मॉनसून सत्र में BJP और शिवसेना के बीच भिड़ंत के आसार, विपक्ष ढूंढ रहा फायदा

In monsoon session, ruling BJP and Shiv Sena will fight on some issues
मॉनसून सत्र में BJP और शिवसेना के बीच भिड़ंत के आसार, विपक्ष ढूंढ रहा फायदा
मॉनसून सत्र में BJP और शिवसेना के बीच भिड़ंत के आसार, विपक्ष ढूंढ रहा फायदा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। उपराजधानी में 4 जुलाई से शुरू होने वाले महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान सत्ताधारी भाजपा और शिवसेना से सदन में आपस में ही भिड़ंत होने के आसार हैं। दोनों दलों के बीच की आंतरिक कलह फिर से सतह पर आ सकती है। भाजपा और शिवसेना के बीच नाणार ग्रीन रिफायनरी, बुलेट ट्रेन परियोजना और प्लास्टिक पाबंदी को लेकर मतभेद है। शिवसेना नाणार रिफायनरी और बुलेट ट्रेन परियोजना का विरोध कर रही है। जबकि भाजपा के विधायक राज पुरोहित ने प्लास्टिक पाबंदी के फैसले को दिसंबर 2019 तक स्थगति करने की मांग की है। सत्ताधारी दलों के आपसी कलह में विपक्ष अपना फायदा तलाशने की कोशिश में जुट गया है।

अधिवेशन में विपक्ष कोंकण की नाणार ग्रीन रिफायनरी परियोजना और किसान कर्ज माफी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि एक साल बीतने के बावजूद राज्य सरकार की कर्ज माफी योजना का कार्यान्वयन नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि खरीफ फसल के लिए किसानों को नया कर्ज लेने में काफी मुश्किलों को सामना करना पड़ रहा है। नाणार परियोजना के लिए किसानों से जमीन ली जा रही है। जबकि सत्ताधारी दल केवल राजनीति करने में व्यस्त हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने दावा किया कि राज्य के किसानों को बोंडअली के कारण खराब हुए कपास के फसल की नुकसान भरपाई नहीं मिल सकी है। प्रदेश के संसदीय कार्य मंत्री गिरीष बापट ने कहा कि मानसून ने कहा कि मानसून सत्र में किसानों को अधिकतम मुआवजा उपलब्ध कराने, राज्यमार्गों के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में गति लाने सहित कई विधेयक पेश किए जाएंगे।

मॉनसून सत्र के दौरान ही विधान परिषद की रिक्त होने वाले 11 सीटों के लिए 16 जुलाई को वोटिंग होगी। इन सीटें के चुनाव में  विधान सभा के सदस्य मतदान करेंगे। विधानसभा में पार्टी के संख्याबल के अनुसार भाजपा 5 और शिवसेना 2 सीटों पर आसानी से जीत सकती है। इसके साथ ही भाजपा विधान परिषद में सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी। सूत्रों के अनुसार भाजपा सदन में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सभापति पद पर दावा ठोंक सकती है। लेकिन सदन में राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस एकजुट रहते हैं तो  भाजपा के लिए सभापति पद पाना आसान नहीं होगा। क्योंकि सदन में भाजपा और शिवसेना का संख्याबल राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस से कम ही रहेगा। विधान परिषद में सभापति पद फिलहाल राष्ट्रवादी कांग्रेस और उपसभापति पद कांग्रेस से पास है।
 

Created On :   1 July 2018 1:59 PM GMT

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