शिर्डी के साईं संस्थान को आयकर विभाग का नोटिस, हाईकोर्ट से राहत नहीं 

Income Tax Department sent notice to Shirdi Sai Institute, not relief from High Court
शिर्डी के साईं संस्थान को आयकर विभाग का नोटिस, हाईकोर्ट से राहत नहीं 
शिर्डी के साईं संस्थान को आयकर विभाग का नोटिस, हाईकोर्ट से राहत नहीं 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने टैक्स एसेसमेंट से जुड़े मामले में श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट (शिर्डी) को राहत देने से इंकार करते हुए उसे कानून में उपलब्ध विकल्पों का इस्तेमाल करने को कहा है। हाईकोर्ट ने ट्रस्ट को पहले अपीलीय प्राधिकरण के पास अपनी बात रखने को कहा है और फिर ट्रिब्युनल में जाने को कहा है। यदि ट्रस्ट को इन दोनों जगहों से राहत नहीं मिलती है तो वह हाईकोर्ट में याचिका दायर करे। जस्टिस एससी धर्माधिकारी व जस्टिस बीपी कुलाबावाला की बेंच ने यह फैसला सुनाया है।

याचिका में ट्रस्ट ने आयकर विभाग की ओर से  वर्ष 2013-2014 के एसेसमेंट को लेकर ट्रस्ट को नोटिस जारी की गई थी। नोटिस में संस्थान की ओर से जमा की 257 करोड रुपए की बेहिसाबी नगदी पर सवाल उठाए गए थे। आयकर विभाग को यह जानकारी साईं संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट से मिली थी। साथ ही दावा किया गया था कि ट्रस्ट ने इस रकम को टैक्स से दूर रखा है।

टैक्स को लेकर आयकर विभाग ने जारी किया है नोटिस
1953 में स्थापित ट्रस्ट की ओर से पैरवी करने वाले वकील ने दलील दी थी कि शिर्डी संस्थान एक चैरिटेबल बहुउद्देश्यी ट्रस्ट है। इसके नियंत्रण के लिए राज्य सरकार ने कानून बनाया है। इसके अलावा ट्रस्ट को आयकर के 80 जी के प्रावधान को लेकर छूट मिली है। संस्थान ने यह भी दावा किया था कि शिर्डी एक विश्व प्रसिद्ध प्रार्थना स्थल है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां आते हैं और प्रार्थाना स्थल परिसर में लगी दान पेटी में रकम डालते हैं, जो कि गुप्तदान की तरह होता है। इसके अलावा संस्थान कई परोपकार व जनकल्याण के काम करती हैं। इस लिहाज से आयकर विभाग की ओर से जारी किए गए नोटिस को निरस्त किया जाए।

अपीलीय प्राधिकरण में जाए शिर्डी साईं संस्थान
इसके जवाब में आयकर विभाग की ओर से पैरवी कर रहे एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि आयकर विभाग ने कानूनी प्रावधानों के तहत ही संस्थान को नोटिस जारी किया है। विभाग को बेहिसाबी रकम को लेकर सवाल करने का अधिकार है। इसके लिए कानून में संसोधन भी किया गया है। इसके अलावा साल 2015-16 के एसेसमेंट साल को लेकर भी ट्रस्ट को नोटिस जारी की गई है। जिसको लेकर संस्थान ने अपीलीय प्राधिकरण के पास आवेदन दायर किया है। ऐसे में उचित होगा कि याचिकाकर्ता इस मामले को भी प्राधिकरण के पास रखे। इसके अलावा कानून में दूसरे भी विकल्प मौजूद है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने संस्थान को अपीलीय प्राधिकरण के पास अपनी बात रखने को कहा और याचिका को समाप्त कर दिया।

 

Created On :   16 Nov 2018 2:29 PM GMT

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