डीजीपी को मिल रहे छोटे-छोटे सेवा विस्तार पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल 

High Court raising question on DGPs small service expansions
डीजीपी को मिल रहे छोटे-छोटे सेवा विस्तार पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल 
डीजीपी को मिल रहे छोटे-छोटे सेवा विस्तार पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दत्ता पडसलगीकर को छोटे अंतराल का सेवा विस्तार दिए जाने के फैसले पर सवाल उठाते हुए बांबे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को पडसलगीकर के सेवा विस्तार से जुड़े प्रस्ताव पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार पुलिस महानिदेशक को सेवा विस्तार देना है की नहीं इस बारे में कारण सहित निर्णय लें। अब तक राज्य के पुलिस महानिदेशक पडसलगीकर को तीन-तीन महीने का दो सेवा विस्तार दिया जा चुका है। जिसके तहत उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2019 को खत्म हो रहा है। लिहाजा राज्य सरकार ने फिर से केंद्र सरकार के पास सेवा विस्तार का प्रस्ताव भेजा है। सरकार चाहती है कि राज्य के पुलिस महानिदेशक को दो साल का कार्यकाल मिले। पडसलगीकर को 1 जुलाई 2018 को राज्य का डीडीपी बनाया गया था। 

अदालत ने कहा पडसलगीकर को लेकर चार सप्ताह में फैसला ले केंद्र सरकार
इस बात को जानने के बाद मुख्य जस्टिस नरेश पाटील व जस्टिस एनएम जामदार की बेंच ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को छोटा सेवा विस्तार दिए जाने पर सवाल उठाया। बेंच ने कहा कि डीजीपी जैसे वरिष्ठ पद व उससे जुड़ी जिम्मेदारी के तहत कार्य करने के लिए एक स्थिर कार्यकाल मिलना चाहिए। इतने छोटे सेवा विस्तार का क्या मतलब है? तीन महीने में कोई अधिकारी क्या करेगा? आपके (राज्य सरकार) के डीजीपी को यह पता ही नहीं है कि वह अगले महीने सेवा में रहेगा की नहीं? ऐसे में भला वह राज्य के लिए क्या योजना बनाएगा? प्रसंगवश बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए कहा कि वरिष्ठ अधिकारी को अपने पद पर कार्य करने के लिए कम से कम दो साल का कार्यकाल मिलना चाहिए। ताकि वह न सिर्फ निर्णय ले सके बल्कि उन्हें लागू भी कर सके। सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिकारियों को स्थिर कार्यकाल दिए जाने की बात कही है। 

कोर्ट का सवाल-सिर्फ तीन महीने में कोई अधिकारी क्या करेगा?
राज्य के पुलिस महानदेशक को सेवा विस्तार दिए जाने के निर्णय के खिलाफ पेशे से वकील आर आर त्रिपाठी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि सरकार ने नियमों के विपरीत जाकर पडसलगीकर को सेवा विस्तार दिया है। सरकार का सेवा विस्तार से जुड़ा निर्णय पक्षपातपूर्ण है। सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी व एडीशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने याचिका का विरोध किया।

कुंभकोणी ने कहा कि हम चाहते है कि राज्य के पुलिस महानिदेशक को नियमों के तहत दो साल का कार्यकाल मिले। इस पर बेंच ने केंद्र सरकार को राज्य सरकार की ओर से डीजीपी के सेवा विस्तार को लेकर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया। केंद्र सरकार की अपाइनमेंट पार्लेमेंट कमेटी को राज्य सरकार की ओर से सेवा विस्तार से जुड़े प्रस्ताव पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया।

 

Created On :   9 Jan 2019 2:19 PM GMT

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