुविधा बढेगी। क्योंकि कोर्ट आनेवाल लोगों को कई बार अपने वकील व घरवालों से बात करनी होती है। ऐसे में यदि उसके पास मोबाइल फोन नहीं रहेगा तो वह कैसे अपने घरवालों से बात कर सकेगा। यहीं नहीं वकील भी अपने मुवक्किल से अपात स्थिति में फोन पर बात नहीं कर पाएगे। मोबाइल पर रोक लगाने के संबंध में जारी की गई नोटिस लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन है। इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जमादार की खंडपीठ के सामने याचिका पर सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि हमे कोर्ट कक्ष में मोबाइल के साथ आने पर रोक लगाने के संबंध में जारी की गई नोटिस में कोई खामी नजर नहीं आ रही है। क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कि कोर्ट आनेवाले पक्षकार अपना मोबाइल फोन बंद नहीं करते है। जिससे सुनवाई के दौरान ही फोन बजने लगता है। इससे काम में व्यवाधान पैदा होता है। इसके अलावा कई ऐसे मामले सामने आए जहां लोगों को अवैध रुप से न्यायालय की कार्यवाही की रिकार्डिंग करते हुए पकड़ा गया है। मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जनहित में है। इसलिए प्रतिबंध के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज किया जाता है। यह याचिका पेशे से वकील विनोद गंगवाल ने दायर की थी। याचिका में दावा किया गया था कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्राल जनरल की ओर से गडचिरोली के गोंडवाना विश्वविद्यालय के जमीन खरीदी में हुए घोटाले की जांच एक महीने के भीतर एसआईटी से कराई जाएगी। गुरुवार को विधान परिषद में प्रदेश के तकनीकी शिक्षा राज्य मंत्री रवींद्र वायकर ने यह जानकारी दी। वायकर ने कहा कि जांच के बाद दोषी लोगों के खिलाफ फौजदारी मामला दर्ज किया जाएगा।

फोरेंसिक विशेषज्ञ की उपस्थिति में हो शवो का पोस्टमार्टम

बांबे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह दो सप्ताह के भीतर राज्य के सभी अस्पतालों के फोरेंसिक विशेषज्ञों को एक परिपत्र जारी करे। परिपत्र में साफ किए जाए कि फोरेंसिक विशेषज्ञ की उपस्थिति में ही शवों का पोस्टमार्टम किया जाए। इसके साथ ही पोस्टमार्टम को लेकर एक रजिस्ट्रर रखा जाए। जिसमें पोस्टमार्टम के बाद फोरेंसिक विशेषज्ञ के हस्ताक्षर लिए जाए। फोरेंसिक विशेषज्ञ की अनुपस्थिति में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को पोस्टमार्टम कक्ष में रहने न दिया जाए। ऐसे कर्मचारी सिर्फ पोस्टमार्टम कक्ष की साफ-सफाई करे। मुख्य न्यायाधीश  प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने यह निर्देश पेशे से वकील आदिल खतरी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया। याचिका में दावा किया गया था कि मनपा व सरकारी अस्पतालों में सफाई कर्मचारी से पोस्टमार्टम करते है। महिला के शव का पोस्टमार्टम भी पुरुष डाक्टर व सफाई कर्मचारी करते हुए पाए गए है। इसलिए अदालत निर्देश दे की महिला के शव का पोस्ट मार्टम योग्य महिला डाक्टर की मौजूदगी मे ही किया जाए। इसके साथ ही सरकार को पर्याप्त संख्या में फोरेंसिक विशेषज्ञ की नियुक्ति करने का भी निर्देश दिया जाए। गुुरुवार को याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता शहजाद नकवी ने खंडपीठ के सामने कहा कि मनपा व सरकारी अस्पतालों में शवों के पोस्टमार्टम में बड़े पैमाने पर लापरवाही बरती जाती है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है। बगैर फोरेंसिक विशेषज्ञ के पोस्टमार्टम किया जाता है। इसलिए ऐसी व्यवस्था की जाए कि शवो का पोस्टमार्टम गरिमा के साथ किया जाए और इसे योग्य डाक्टर ही करे। इन दलीलों को सुनने व याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने सरकार को परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने राज्य सरकार व मुंबई मनपा को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई चार सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। 
 

Created On :   20 Jun 2019 3:28 PM GMT

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