प्रचार से पहले निर्दलीय प्रत्याशी ने लिया बापू का आशीर्वाद, अन्य कोई नहीं पहुंचा

Independent candidate took mahatma gandhi blessing before campaigning
प्रचार से पहले निर्दलीय प्रत्याशी ने लिया बापू का आशीर्वाद, अन्य कोई नहीं पहुंचा
प्रचार से पहले निर्दलीय प्रत्याशी ने लिया बापू का आशीर्वाद, अन्य कोई नहीं पहुंचा

डिजिटल डेस्क,नागपुर।  देश-विदेश में विख्यात वर्धा के सेवाग्राम आश्रम में महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित लोगों का जहां जमावड़ा लगा रहता है, वहीं लोकसभा और विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय दलों के नेता प्रचार का आगाज गांधीजी की इसी कर्मस्थली से करते हैं। गांधी विचारों के नाम पर वोट मांगे जाते हैं, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी को छोड़ किसी ने भी अपने प्रचार की शुरुआत सेवाग्राम आश्रम से नहीं की। देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सेवाग्राम स्थित बापू कुटी की अहम भूमिका रही है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत सेवाग्राम आश्रम से ही की थी। अधिकांश राजनीतिक दल अपने प्रचार की शुरुआत गांधी जिले से करते हैं। सेवाग्राम का यह आश्रम देवली-पुलगांव विधानसभा क्षेत्र में आता है और यहां से कांग्रेस-राकांपा गठबंधन के रणजीत कांबले और भाजपा-शिवसेना प्रत्याशी समीर सुरेश देशमुख समेत  14 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें से केवल  भाजपा के बागी निर्दलीय प्रत्याशी राजेश बकाने ने सेवाग्राम आश्रम पहुंचकर बापू का आशीर्वाद लिया और अपने प्रचार की शुरुआत की। 

अनुयायी करते हैं मतदान

जिले में भले ही चुनावी हलचल चरम पर हो, लेकिन आश्रम में किसी प्रकार की राजनीतिक चर्चा नहीं होती। मतदान के दिन यहां रहने वाले गांधीजी के अनुयायी नजदीकी चुनाव केंद्र में मतदान कर पुन: अपने-अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रत्याशी प्रचार के लिए सेवाग्राम तो आते हैं, लेकिन बापू कुटी में कोई नहीं आता।

1934 में आए थे गांधीजी

बता दें कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी साबरमती आश्रम से वर्धा के मगनवाड़ी परिसर में वर्ष 1934 में आए थे। दो वर्ष बाद वर्ष 1936 में वर्धा शहर से करीब ८ कि.मी. दूरी पर स्थित ग्राम सेगांव में आकर बस गए। बापू के सुझाव पर ही वर्ष 1040 में सेगांव को ‘सेवाग्राम’ नाम दिया गया। यहीं पर गांधीजी ने अपने आश्रम का निर्माण किया। फिलहाल उनके 5 अनुयायी बापू कुटी में रहकर आश्रम की देखभाल करते हैं। आज भी सुबह 4.45 बजे  की प्रार्थना के साथ आश्रम की दिनचर्या शुरू होती है। कृषि कार्य निपटाने के बाद दोपहर को लगभग एक घंटे आराम करते हैं। २ बजे सूतकताई का काम शुरू होता है। शाम ६ बजे सामूहिक प्रार्थना के साथ दिनचर्या खत्म होती है। 

Created On :   17 Oct 2019 9:02 AM GMT

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