अयोध्या के हर टीले में मिलेगा बुद्ध विहार- व्याख्यान में रखे विचार

Holy place of Ayodhya for the Buddhist society say bhaiyyaji khairkar
अयोध्या के हर टीले में मिलेगा बुद्ध विहार- व्याख्यान में रखे विचार
अयोध्या के हर टीले में मिलेगा बुद्ध विहार- व्याख्यान में रखे विचार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अयोध्या बौद्ध समाज का पवित्र स्थल रहा है। आज बौद्धों के हाथ से छीन लिया गया। आगे चलकर दीक्षाभूमि भी छीन ली जाएगी। आयोध्या में मिट्टी के टीलों को खोदकर देखो। हर टीले में बुद्ध विहार मिलेंगे। "अयोध्या किसकी : राम, बाबर या बौद्ध की" विषय पर आयोजित व्याख्यान में भैयाजी खैरकर ने यह बयान दिया। ऊंटखाना स्थित अजंता हॉल में कार्यक्रम आयोजित किया गया।

बौद्ध विहार तोड़कर मंदिर बनाया  
खैरकर ने कहा कि अयोध्या हिंदुओं की आस्था का प्रश्न नहीं है। इस स्थल से मुस्लिमों की भी भावनाएं जुड़ी हैं। यह बौद्ध समाज का पवित्र स्थल रहा है। मंदिर बनने से पहले वहां बौद्ध विहार था। उसे तोड़कर मंदिर बनाया गया। इतिहास इस बात का गवाह है। समाज को यह बात बताने के लिए नागपुर से लड़ाई शुरू हुई है। भारत के कोने-कोने तक यह संदेश पहुंचाया जाएगा। इस मसले पर कोर्ट में कानूनी लड़ाई चल रही है। हिंदू, मुस्लिमों के साथ ही बौद्ध समाज के दावे पर भी विचार होगा। सरकार को इस विषय पर एकतरफा निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। सरकार हिंदुओं की नहीं, हमारी भी सरकार है। यदि सरकार एकतरफा निर्णय लेती है, तो पहले यह घोषणा करनी होगी की हिंदुओं की है या राम मंदिर की सरकार है। बहुमत का मतलब यह कदापि नहीं है कि हमारे साथ अन्याय करने का अधिकार है।

अयोध्या यानी साकेत नगरी
अयोध्या से पधारे एड. मिलिंद मौर्य ने कहा कि अयोध्या का विवादित स्थल बौद्धों की पवित्र भूमि रही है। इस संबंध में उच्चतम न्यायालय ने उनकी याचिका 6 मार्च 2018 को स्वीकृत की है। ऐतिहासिक तत्थ्यों के हवाले से उन्होंने बताया कि अयोध्या यानी साकेत नगरी है। 84 हजार शिलालेख, अवशेषों में इसका उल्लेख है, जिसे नकारा नहीं जा सकता। मंदिर, मस्जिद को लेकर विवाद होने पर अदालत के आदेश पर जापान की एक कंपनी द्वारा विवादित स्थल की खुदाई की गई। इसकी पुरातत्व विभाग को सौंपी गई रिपोर्ट में कुछ अवशेष मिलने का उल्लेख है।

अदालत में रिपोर्ट पेश होने के बाद पुरातत्व विभाग से 150 स्थलों की खुदाई करने के आदेश दिए गए। इसमें से सिर्फ 50 स्थलों पर गड्ढे खोदे गए। खुदाई में सातवाहन संस्कृति से मेल खाते मंदिर के अवशेष मिले हैं। हालांकि रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि अवशेष किस मंदिर के हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई। न्यायालय ने याचिका स्वीकृत कर सुनवाई के लिए न्यायालय की उसी बेंच के सुपुर्द की जहां अयोध्या के विवादित जमीन को लेकर हिंदू, मुस्लिमों की सुनवाई चल रही है। एड. मौर्य स्वयं उच्चतम न्यायालय में बौद्ध समाज की ओर से न्यायालयीन लड़ाई लड़ रहे हैं।

Created On :   26 Nov 2018 8:35 AM GMT

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