हाईकोर्ट : बांझ, मोटी, काली कहना क्रूरता नहीं, ससुराल वालों के खिलाफ मामला रद्द

High court say infertile fat black is not cruel case against in laws canceled
हाईकोर्ट : बांझ, मोटी, काली कहना क्रूरता नहीं, ससुराल वालों के खिलाफ मामला रद्द
हाईकोर्ट : बांझ, मोटी, काली कहना क्रूरता नहीं, ससुराल वालों के खिलाफ मामला रद्द

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बाझ, मोटी व काली कहकर ताने मारने को आम आरोप मानते हुए इसे भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए के तहत क्रूरता मानने से इंकार कर दिया है। इसके साथ ही शिकायतकर्ता के देवर-देवरानी व ननद के खिलाफ ताने मारने को लेकर इस धारा के तहत दर्ज आपराधिक मामले को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति एनजे जमादार की खंडपीठ ने कहा कि यह आम धारणा है कि वैवाहिक विवाद होने की स्थिति में पत्नी अपने पति के सभी रिश्तेदारों के खिलाफ आरोप लगाकर आपराधिक मामले दर्ज कराती है। उसके रिश्तेदार उस अपराध में शामिल हो या नहीं लेकिन उन्हें अपराध में शामिल बता दिया जाता है। जीवन में उतार चढाव, मतभेद व सामान्य झगड़ों का हर घर गवाह बनता है, ऐसे में आम आरोपों को अपराध मानना सिर्फ कानून प्रक्रिया का दुरुपयोग माना जाएगा। 

मामला महानगर के जुहू इलाके में रहनेवाली गीता लोहिया (परिवर्तित नाम) से जुड़ा है। वैवाहिक कलह के चलते पैदा हुए विवाद के बाद गीता ने अपने पति, सास, ननद व देवर-देवरानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए, 354, 377, 406 व 34 के तहत मामला दर्ज कराया था। शिकायत में दावा किया गया था कि उसके पति के घरवाले उसे बाझ, काली व मोटी कहकर ताने मारते थे। इन तानों से तंग आकार उसे मां बनने के लिए कई बार आईवीएफ पद्धति से पीड़ादायी उपचार कराना पड़ा। साथ ही उसके पति के घरवाले उससे अक्सर गहने व कपड़े मांगते थे। मेरे पति ने मेरे पिता से घर की मरम्मत के लिए एक करोड़ रुपए लिए थे। इसके साथ ही शादी में मेरे पिता ने सात करोड़ रुपए खर्च किए थे। 

इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने शिकायतकर्ता के पति, ननद, देवर-देवरानी के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जिसे रद्द करने की मांग को लेकर शिकायतकर्ता की ननद व देवर-देवरानी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान याचिकार्ता के वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल शिकायतकर्ता के साथ कभी नहीं रहे वे अक्सर त्यौहारों के दौरान उनके घर जाते थे। जहां तक बात ताने मारने की है तो यह ताने 498ए के तहत क्रूरता की परिभाषा के दायरे में नहीं आते। मेरे मुवक्किलों को इस मामले में फंसाया गया है। इसलिए मेरे मुवक्किल के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले रद्द कर दिया जाए। क्योंकि मेरे मुवक्किल के खिलाफ मुकदमा जारी रखना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा। 

 शिकायतकर्ता के वकील ने आरोपी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने का विरोध किया। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि सिर्फ पैसों की मांग 498ए के तहत अपराध के दायरे में नहीं आती। जहां तक बात आरोपियों के ताने मारने की है तो यह आम आरोप है। इस मामले में इन तानों के चलते पीड़िता को न तो कोई चोट लगी है और न ही आत्मघाती कदम उठाया है। इसके अलावा मामले से जुड़े आरोपी शिकायतकर्ता से दूर रहते थे। मामले से जुड़े सभी पहलूओं पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने इन तीनों आरोपियों के खिलाफ मामले को रद्द कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि प्रकरण से जुड़े दूसरे आरोपियों के खिलाफ मामला नहीं रद्द किया है। खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में हमारी टिप्पणी सिर्फ इस मामले तक ही सीमित रहेगी। यह अन्य मामले में नहीं लागू होगी।

Created On :   24 Aug 2019 1:19 PM GMT

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