हाईकोर्ट : पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त के आवेदन पर जवाब तलब, बैंक को स्थानीय निकाय से अग्नि सुरक्षा की मंजूरी लेने की जरुरत नहीं

High Court : seek answer on application of former Mumbai Police Commissioner
हाईकोर्ट : पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त के आवेदन पर जवाब तलब, बैंक को स्थानीय निकाय से अग्नि सुरक्षा की मंजूरी लेने की जरुरत नहीं
हाईकोर्ट : पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त के आवेदन पर जवाब तलब, बैंक को स्थानीय निकाय से अग्नि सुरक्षा की मंजूरी लेने की जरुरत नहीं

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सेवानिवृत्त मुंबई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया ने बांबे हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर कर मांग की है कि उन्हे उस याचिका में प्रतिवादी बनाया जाए, जिसमे राज्य सरकार ने मुंबई के 26-11 आतंकी हमले को लेकर राज्य सूचना आयोग के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। बुधवार को न्यायमूर्ति एसएस सैय्यद की खंडपीठ ने मारिया के आवेदन पर गौर करने के बाद राज्य सूचना आयोग को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। मारिया ने अपने आवेदन में कहा है कि सेवानिवृत्ति के बाद मैं सरकारी अधिकारी नहीं रह गया हूं। इसलिए मुझे याचिका में प्रतिवादी बनाया जाए। ताकि मैं अपने वकील के माध्यम से अपना पक्ष रख सकू। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मुख्य रुप से जुलाई 2014 में तत्कालीन राज्य सूचना आयुक्त रत्नाकर गायकवाड की ओर से दिए आदेश को चुनौती दी है। इस आदेश में श्री गायकवाड ने सरकार को  सेवारत अथवा सेवानिवृत्त न्यायाधीश से वरिष्ठ अधिकारी मारिया की जांच कराने का निर्देश दिया था। जांच में मुख्य रुप से यह देखा जाए कि 26-11 आतंकी हमले में शहीद हुए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अशोक कामटे की पत्नी को गुमराह करनेवाली जानकारी क्यों प्रदान की गई है। वीनिता ने 26 नवंबर 2008 को हुए आंतकी हमले के दिन के कॉल डेटा रिकार्ड पुलिस कंट्रोल रुम से मांगा था। वर्ष 2008 में मारिया मुंबई पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त थे और उन्होंने इस मामले की जांच की थी। 26 नवंबर 2008 को मारिया पुलिस कंट्रोल रुम को नियंत्रित कर रहे थे। वीनिता के मुताबिक उन्हें पुलिस ने सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी दी है उसमे काफी गड़बडी है क्योंकि पुलिस ने कोर्ट में जो कॉल डेटा रिकार्ड 26-11 आतंकी हमले के मुकदमे की सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश किया है वह उन्हें दिए गए कॉल डेटा रिकार्ड से अलग है। सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य सूचना आयोग के पास  सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने का आदेश देने का अधिकार ही नहीं है। सूचना आयोग सिर्फ जानकारी न देने के लिए किसी अधिकारी को जिम्मेदार ठहरा सकता है अथवा उस पर जुर्माना लगा सकता है।

बैंक को स्थानीय निकाय से अग्नि सुरक्षा से जुड़ी मंजूरी लेने की जरुरत नहीं-हाईकोर्ट

बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में साफ किया है कि यदि बैंक किसी इमारत अथाव किराए की जगह में अपनी शाखा खोलता है तो इसके लिए उसे स्थानीय निकाय के फायर ब्रिगेड विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेने की जरुरत नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो बैंक को स्थानीय निकाय से अग्नि सुरक्षा के संबंध में मंजूरी लेने के लिए कहे। यह इमारत का निर्माण करनेवाले मालिक की जिम्मेदारी है कि वह पूरी इमारत के लिए अग्नि सुरक्षा के संबंध में स्थानीय निकाय से मंजूरी ले। हाईकोर्ट ने यह बात सामाजिक कार्यकर्ता सपन श्रीवास्तव की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए दिए गए आदेश में है। याचिका में मांग की गई थी कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया(आरबीआई) को बैंकिंग रेग्युलेशन कानून 1949 की धारा 23 को लागू करने का निर्देश दिया जाए। याचिका में आग्रह किया गया था कि आरबीआई की ओर से जारी उस दिशा-निर्देश को भी अमल में लाने के लिए कहा जाए जिसमे कहा गया है कि यदि बैंक किसी स्थानीय निकाय अथवा महानगरपालिका के क्षेत्र में अपनी शाखा व एटीएम खोलता है तो उसे स्थानीय निकाय से  अग्नि सुरक्षा से जुड़ी मंजूरी ले।  याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा था कि उसने सूचना के अधिकार के तहत एक स्थानीय निकाय से जानकारी मांगी थी कि कितने बैंको ने उससे अग्नि सुरक्षा को लेकर मंजूरी ली है। जवाब मिला किसी बैंक ने अग्नि सुरक्षा के संबंध में उससे मंजूरी नहीं ली है। याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांदराजोग व न्यायमूर्ति एनएम जामदार की खंडपीठ ने कहा कि आरटीआई से मिले जवाब में यह नहीं कहा गया है कि बैंको को स्थानीय निकाय से अग्नि सुरक्षा के संबंध में अग्निसुरक्षा से जुड़ी अनापत्ति प्रमाणपत्र लेनी  ही पड़ेगी। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के दावे को अस्वीकार करते हुए कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो बैंक को स्थानीय निकाय से अग्नि सुरक्षा के लिए मंजूरी लेने के लिए कहता हो। यदि किसी इमारत में बैंक की शाखा खुली है तो यह इमारत के मालिक की जिम्मेदारी है कि बिल्डिंग का परीक्षण करवाने के बाद स्थानीय निकाय से अग्नि सुरक्षा को लेकर मंजूरी हासिल करे। यह कहते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। 
 

Created On :   17 July 2019 4:21 PM GMT

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