अवैध सॉफ्टवेयर से चल रहे टाइपिंग इंस्टीट्यूट

Illegal software running in typing institute
अवैध सॉफ्टवेयर से चल रहे टाइपिंग इंस्टीट्यूट
अवैध सॉफ्टवेयर से चल रहे टाइपिंग इंस्टीट्यूट

डिजिटल डेस्क,नागपुर। उपराजधानी में टाइपिंग इंस्टीट्यूट अवैध सॉफ्टवेयर से चल रहे हैं। सरकार ने छह साल पहले यानि 31 अक्टूबर 2013 को मैन्युअल टाइपिंग बंद करने का निर्णय लिया था। इस निर्णय के बाद मैन्युअल टाइपिंग को क्रमवार बंद करने का शासनादेश जारी किया गया। इसके लिए 30 नवंबर 2015 तक की अवधि दी गई। लेकिन अलग-अलग कारणों से इसका विरोध होता रहा। विरोध और समय की आवश्यकता को देखते हुए इस अवधि को 31 मई 2016, 13 जुलाई 2016, 31 मई 2017 तब बढ़ायी गई। अब एक बार और अवधि बढ़ाकर 30 नवंबर 2019 तक कर दी गई है। इस संबंध में 16 नवंबर 2017 को जारी शासनादेश के अनुसार मैन्युअल टाइपिंग सिस्टम की समीक्षा करने के बाद जो रिपोर्ट सामने आएगी, उस आधार पर फैसला किया जाएगा। कुल चार बार अवधि बढ़ायी गई, लेकिन सरकार के शालेय शिक्षा व क्रिड़ा विभाग ने इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है। जबकि देश के 18 राज्यों में मैन्युअल टाइपिंग कोर्स शुुरू हो गया है।

छह साल में नहीं बन पाया सरकारी सॉफ्टवेयर

सरकार ने सभी सरकारी और गैरसरकारी विभागों को कम्प्यूटराइज्ड करने का निर्णय लिया है। इसके लिए जीसीसी-टीबीसी कोर्स शुुरू करने का निर्देश भी सभी टाइपिंग इंस्टीट्यूट को दे दिया गया है लेकिन स्वयं सरकार ने ही इस कोर्स को पढ़ने और पढ़ाने के लिए कोई सॉफ्टवेयर नहीं बनाया है। बिना सॉफ्टवेयर के इंस्टीट्यूट वाले विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाएं, यह सवाल सभी के सामने पैदा हो चुका है। इस समस्या का हल एक संस्था ने निकाला। यह संस्था मुंबई की बतायी जा रही है। इसका नाम महाराष्ट्र राज्य टंकलेखन, लघुलेखन, संगणक टाइपिंग संस्था है। इस संस्था ने जीसीसी-टीबीसी कोर्स के नाम पर सॉफ्टवेयर बनाकर इंस्टीट्यूट वालों को बेचना शुरू कर दिया। इंस्टीट्यूट वालों ने भी मरता क्या न करता की स्थिति देखते हुए इस संस्था से सॉफ्टवेयर खरीदकर विद्यार्थियों को पढ़ाना शुरू कर दिया है।

छह साल पहले सरकारी और गैरसरकारी कार्यालयों में कम्यूटराइज्ड कामकाज को प्राथमिकता देने का निर्णय सरकार ने लिया था। सभी स्थानों पर ई-गवर्नेंस और ई-ऑफिस पद्धति लागू करने के लिए निर्देश जारी किए थे। राज्य के सभी टाइपिंग इंस्टीट्यूट में कम्प्यूटर टाइपिंग जीसीसी-टीबीसी (गवर्नमेंट सर्टिफिकेट इन कम्प्यूटर टाइपिंग बेसिक कोर्स) कोर्स शुुरू किया गया। 31 अक्टूबर 2013 को इस संबंध शासनादेश जारी हुआ था। उसी समय 30 नवंबर 2015 तक पुरानी पद्धति मशीन पर टाइपिंग (मैन्युअल) कोर्स को बंद करने का निर्णय भी लिया गया। लेकिन अलग-अलग कारणों से इसका बार-बार विरोध होता रहा। परिणामस्वरूप सरकार इसकी अवधि बढ़ाती रही है। अब इसकी अवधि 30 नवंबर 2019 तक बढ़ा दी गई है। सरकार के शालेय शिक्षा व क्रीड़ा विभाग ने मैन्युअल टाइपिंग तो बंद करने का निर्णय ले लिया, लेकिन विभाग ने जीसीसी-टीबीसी कोर्स पढ़ने और पढ़ाने के लिए कोई सॉफ्टवेयर तैयार नहीं किया। इस कारण इंस्टीट्यूट वालों को बाजार से अवैध सॉफ्टवेयर खरीदकर विद्यार्थियों को पढ़ाना पड़ रहा है। राज्यभर में जीसीसी-टीबीसी कोर्स का सॉफ्टवेयर बेचने वाली संस्था को राज्य परीक्षा परिषद ने अनुमति नहीं दी है। जबकि यह एकमात्र संस्था अपनी मर्जी से ही जीसीसी-टीबीसी कोर्स का सॉफ्टवेयर उपलब्ध करा रही है। नागपुर में करीब 200 इंस्टीट्यूट भी अवैध सॉफ्टवेयर के आधार पर चल रहे हैं।

Created On :   24 Aug 2019 2:08 PM GMT

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