दो दिन में 75 पैसे लुढ़का रुपया, 73 रुपए का हो गया एक डॉलर

Inflation: Indian Rupee INR at 72.82 versus the US dollar
दो दिन में 75 पैसे लुढ़का रुपया, 73 रुपए का हो गया एक डॉलर
दो दिन में 75 पैसे लुढ़का रुपया, 73 रुपए का हो गया एक डॉलर
हाईलाइट
  • एक डॉलर 72 रुपए 95 पैसे के बराबर हो गया है
  • डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट जारी है
  • मंगलवार को रुपए में 32 पैसे की गिरावट हुई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट जारी है। मंगलवार को भी रुपए में 32 पैसे की गिरावट हुई, जिसके बाद एक डॉलर 72 रुपए 95 पैसे के बराबर हो गया है। रुपए के कमजोर होने का कारण कच्चे तेल की कीमतों में उछाल को भी बताया जा रहा है।

 

 

 

अमेरिका ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, जो नवंबर से लागू होना है। इससे पहले कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, इसलिए भी रुपए की कीमत में गिरावट आ रही है। सोमवार को भी रुपए में 43 पैसे की गिरावट हुई थी, जिसके बाद वह 72.63 पर बंद हुआ था। आशंका जताई जा रही है कि कच्चे तेल की कीमते और बढ़ सकती हैं, जिसके बाद रुपए का स्तर में भी गिरावट देखने मिलेगी। 


इस समय वैश्विक बेंचमार्क ब्रेंट में कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल है, जो 4 साल की ऊंचाई के करीब है। कच्चे तेल के उत्पादक देशों (ओपेक) ने उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिया है। ओपेक देशों ने ईरान से सप्लाई घटने पर ये निर्णय लिया है। बता दें कि दूसरी विदेशी मुद्राओं के मुकाबले लगातार डॉलर मजबूत हो रहा है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक काफी सतर्कता बरत रहे हैं। 


ट्रेड वॉर ने बढ़ाई डॉलर की विश्वसनीयता
डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरावट का एक बड़ा कारण अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वॉर भी है। इन दो बड़े देशों की बीच चल रहे ट्रेड वॉर के कारण वैश्विक स्तर पर लोगों का डॉलर पर भरोसा बढ़ता ही जा रहा है और यही भरोसा रुपए के लिए मुसीबत बना हुआ है। वैश्विक स्तर पर डॉलर की जमकर खरीदारी का जा रही है। डॉलर पर लोगों का बढ़ता भरोसा ही रुपए की गिरावट के लिए सबसे बड़े कारण बताया जा रहा है।

 

केंद्र सरकार को उठाने होंगे जरूरी कदम
डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरावट के लिए केंद्र सरकार को भी जिम्मेदार माना जा रहा है, क्योंकि देश की मुद्रा को संचालित करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी देश की सरकार की ही होती है। विशेषज्ञों की मानें तो अब अगर रुपए को गिरने से बचाना है और उसे मजबूती प्रदान करनी है तो केंद्र सरकार को कुछ जरूरी कदम उठाने होंगे। इन्हीं में से एक ये भी है कि केन्द्र सरकार को देश में एक्सपोर्ट को बढ़ाने के साथ-साथ विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में इजाफा कराना होगा। यह काम मौजूदा स्थिति में नहीं बल्कि एक लंबी अवधि के दौरान किया जाता है।

Created On :   25 Sep 2018 6:45 AM GMT

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