नवरात्रि में शाकाहार का पालन करने वाले भारतीयों में बढ़ रही है नॉनवेज इटर्स की संख्या

नवरात्रि में शाकाहार का पालन करने वाले भारतीयों में बढ़ रही है नॉनवेज इटर्स की संख्या

डिजिटस डेस्क । नवरात्रि चल रही है और इन दिनों में मांस-मछली से लोग तौबा कर लेते हैं। जो रोज नॉनवेज खाता है वो भी नवरात्रि के दिनों में मांसाहार से दूरी बना लेता है, लेकिन कई घरों में रिवाज है कि अष्टमी या नवमी पर मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए बलि दी जाती है। ये एक रिवाज है, लेकिन इस बलि के बकरे को पकाया या खाया नहीं जाता है। ये तो नवरात्रि में नॉनवेज ना खाने की बात हो गई। इसके आलावा क्या आप जानते है कि नॉनवेज खाने वालों की संख्या भले ही नवरात्रि कम हो जाती हो, लेकिन असल में इनकी संख्या भारत में तेजी बढ़ रही है। पहले हिंदू धर्म और लाइफस्टाइल में नॉनवेज शामिल ही नहीं था। अब बदलते वक्त के साथ नॉनवेज खाने वालों की संख्या में दिन-ब-दिन इजाफा हो रहा है। अब ज्यादातर भारतीय शाकाहार छोड़कर मांसाहार अपना रहे हैं। पिछले एक दशक में शाकाहारियों की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है। आइए जानते है एक वक्त पर शाकाहार के मामले में सबसे आगे रहने वाला भारत आज कैसे नॉनवेज इटर्स की रेस में आगे बढ़ रहा हैं।

देश में 30% महिलाएं शाकाहारी हैं जबकि केवल 22% पुरुष शाकाहारी रह गए हैं। हालांकि भारतीयों की नियमित डाइट में शाकाहार ही शामिल है जैसे-दूध, दही, दालें, बीन्स  और हरी पत्तेदार सब्जियां। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, कुल 42.8 भारतीय महिलाएं और 48.9 प्रतिशत पुरुषों ने साप्ताहिक तौर पर मछली, चिकन या मांस का सेवन किया।


इस राज्य में बढ़ी मांसाहार की खपत-

देश के लगभग सभी राज्यों में मांस खाने वाले लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। पिछले एक दशक में हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और जम्मू-कश्मीर में मांस सेवन करने वाले लोगों की संख्या में 4 % से भी ज्यादा इजाफा हुआ है। दिल्ली में वृद्धि दर सबसे तेज है। राजस्थान और पंजाब को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में मांसाहार सेवन बढ़ा है। हरियाणा में शाकाहार (अंडे को छोड़कर) में 11.1 % की बड़ी गिरावट देखी गई है। दक्षिण भारत में कर्नाटक में मांसाहार आबादी में तेजी से वृद्धि हो रही है। सर्वे के मुताबिक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में शाकाहारियों का प्रतिशत 40 से अधिक रहा।


भारत में मांसाहार सेवन के मामले में महिलाओं से ज्यादा पुरुष आगे हैं। 10 महिलाओं में से करीब 3 महिलाएं (29.3%) अंडा और (29.9%) महिलाएं चिकन, फिश या मीट नहीं खाती हैं जबकि पुरुषों की बात करें तो 10 में से 2 ही पुरुष अंडा (19.6%) और चिकन, फिश या मीट (21.6%) नहीं खाते हैं। हालांकि महिलाएं भी पुरुषों के बराबर आती दिख रही हैं। पिछले दशक में मांस और अंडा खाने के मामले में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक वृद्धि देखी गई है।


इन आंकड़ों के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि गरीबों की थाली में अब अंडे ने जगह बना ली है। वैसे तो हर आय वर्ग के बीच अंडे की खपत बढ़ी है, पर देश की सबसे गरीब 20 % आबादी में अंडे की खपत ज्यादा बढ़ी है। धर्म और जाति की बात करें तो मांस सेवन के मामले में मुस्लिम, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में मांस की खपत सबसे ज्यादा है। सामान्य वर्ग में जिसमें उच्च जाति भी आती है, में मांसाहार का अनुपात कम है। 


पिछले दशक के आंकड़ों को देखें तो पाएंगे कि सबसे ज्यादा मांस की खपत अन्य पिछड़ा वर्ग (मुस्लिमों को छोड़कर) में बढ़ी है। 2015-16 में ओबीसी में मांस खाने वालों की संख्या 68 % हो गई। पिछले एक दशक में इस वर्ग में यह 3 % की बढ़ोतरी है। धर्म की बात करें तो मांसाहार के मामले में ईसाई सबसे ज्यादा आगे हैं। ईसाइयों की कुल पुरुष आबादी में 71.5%  लोग अंडा खाते हैं जबकि 75.6% लोग मांसा का सेवन करते हैं। वहीं ईसाई महिलाओं का यह प्रतिशत अंडा-64.7% और मांस 74.2% रहा। इसके बाद मुस्लिम आबादी का नंबर आता है। मुस्लिम पुरुष आबादी में 66.5% अंडा व 73.1% मांस का सेवन करती है। वहीं, मुस्लिम महिलाओं में यह प्रतिशत 59.7% और 67.3% था।

Created On :   15 Oct 2018 4:46 AM GMT

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