हरियाणा में भाजपा कैसे जाएगी 75 पार, प्रदेश उपाध्यक्ष बोले-विपक्ष है साफ

How BJP will cross 75 in Haryana, state vice president said - opposition is clear
हरियाणा में भाजपा कैसे जाएगी 75 पार, प्रदेश उपाध्यक्ष बोले-विपक्ष है साफ
हरियाणा में भाजपा कैसे जाएगी 75 पार, प्रदेश उपाध्यक्ष बोले-विपक्ष है साफ

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। हरियाणा में भाजपा को लगता है कि वह विधानसभा चुनाव में 75 प्लस सीटों के नारे को हकीकत बना सकती है। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में 33.2 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 47 सीटें जीतने वाली भाजपा के नेता चुनावी रैलियों में 75 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं।

75 पार के नारे में कितना दम? पूछने पर भाजपा के नेता, एक तरफ मनोहर लाल खट्टर सरकार के कार्यो को वजह बता रहे हैं, तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों के बिखराव में भी सीटों का फायदा देख रहे हैं।

हरियाणा में भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद यादव का मानना है कि 2014 के मुकाबले अब हालात ज्यादा अनुकूल हैं। पहले हुड्डा की कांग्रेस सरकार से भाजपा को सत्ता छीननी पड़ी थी, मगर अब तो भाजपा पांच साल के काम का लेखा-जोखा लेकर चुनाव मैदान में उतरी है।

यादव ने आईएएनएस से कहा, सूबे में विपक्ष साफ है। एक तरफ चौटाला साहब का परिवार है, जो दो-दो पार्टियां लेकर घूम रहा है। पार्टी (इनेलो) में इस कदर फूट है कि दादा को पोते को ही पार्टी से बाहर करना पड़ा, दूसरी तरफ कांग्रेस है, जिसमें छह साल प्रदेश अध्यक्ष रहे व्यक्ति (अशोक तंवर) को ही पार्टी छोड़नी पड़ी है।

उन्होंने आगे यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ विपक्ष के कमजोर होने से ही भाजपा 75 सीटें जीतने का ख्वाब नहीं देख रही है। इसके पीछे कई वजहें हैं। मसलन, खट्टर सरकार में नौकरियों की दलाली नहीं हुई। मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के दाग नहीं लगे, 358 से ज्यादा सुविधाओं को अटल सेवा केंद्रों के जरिए ऑनलाइन कर दिया गया, जिससे बिचौलियों की समस्या खत्म हुई।

यादव ने कहा, सीएम खट्टर ने ट्रांसफर-पोस्टिंग के नाम पर धंधा नहीं चलने दिया। सभी तरह के टेंडर ऑनलाइन हुए। योजनाओं की धनराशि लाभार्थियों के खाते में सीधे भेजी गई। हालांकि विपक्षी कांग्रेस के नेता भाजपा के इस दावे को सच से परे बताते हैं।

हरियाणा में क्या है विपक्ष का हाल?

चुनावी मौसम में विपक्षी दलों के नेताओं के बीच मची अंतर्कलह को भाजपा अपने लिए मुफीद मान रही है। कांग्रेस की बात करें तो प्रदेश संगठन में मची रार के चलते पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर पार्टी छोड़ चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मची रार जब लाख कोशिशों के बाद भी नहीं सुलझी तो पार्टी ने छह साल से संगठन देख रहे तंवर को हटाकर कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी। लड़ाई में हुड्डा के भारी पड़ने पर अब अशोक तंवर पार्टी में टिकट बिकने का आरोप लगाकर पार्टी छोड़ चुके हैं।

उधर, ओम प्रकाश चौटाला की पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) पिछले साल ही टूट चुकी है। उनके बड़े बेटे अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत और दिग्विजय पिछले साल दिसंबर में ही से जनता जननायक पार्टी (जेजेपी) बना चुके हैं। चौटाला परिवार में पड़ी इस फूट पर पार्टी के दो खंड होने से हरियाणा की राजनीति में इनेलो कमजोर हुई है।

पार्टी सूत्र बताते हैं कि शिक्षक भर्ती घोटाले में ओम प्रकाश चौटाला के जेल जाने के बाद से पार्टी की स्थिति खराब होने लगी। ओम प्रकाश के बड़े बेटे अजय के भी शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल चले जाने के बाद पार्टी छोटे बेटे अभय चलाने लगे।

मगर, साल 2014 में जब अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला हिसार से सांसद बने तो वह पार्टी में वर्चस्व बढ़ाने में जुट गए। इससे पार्टी चला रहे अभय चौटाला से उनका टकराव होने लगा। रार बढ़ने पर ओम प्रकाश चौटाला ने पिछले साल नवंबर में दोनों भाइयों दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से निकाल दिया था। इसके बाद दिसंबर, 2018 में दुष्यंत और दिग्विजय ने जेजेपी का गठन किया।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अगर चौटाला परिवार एकजुट होता तो इस विधानसभा चुनाव में वह कुछ गुल खिला सकता था।

भाजपा में भी अंतर्कलह :

चुनावी सीजन में सत्ताधारी भाजपा में भी अंतर्कलह सामने आ चुकी है। टिकट वितरण से कई दावेदारों को निराशा हाथ लगी। गुरुग्राम विधायक उमेश अग्रवाल सहित कई मौजूदा विधायकों के टिकट पार्टी ने काट दिए। कुछ को वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी के कारण टिकट गंवाना पड़ा तो कुछ को खराब प्रदर्शन के कारण।

उमेश अग्रवाल ने तो ट्वीट कर टिकट वितरण को लेकर अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की।

सूत्र बताते हैं कि नेताओं की नाराजगी के कारण कुछ सीटों पर भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

 

Created On :   8 Oct 2019 4:30 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story