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हाईकोर्ट ने कहा- ट्रैफिक पुलिस की छवि सुधारने की जरूरत
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रैफिक पुलिस विभाग के कांस्टेबल की छवि सुधराने पर जोर दिया जाए। ताकि उसके आदेशों का अधिक से अधिक सम्मान मिल सके। न्यायमूर्ति नरेश पाटील और न्यायमूर्ति नितिन सांब्रे की खंडपीठ ने कहा कि अक्सर देखा गया है कि नियमों के उल्लंघन पर ट्राफिक पुलिस कांस्टेबल वाहन चालकों को रोकता है पर वाहन चालक उसकी बातों पर ध्यान नहीं देते है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। इसलिए ट्राफिक पुलिस महकमा ट्राफिक पुलिस कांस्टेबल की छवि को इतना सशक्त बनाए कि लोग उससे बहस करने की बजाय उसकी बातों का सम्मान करें।
सभी जरुरी उपकरणों से करें लैस
खंडपीठ ने उपरोक्त सुझाव देते हुए कहा कि ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल को कैमरा,वाहन सहित अन्य सभी जरुरी उपकरणों से लैस किया जाना चाहिए। इसके साथ ही जरुरत पड़ने पर उन्हें स्थानीय पुलिस से भी सहोयग उपलब्ध कराया जाना चाहिए। पर इससे पहले पुलिस कांस्टेबल को अपनी छवि सुधारनी चाहिए ताकि लोग उनसे अनावश्यक बहस न करे और सिर्फ उसके आदेशों का पालन करे। ट्रैफिक पुलिस विभाग में जारी भ्रष्टाचार को आधार बनाकर कांस्टेबल सुनील टोके ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इस पर खंडपीठ के सामने सुनवाई चल रही है।
कैशलेस ई-चालान सिस्टम की शुरुआत की
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने दावा किया कि उन्होंने टोके के आरोपों की जांच की है, लेकिन वे बिल्कुल भी प्रमाणिक नहीं है। ट्रैफिक पुलिस विभाग पारदर्शिता से काम करने के लिए प्रतिबध्द है। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक पुलिस में घूसखोरी को रोकने के लिए विभाग ने कैशलेस ई-चालान सिस्टम की शुरुआत की है। इसके साथ ही विभाग भ्रष्टाचार की शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है। अगस्त 2017 से 20 दिसंबर के बीच हमे लोगों से भ्रष्टाचार की 109 शिकायतें मिली है। इसमें 12 शिकायतें गलत पाई गई है। शेष शिकायतों का उचित निराकरण किया गया है। हाईकोर्ट ने फिलहाल मामले की सुनवाई 19 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया है।
Created On :   21 Dec 2017 3:49 PM GMT