जिन खेतों में बोंड इल्ली, वहां जाकर करें किसानों का मार्गदर्शन, सोयाबीन पर खोड़कीड़ा-तांबोरा का प्रकोप

In fields where Bond Worm, go there and guide to farmers
जिन खेतों में बोंड इल्ली, वहां जाकर करें किसानों का मार्गदर्शन, सोयाबीन पर खोड़कीड़ा-तांबोरा का प्रकोप
जिन खेतों में बोंड इल्ली, वहां जाकर करें किसानों का मार्गदर्शन, सोयाबीन पर खोड़कीड़ा-तांबोरा का प्रकोप

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिलाधीश अश्विन मुद्गल ने बोंड इल्ली के प्रादुर्भाव को रोकने के लिए संबंधित खेतों में जाकर किसानों को मार्गदर्शन करने की सूचना दी है। बोंड इल्ली से किसानों का नुकसान न हो, इसका ख्याल रखने को कहा है। जिलाधीश ने केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्था के प्रधान वैज्ञानिक नगराले, कृषि विद्यापीठ के साइंटिस्ट वडस्कर, नेहरकर, कृषि विकास अधिकारी, महाराष्ट्र कृषि उद्योग बिक्री संगठन, जिनिंग प्रेसिंग मिल्स, कीटनाशक उत्पादन बिक्री संगठना के प्रतिनिधि व अन्य विभागों के अधिकारी, कपास उत्पादक किसानों के साथ बैठक लेकर बोंड इल्ली की रोकथाम के लिए उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा की। बोंड अली की राेकथाम के लिए जनजागृति की जाएगी। किसान ज्यादा से ज्यादा कामगंध सापलों का इस्तेमाल करें। जिलाधीश ने केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्था व कृषि विद्यापीठ साइंटिस्ट की सूचनाआें पर अमल करने का आह्वान किया। संबंधित विभागांे की तरफ से जिले में जनजागरूकता मुहिम चलाई जाएगी। 

कम बारिश से सोयाबीन पर खोड़कीड़ा
काटोल तहसील में इस वर्ष कम बारिश  के चलते कोंढाली परिक्षेत्र सहित संपूर्ण काटोल तहसील की कपास, संतरा व सोयाबीन की फसलें चौपट होने के कगार पर पहुंच चुकी है। यह जानकारी धामनगांव के आदिवासी किसान आनंदराव नत्थू ईरपाची ने दी है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष कम बारिश से सोयाबीन की फसल तकरीबन 75 प्रतिशत नुकसान हो चुका है। कम बारिश से सोयाबीन पर खोड़कीड़ा व तांबोरा जैसी बीमारियों का प्रकोप से फसलें सूखकर पीली पड़ने लगी है, जो किसानों की मुश्किल बढ़ा रही है।

वहीं कपास पर पहले गुलाबी बोंडइल्ली और लाल्या के प्रकोप से कपास की फसल में भी किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। कम बारिश से नदी-नाले सूखने की कगार पर पहुंच चुके है। फलस्वरूप कुओं  का भी जलस्तर घटने से संतरे की फसल पर भी नुकसान होने की जानकारी किसानों ने दी है। अब स्थिति ऐसी बन गई है कि, जिन किसानों के कुएं में उपयुक्त जलस्तर है, वे खरीफ की फसल बचाने का प्रयास कर सकते है। मानसून के सहारे फसलों को बचाने की जद्दोजहद में अब किसानों की स्थिति चिंताजनक बन गई है।

सोयाबीन पर खोड़कीड़ा व तांबोरा का प्रकोप
सोयाबीन पर खोड़कीड़ा व तांबोरा रोग, कपास पर गुलाबी बोंडइल्ली व लाल्या का प्रकोप के साथ ही बारिश की कमी से संतरे के बागानों में पेड़ नीचे गिरने लगे है। किसानों के लिए यह फसल नगदी फसलें कहलाती है। जो इस वर्ष 75 प्रतिशत चौपट होने की कगार पर है। प्रशासन द्वारा काटोल तहसील में किसानों की फसलों के नुकसान का आकंलन कर सर्वे करने की मांग ग्रामीण आदिवासी क्षेत्र के किसानों ने की है। कम बारिश के चलते नदी- नाले  सूखने के साथ ही कुओं का जलस्तर घट गया है।

वनक्षेत्र में पानी नहीं बचने से वन्य प्राणियों का मोर्चा गांवों की ओर बढ़ने लगा है। ऐसे में वन्यजीवों से फसलों को नुकसान का सामना भी किसानों के लिए बड़ी परेशानी बनती जा रही है। काटोल तहसील कृषि अधिकारी एड. डी. कन्नाके ने बताया कि, तहसील में सोयाबीन की फसल पर खोड़कीड़ा व तांबोरा का प्रकोप दिखाई दे रहा है। बारिश की कमी से कपास तथा  संतरे पर भी असर हो सकता है। 

पिछले वर्ष की तुलना में बारिश कम
नायब तहसीलदार निलेश कदम के मुताबिक काटोल तहसील में विगत वर्ष 980 मिमी वर्षा हुई थी, जो इस वर्ष अब तक मात्र 460 मिमी ही रिकार्ड की गई है। आगामी दिनों में बारिश की उम्मीद की जा सकती है। जिससे स्थिति में कुछ हद तक सुधार हो सकता है। 
    

Created On :   16 Sep 2018 1:03 PM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story