कॉर्पोरेट टैक्स कटौती से इकोनॉमी पर क्या होगा असर? क्यों बढ़ा शेयर बाजार.. पढ़िए रिपोर्ट

How the latest corporate tax rate cut impacts the economy
कॉर्पोरेट टैक्स कटौती से इकोनॉमी पर क्या होगा असर? क्यों बढ़ा शेयर बाजार.. पढ़िए रिपोर्ट
कॉर्पोरेट टैक्स कटौती से इकोनॉमी पर क्या होगा असर? क्यों बढ़ा शेयर बाजार.. पढ़िए रिपोर्ट
हाईलाइट
  • 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स करीब 1921 पॉइंट चढ़ गया
  • इस खबर के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखी गई
  • सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स दरों में कटौती कर इंडियन इकोनॉमी को बूस्टर डोज दिया

डिजिटल डेस्क, मुंबई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कॉर्पोरेट टैक्स दरों में कटौती कर इंडियन इकोनॉमी को बूस्टर डोज दिया। इस खबर के बाद शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखी गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक सेंसेक्स करीब 1921 पॉइंट और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के 50 शेयर पर आधारित सूचकांक निफ्टी 570 पॉइंट की तेजी के साथ बंद हुआ। आखिर कॉर्पोरेट टैक्स घटाने का इकोनॉमी पर क्या असर होगा? शेयर बाजार में क्या है तेजी का कारण पढ़िए इस रिपोर्ट में:

वित्त मंत्री ने क्या किया ऐलान?
सरकार ने घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर को मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत (सेस और सरचार्ज को मिलाकर) कर दिया। इतना ही नहीं नई घरेलू कंपनी जिसका गठन 01 अक्‍टूबर, 2019 को या इसके बाद होगा और 31 मार्च, 2023 से पहले अपना परिचालन शुरू करती है, तो उन्हें 15 प्रतिशत की दर से इनकम टैक्‍स भुगतान करने का विकल्‍प मिलेगा। सेस और सरचार्ज को मिलाकर नई कंपनियों के लिए प्रभावी इनकम टैक्‍स दर 17.01 प्रतिशत होगी। वर्तमान में नई कंपनियों के लिए टैक्‍स की दर 25 प्रतिशत है और प्रभावी दर 29.12 प्रतिशत है। इसे 1 अप्रैल 2019 से प्रभावी माना जाएगा। सरकार ने अध्यादेश के आयकर कानून में बदलाव किया है।

कॉर्पोरेट टैक्स कटौती का मकसद क्या है?
सरकार चाहती है कि कॉर्पोरेट टैक्स को कम कर प्राइवेट सेक्टर के निवेश को बढ़ावा दिया जाए। इंडियन इकोनॉमी की मंदी का दोष प्राइवेट कंपनियों के निवेश में गिरावट को दिया जा रहा था। ग्रोथ में योगदान देने वाले दो अन्य फैक्टर - सरकारी व्यय (जहां राजकोषीय घाटा दबाव में है) और निर्यात (जो स्थिर रहे हैं) है। कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से प्राइवेट सेक्टर में इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा। यह एक लॉन्ग टर्म उपाय है जो मौजूदा और नए व्यवसायों को निवेश करने और उत्पादन बढ़ाने के लिए और अधिक आकर्षक बना देगा, जो बदले में रोजगार पैदा करेगा।

कंपनियों को कॉर्पोरेट टैक्स घटने से कितना फायदा होगा?

पहले अब मुनाफे में बढ़ोतरी
मुनाफा : 100 करोड़ रुपए मुनाफा : 100 करोड़ रुपए  
टैक्स : 34.94 करोड़ रुपए     टैक्स : 25.17 करोड़ रुपए  
टैक्स के बाद मुनाफा : 65.06 करोड़ टैक्स के बाद मुनाफा : 74.83 करोड़ रुपए 15%

क्या अब जीएसटी दरों में कटौती नहीं होगी?
घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर में कटौती के बाद यह संभावना काफी बढ़ गई है कि जीएसटी काउंसिल जीएसटी दरों में बड़े पैमाने पर कटौती नहीं कर सकती है। ऐसा इसीलिए क्योंकि केंद्र और राज्य स्तर पर सरकार के बजट को जीएसटी दर में कोई कटौती बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है। पहले से ही राजस्व संग्रह को लेकर जूझ रही सरकार इस समय ऐसा कोई कदम उठाने की हालत में कतई नहीं दिख रही है।

क्या सरकार को GST या IT में कटौती करनी थी?
सरकार ने 1.5 लाख करोड़ रुपये की राहत वाली महत्वपूर्ण टैक्स रियायतों का ऐलान किया है। हालांकि अगर सरकार जीएसटी या इनकम टैक्स की दरों में कटौती करती तो ये इकोनॉमी को तुरंत और ज्यादा बूस्ट देता। इसका सीधा फायदा कंज्यूमर्स को मिलता। इससे कंज्यूमर्स के पास ज्यादा खर्च करने के लिए डिस्पोजेबल इनकम आ जाती। ज्यादा खपत का फायदा व्यापार में मिलता।

तो सरकार ने इनकम टैक्स या जीएसटी में कटौती क्यों नहीं की?
इनकम टैक्स या जीएसटी रेट में कटौती नहीं करने के कम से कम दो संभावित कारण हैं। पहला सरकार का इकोनॉमी का डाइग्नोसिस कि इकोनॉमी में क्या गलत हो रहा है? जैसा कि हमने आरबीआई के भीतर चर्चाओं में देखा है, कुछ का मानना ​​है कि इन्वेस्टमेंट डिमांड इकोनॉमी को ट्रैक पर लाने के लिए महत्वपूर्ण है। हो सकता है सरकार का भी यही मानना ​​हो, इसीलिए कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में कटौती को सरकार ने वरीयता दी।

दूसरा कारण कम सैद्धांतिक और ज्यादा व्यावहारिक है। आयकर में कटौती केवल उन लोगों को प्रभावित करती है जो आयकर का भुगतान करते हैं। लेकिन इकोनॉमी में इनकी संख्या ज्यादा नहीं है। इसीलिए इनकम टैक्स की दरों में कटौती का प्रभाव उसी तक सीमित है। जबकि अगर सरकार जीएसटी की दरों में कटौती करती तो ये उसके लिए आसान नहीं होता। 

अंत में, यह तर्क दिया जा सकता है कि कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का इकोनॉमी पर तत्काल प्रभाव इनकम टैक्स या जीएसटी दर की कटौती के तत्काल प्रभाव से कम है, फिर भी इसका लॉन्ग टर्म प्रभाव निश्चित रूप से अधिक है। निवेश के निर्णय ज्यादातर लॉन्ग टर्म होते हैं और कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से भारतीय अर्थव्यवस्था में कारोबार करने के लिए यह सस्ता और अधिक लाभदायक होगा।

शेयर बाजार में क्यों आई इतनी तेजी?
इस साल बजट में केंद्र सरकार की ओर से शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लगाने का ऐलान किया गया था, लेकिन अब इस फैसले को वापस ले लिया गया है। जिन कंपनियों ने 5 जुलाई से पहले शेयर बायबैक की घोषणा की थी। उन पर भी टैक्स नहीं लगेगा। इसका असर ये हुआ कि कारोबार के दौरान 2284 अंक चढ़ा। हालांकि, क्लोजिंग 1921 प्वाइंट की बढ़त के साथ हुई।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि सरकार के ये कदम आने वाली तिमाहियों में इकोनॉमिक आउटलुक को रिवाइव करने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा, "विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के पास अब भारत वापस आने का एक अच्छा कारण है और यह प्रगतिशील कदम खपत को प्रोत्साहित करेगा और कैपेक्स साइकल को इगनाइट करेगा। इसके अलावा, कंपनियों को ग्राहकों को लाभ देना आसान हो जाएगा जिससे अर्निंग्स में सुधार होगा।" इसी वजह से शेयर बाजार में इतनी ज्यादा तेजी आई है।

 

Created On :   20 Sep 2019 11:40 AM GMT

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