यूएस प्रतिबंधों का डर, ईरानी तेल का ऑर्डर देने से पीछे हटे भारतीय रिफाइनर

India delays May order for Iran oil, awaits clarity on sanctions waiver
यूएस प्रतिबंधों का डर, ईरानी तेल का ऑर्डर देने से पीछे हटे भारतीय रिफाइनर
यूएस प्रतिबंधों का डर, ईरानी तेल का ऑर्डर देने से पीछे हटे भारतीय रिफाइनर
हाईलाइट
  • ईरान पर लगे अमेरिका के तेल प्रतिबंध में अप्रैल के बाद भारत को तेल खरीदी में छूट मिलेगी या नहीं इसे लेकर स्पष्टता नहीं है।
  • यही कारण है कि भारतीय रिफाइनर मई महीने के लिए ईरानी तेल का ऑर्डर देने से पीछे हट रहे हैं।
  • सूत्रों ने कहा कि भारत को छूट के किसी भी विस्तार पर सात से 10 दिनों में स्पष्टता मिलने की उम्मीद है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ईरान पर लगे अमेरिका के तेल प्रतिबंध में अप्रैल के बाद भारत को तेल खरीदी में छूट मिलेगी या नहीं इसे लेकर अभी स्पष्टता नहीं है। यही कारण है कि भारतीय रिफाइनर मई महीने के लिए ईरानी तेल का ऑर्डर देने से पीछे हट रहे हैं। सूत्रों के हवाले से ये बात कही जा रही है।

सूत्रों ने कहा कि भारत को छूट के किसी भी विस्तार पर सात से 10 दिनों में स्पष्टता मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही इस बात पर भी स्पष्टता मिल जाएगी कि कितनी मात्रा में ईरान का ऑइल इंपोर्ट किया जा सकता है। सूत्र ने कहा, "हम अमेरिकी सोच के बारे में नहीं जानते हैं कि वे भारत को तेल खरीदने की अनुमति देंगे या नहीं।" मौजूदा छूट के तहत भारत अभी लगभग 300,000 बीपीडी तक ईरानी तेल खरीद सकता है। सूत्रों की माने तो भारत आगे भी ईरान से तेल खरीद को जारी रखना चाहता है। नवंबर के बाद से केवल इंडियन ऑयल कॉर्प, भारत पेट्रोलियम कॉर्प, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और मैंगलोर रिफाइनरी एंड पेट्रोकेमिकल्स ईरानी तेल खरीद रहे हैं।

ईरान के लिए विशेष अमेरिकी दूत ब्रायन हुक ने मार्च में कहा था कि अमेरिका की ईरानी कच्चे तेल के निर्यात को शून्य पर लाने की योजना है। पिछले हफ्ते हुक ने कहा था कि अमेरिका ने जिन आठ देशों को ईरान से कच्चा तेल की खरीद में छूट दी है उनमें से तीन देशों ने शिपमेंट को शून्य कर दिया है। एक अन्य सूत्र ने कहा, "आईआरजीसी (इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स) के खिलाफ प्रतिबंधों ने ईरानी तेल की आपूर्ति की अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। मौजूदा परिदृश्य में जब पर्याप्त विकल्प उपलब्ध हैं तो स्पष्टता के लिए इंतजार करना बेहतर है।"

ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध का दूसरा चरण नवंबर 2018 के पहले हफ्ते से लागू हो गया था। हालांकि, प्रतिबंध के लागू होते ही अमेरिका ने 8 देशों को अस्थायी रूप से ईरानी तेल खरीदी जारी रखने की अनुमति दे दी थी। इन आठ देशों में चीन, भारत, ग्रीस, इटली, ताइवान, जापान, तुर्की और दक्षिण कोरिया है। स्टेट सेक्रेटरी माइक पोम्पियो ने कहा था कि 20 से ज्यादा देशों ने पहले से ही ईरान से अपने तेल आयात में कटौती की है, जिससे प्रति दिन 1 मिलियन से अधिक बैरल खरीददारी कम हो गई है।

बता दें कि जुलाई 2015 में ईरान का अमेरिका समेत दुनिया की 6 बड़ी ताकतों के साथ परमाणु समझौता हुआ था, जिसे जॉइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ ऐक्शन (JCPOA) नाम से जाना जाता है। कुछ दिन पहले अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान समझौते को गलतियों से भरा बताते हुए इसे तोड़ दिया था और उस पर कड़े प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था। यह प्रतिबंध दो चरणों में लागू करने की घोषणा की थी।

सात अगस्त 2018 को प्रतिबंध का पहला चरण लागू किया गया था और चार नवंबर को दूसरा सेट लागू किया गया। ट्रंप ने दावा किया था कि ईरान उसे मिल रही परमाणु सामग्री का इस्तेमाल हथियार बनाने में कर रहा है। परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल बना रहा है। वह सीरिया, यमन और इराक में शिया लड़ाकों और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों को हथियार सप्लाई कर रहा है। ट्रंप ने यह भी कहा था कि जो भी देश ईरान की मदद करेगा उसे भी प्रतिबंध झेलना पड़ेगा।

इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान, भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। भारत ने 2018 में ही साल ईरान से तेल आयात बढ़ाने का फैसला किया था जब ईरान ने भारत को करीब-करीब मुफ्त ढुलाई और उधारी की मियाद बढ़ाने का ऑफर दिया था। पहले अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच ईरान से व्यापारिक रिश्ते कायम रखने वाले मुट्ठीभर देशों में भारत भी एक था।

Created On :   9 April 2019 11:59 AM GMT

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