पेनल्टी को लेकर हाईकोर्ट ने एसबीआई को लगाई फटकार

high court rebuke state bank of India for wrong penalty
पेनल्टी को लेकर हाईकोर्ट ने एसबीआई को लगाई फटकार
पेनल्टी को लेकर हाईकोर्ट ने एसबीआई को लगाई फटकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश की बैकिंग प्रणाली में ग्राहकों से विविध प्रकार के शुल्क के नाम पर की जा रही अवैध वसूली का मुद्दा बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में डॉ.अंजन चैटर्जी द्वारा दायर जनहित याचिका में उठाया गया है। याचिकाकर्ता ने  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के संरक्षण में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया पर अपने ग्राहकों से अनावश्यक और अतिरिक्त शुल्क वसूलने का आरोप लगाया है। याचिका में दावा किया गया है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का एनपीए 1 लाख 88 हजार 98 करोड़ रुपए हो गया है। इसकी प्रतिपूर्ति के लिए बैंक ने ग्राहकों से अनावश्यक पेनल्टी लेना शुरू कर दिया है। बैंक ने ग्राहकों से करीब 235 करोड़ रुपए वसूले हैं। मामले में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने आरबीआई को शपथ-पत्र प्रस्तुत कर यह बताने के लिए कहा है कि बैंक ग्राहकों से कितनी अधिकतम पेनाल्टी वसूल कर सकते हैं। मामले में एसबीआई की ओर से एड.अनिल कुमार ने पक्ष रखा। 

यह है मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार, बैंकिंग नियमों के तहत यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की जिम्मेदारी है कि वे सुनिश्चित करें कि बैंक किसी भी तरह से ऐसे फैसले न ले सके, जो ग्राहकों के लिए नुकसान वाले और खुद बैंक के लिए फायदे वाले साबित हों। लेकिन आरबीआई अपनी इस जिम्मेदारी को निभाने में लापरवाही बरत रहा है। उलट 1 जुलाई 2015 को आरबीआई ने नोटिफिकेशन जारी करके बैंकों को अपनी विविध सेवाओं के लिए सर्विस चार्ज तय करने के अधिकार दे डाले। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इसी का फायदा उठा कर अपना सर्विस चार्ज को इतना बढ़ा दिया कि इसके खाताधारकों की मुसीबत बढ़ गई। केवल खाते में मिनिमम बैलेंस न रखने पर एसबीआई ग्राहकों से 20 रुपए से लेकर 100 रुपए प्लस जीएसटी प्रतिमाह या एक माह में कई बार वसूलना शुरू कर दिया। ग्राहक का अपने बैंक लॉकर का साल में 13 बार से अधिक इस्तेमाल करने पर 100 रुपए प्लस जीएसटी लगाया जा रहा है। वहीं, चेक बाउंस की पैनल्टी भी बढ़ा कर 500 रुपए प्लस जीएसटी कर दी गई है। वहीं खाताधारकों को अपने बैंक में महीने में तीन बार से ज्यादा पैसे जमा करने पर अतिरिक्त फीस लेने का प्रावधान किया गया है। याचिकाकर्ता के अनुसार, यह रेट अनावश्यक और अवैध है। 
 

Created On :   31 Jan 2019 5:24 AM GMT

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