डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सभी टीवी चैनलों और केबल टीवी ऑपरेटरों को एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में टीवी चैनलों को अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चर्चा, बहसों और रिपोर्टिग के दौरान कार्यक्रम संहिता का पालन करने का सख्त निर्देश दिया गया है।

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव अमित खरे के पत्र में कहा गया है, "यह सलाह दी जाती है कि सभी ब्रॉडकास्ट केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के तहत निर्दिष्ट कार्यक्रम कोड के अनुरूप हो।" प्रोग्राम कोड के अनुसार, किसी भी ब्रॉडकास्ट में धर्मों या समुदायों या धार्मिक समूहों पर हमला न हो। ऐसे शब्दों का भी प्रयोग न हो जो राष्ट्र विरोधी रवैये को बढ़ावा देता है।

प्रोग्राम कोड अश्लील, अपमानजनक, जानबूझकर, गलत और विचारोत्तेजक और अर्धसत्य सामग्री के प्रसारण को भी प्रतिबंधित करता है। कोई सामग्री जो हिंसा को प्रोत्साहित करने या उकसाने की संभावना रखती है या इसमें कानून और व्यवस्था के मेंटेनेंस के खिलाफ कुछ भी शामिल हो या राष्ट्र विरोधी दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है। ऐसी सामग्रियों वाले कार्यक्रमों का प्रसारण नहीं किया जा सकता।"

बता दें कि दशकों से चले आ रहे अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने जमीन पर मालिकाना हक रामलला को दिया है। वहीं मुस्लिम पक्ष को कहीं और 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दी जाएगी। 5 जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से यह फैसला दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुबह 10.30 बजे फैसला पढ़ना शुरू किया, लगभग आधे घंटे में पूरा फैसला पढ़ा गया।

कोर्ट ने मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार को देते हुए तीन महीने में स्कीम तैयार करने का आदेश दिया है। सरकार 3 महीने में मंदिर निर्माण और प्रबंधन के लिए ट्रस्ट बनाएगी, उसमें निर्मोही को भी कुछ प्रतिनिधित्व मिलेगा। वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ज़फरयाब जिलानी ने कहा कि वो फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इससे संतुष्ट नहीं हैं।

Created On :   9 Nov 2019 4:21 PM GMT

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