इंदिरा एकादशीः पितराें के मोक्ष के लिए आज की जाती है शालिग्राम पूजा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शनिवार 16 सितंबर को अश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी इंदिरा एकादशी मनाई जा रही है। हिन्दुधर्म में इसका विशेष महत्व है। पितृ पक्ष में आने वाली इस एकादशी का व्रत पितरों के मोक्ष के लिए किया जाता है। इस दिन व्रत करने के साथ कथा सुनने का भी महत्व है।
इस दिन लोग भगवान शालिग्राम की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन ज्यादातार परिवार में व्रत पूजन का महत्व है। व्रत के प्रभाव से सात पीढिय़ों तक के पितराें का उद्धार हो जाता है।
इनका निषेध
नारदपुराण के अनुसार एकादशी को अन्न का सेवन एवं दान करना निषेध माना गया है। श्राद्ध में खीर का महत्व हैं, किंतु एकादशी में श्राद्ध करने पर चावल की खीर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जौं और काले तिलों से तर्पण करना न भूलें तथा गायए कौवे और कुत्ते को रोटी खिलाएं। साथ ही शाम के वक्त चीटिंयों को भी आटा डालें।
इंद्रसेन ने किया था धारण
पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में महिष्मति नामक नगर के राजा इंद्रसेन ने अपने पिता के मोक्ष के लिए इस व्रत को धारण किया था। जिससे उन्हें विष्णु लोक की प्राप्ति हुई थी। बताया जाता है कि एकादशी का व्रत खंडित होने पर इंद्रसेन के पिता देवार्षि नारद के द्वारा इस व्रत को धारण करने का संदेश अपने पुत्र इंद्रसेन को भिजवाया था। तभी से इस व्रत को करने की परंपरा है।
Created On :   16 Sep 2017 4:11 AM GMT