नागपुर की गोद में गूंजी हिंदी की पहली वैश्विक किलकारी, विदेशियों में बढ़ी हिन्दी सीखने की ललक

Interest developing in the Foreigners toward the Hindi language
नागपुर की गोद में गूंजी हिंदी की पहली वैश्विक किलकारी, विदेशियों में बढ़ी हिन्दी सीखने की ललक
नागपुर की गोद में गूंजी हिंदी की पहली वैश्विक किलकारी, विदेशियों में बढ़ी हिन्दी सीखने की ललक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश की राजभाषा हिंदी केवल भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के लोगों के दिलों में अपना घर बना चुकी है। दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा में मेड्रिन चायनिज और अंग्रेजी के बाद हिंदी तीसरे क्रमांक पर है। 54.4 करोड़ लोग हिंदी बोलते हैं। बीते दिनों केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों में स्पष्ट हुआ कि हिंदी भाषा को बोलने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 

हिंदी पर हाईटेक असर
जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, देश में 52,83,47,193 लोग हिंदी को अपनी मातृभाषा मानते हैं। वर्ष 2001 की जनगणना की तुलना में 2011 तक हिंदी भाषियों की संख्या 25 प्रतिशत तक बढ़ी है। आज तो पारंपारिक हिंदी इतनी हाईटेक हो गई है कि इंटरनेट की भाषा से लेकर देश-विदेशों में खास तौर पर हिंदी भाषा पर आधारित कार्यक्रमों की मांग बढ़ गई है। हाल ही में मॉरिशस में 11वां विश्व हिंदी सम्मेलन हुआ, जिसमें हिंदी भाषा की धाक दुनिया ने देखी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में धाक जमाने वाली हिंदी का हमारे शहर से खास संबंध है। जी हां, पहला विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर में आयोजित किया गया था।

नागपुर विश्वविद्यालय का लॉ कॉलेज चौक स्थित प्रांगण इस अभूतपूर्व आयोजन का साक्षी बना था। हिंदी के इतिहास को अपनी पुस्तक के माध्यम से दुनिया के समक्ष रख चुके नागपुर विवि के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ.प्रमोद शर्मा बताते हैं कि 10-12 जनवरी 1975 को हुए इस आयोजन का उद्गाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया। उपराष्ट्रपति बी.डी. जत्ती इसके अध्यक्ष और मुख्य अतिथि मॉरिशस के प्रधानमंत्री सर शिवसागर राम गुलाम थे। इसमें महादेवी वर्मा व अन्य साहित्यकारों ने हिस्सा लिया था। 

हिंदी गानों को विदेश में भी किया जाता है पसंद 
हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जहां भारत में लोग जागरूक हैं, वहीं भारतीय विदेश में भी हिंदी भाषा का परचम लहरा रहे हैं। विदेश जाकर वे त्योहारों और हिंदी गानों के जरिए हिंदी को आगे बढ़ा रहे हैं। शहर की गायिका सुरभि ढोमणे और तबला वादक सचिन ढोमणे ने विदेश में हिंदी गानों को खूब गाया। न्यूयॉर्क के एलबनी शहर में सुरभि ढोमणे के नाम पर सुरभि फैंस क्लब भी है, जिसमें भारतीयों के साथ कई विदेशी भी शामिल हैं। सभी ने मिलकर सुरभि फैंस क्लब बनाया है।

विदेशियों ने हरे रामा, हरे कृष्णा गाया
एलबनी में हिन्दी भजनों का कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें भारतीयों के साथ विदेशी भी शामिल थे। वे हिन्दी भजनों को मन लगाकर सुन रहे थे। जब प्रोग्राम समाप्त हुआ, तो सभी भारतीयों के साथ विदेशियों ने भी हरे रामा, हरे कृष्णा गाया। यह देखकर हमें खुशी हुई। प्रोग्राम में कई विदेशी ऐसे थे, जिन्हें भजन का मतलब समझ नहीं आया, तो उन्हें इंग्लिश में समझाया गया। समझ में आने के बाद उन्होंने भी हरे रामा, हरे कृष्णा गाना शुरू कर दिया। हमारी भारतीय सभ्यता, संस्कृति और हिंदी भाषा विदेश में भी फेमस है। यहां पर रहने वाले भारतीय एक-दूसरे से हिंदी में ही बात करते हैं। हमारे अलावा भारत के अलग अलग राज्यों से वहां गए कलाकार भी हिंदी भाषा को प्राथमिकता देते हैं। 
(सचिन ढोमणे, तबला वादक)

हिंदी भजन सीखने की डिमांड

हम हर वर्ष गणपति उत्सव के अवसर पर विदेश की यात्रा पर रहते हैं। यह कई वर्षों से चला आ रहा है। हमारे हिंदी गाने विदेशियों को भी अच्छे लगते हैं। वे हिंदी गानों के प्रोग्राम में भी शामिल होते हैं और हिंदी भजन गाने और सीखने की डिमांड करते हैं। कुछ लोग सीख कर हिंदी में बातें भी करते हैं। हमारी राजभाषा विदेश में भी लोकप्रिय है। विदेशी जब हमसे हिंदी में बातें करते हैं, तो हमें बहुत गर्व महसूस होता है। सुरभि फैंस क्लब का गठन 3 वर्ष पूर्व किया गया। यहां गणपति के अवसर पर पूरे भारत वर्ष से कई कलाकार आकर प्रस्तुतियां देते हैं। हमारी हिंदी भाषा विदेश के हर शहर में पहुंच रही है।
(सुरभि ढोमणे, गायिका)
 

Created On :   14 Sep 2018 7:49 AM GMT

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