प्रभारियों के भरोसे सहकारिता विभाग, कैसे मिलेगा कृषकों व गरीबों को लाभ ?

How will farmers and poor get benefits from cooperative society
प्रभारियों के भरोसे सहकारिता विभाग, कैसे मिलेगा कृषकों व गरीबों को लाभ ?
प्रभारियों के भरोसे सहकारिता विभाग, कैसे मिलेगा कृषकों व गरीबों को लाभ ?

डिजिटल डेस्क नरसिंहपुर । सरकार सहकारिता के माध्यम से भले ही लोक लुभावनी योजनाएं क्रियान्वित कर रही हो, परंतु हकीकत में इनका लाभ पात्र कृषकों तक पहुंचाने में कर्मचारियों की कमी रोड़े अटका रही है। जिले में आलम यह है कि 104 पैक्स समितियों के संचालन के लिए महज 20 समिति प्रबंधक है, जिनके पास दो तीन और चार समितियों के भी प्रभार है। लगातार ऐसी ही स्थिति उचित मूल्य दुकानों में सेल्समेन के अभाव से बनी हुई है।
उल्लेखनीय है कि शासन सोसायटियों के जरिए शून्य प्रतिशत ब्याज पर अल्पकालीन फसल ऋण, कृषकों को खाद बीज की आपूर्ति, फसल बीमा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली का क्रियान्वयन करती है। यह सारी योजनाएं सीधे किसानों तथा ग्रामीण अंचलों के गरीब तबके से जुड़ी है।
योजना क्रियान्वयन पर प्रभाव
कर्मचारियों की कभी के कारण योजना क्रियान्वयन पर प्रभाव पड़ रहा है। मसलन यही समिति प्रबंधक अपने प्रभार की एक समिति में मौजूद है तो उसके प्रभार की अन्य समितियों में उसके न रहने से काम प्रभावित होता है। इसी प्रकार उचित मूल्य दुकान संचालन करने वाले सेल्समेन भी दो या तीन दुकानों के प्रभार में है, जिससे उचित मूल्य दुकानें रोजाना न खुलकर सप्ताह में दो-तीन दिन ही खुल पाती है।
अनियमितताओं की भी संभावना
एक से ज्यादा समितियों तथाउचित मूल्य दुकानों के प्रभार एक कर्मचारी पर होने से अनियमितताओं की संभावना भी प्रबल होती है। संबंधित कर्मचारियों के नियमित रूप से समिति अथवा उचित मूल्य दुकान न पहुंच पाने से पर्यवेक्षण में कमी होती है, जिससे अनियमितताओं को बल मिलता है।
104 समितियां 20 प्रबंधक
सूत्रों के अनुसार जिले में 104 सहकारी समितियां है, जिनके संचालन के लिए प्रबंधक का पद तो है, लेकिन इनकी संख्या इतनी कम है कि मजबूरीवश एक प्रबंधक को 4-5 समितियों का प्रभार दिया गया है। इस परिस्थिति की वजह से गड़बड़ी होने पर ठीकरा दूसरों पर फोडऩे के भी अनेक उदाहरण है, जिनमें कार्रवाई और फिर सामंजस्य के बाद दोबारा तक पदस्थापना की जाती हैं।
रोज खुलना चाहिए दुकान
राशन दुकानें छुट्टी के दिन छोड़कर प्रतिदिन खुलनी चाहिए। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य राशन दुकानों से उपभोक्ताओं को एक रुपया किलो गेहूं तथा चावला तो दिया जा रहा है, लेकिन राशन दुकानों के समय से नहीं खुलने के कारण उपभोक्ता परेशान होते हैं।

 

Created On :   17 Jan 2018 8:10 AM GMT

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