‘नई अंशदान निवृत्ती योजना’ पर हाई कोर्ट का स्टे, राज्य सरकार के कर्मचारियों को बंधी पुरानी पेंशन मिलने की आस

High court restraints on the recovery of the scheme, the chances of getting old pension tied to teachers and other personnel
‘नई अंशदान निवृत्ती योजना’ पर हाई कोर्ट का स्टे, राज्य सरकार के कर्मचारियों को बंधी पुरानी पेंशन मिलने की आस
‘नई अंशदान निवृत्ती योजना’ पर हाई कोर्ट का स्टे, राज्य सरकार के कर्मचारियों को बंधी पुरानी पेंशन मिलने की आस

डिजिटल डेस्क, औरंगाबाद। राज्य सरकार की सेवा में 1 नवंबर 2005 को और उसके बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों के लिए  ‘नई अंशदान निवृत्ती योजना’ लागू करने संबंधी 31 अक्टूबर 2005 को महाराष्ट्र सरकार के निर्णय को, बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच में चुनौती दी गई। जस्टिस शंतनू केमकर और जस्टिस एनडब्लू सांबरे की बेंच ने अंशदान निवृत्ती वेतन योजना की वसूली पर स्थगन दिया।  

नई अंशदान योजना में कर्मचारियों की 10% और राज्य सरकार की 10% नई पेन्शन योजना देने की नीति लाई गई। योजना के अनुसार कर्मचारियों के सेवाकाल में हर माह निवृत्तीवेतन योजना के लिए 10% वेतन कटौती कर, उतना ही हिस्सा राज्य सरकार की ओर से कर्मचारियों के नाम से निवेश होता था। कर्मचारी निवृत्त होने के बाद वह 40% राशि एक बीमा योजना में निवेश करने का आदेश सरकार ने दिया। इसके विरोध में कर्मचारियों ने दायर की याचिका में कहा गया कि नई अंशदान निवृत्ती योजना से कर्मचारियों की स्वतंत्रता छीनकर, उन पर कड़ी शर्तें लगाकर अकेला गिराने का काम सरकार ने किया। 31 अक्टूबर 2005 का शासन का निर्णय, कर्मचारियों को भविष्य में किसी प्रकार का संरक्षण, सुरक्षा नहीं देते, उनके मूलभूत अधिकार पर बंधन लाने का काम करने वाला है, यह कोर्ट के निदर्शन में लाकर दिया। नई योजना के कारण कर्मचारियों को मामूली राशि मिलेगी। इस योजना के अनुसार कर्मचारी दुर्घटना में मारा गया तो उसके परिवार को किसी प्रकार की सुरक्षा और लाभ नहीं मिलने से योजना केवल सरकार के हित की है, यह सुनवाई के दौरान कोर्ट के निदर्शन में लाकर दिया गया।इस कारण अंशदान निवृत्तीवेतन योजना के अंमल पर स्थगन देने की विनती कर, पुरानी पेन्शन योजना शुरु करने की विनती की गई। सुनवाई के अंत में बेंच ने कर्मचारियों के वेतन से दो-दो किश्त वसूल करने पर स्थगन दिया। 

Created On :   19 Aug 2017 5:41 PM GMT

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