आईआरसीटीसी के टिकट सिस्टम से यात्री परेशान, पैसा और समय हो रहा बर्बाद

आईआरसीटीसी के टिकट सिस्टम से यात्री परेशान, पैसा और समय हो रहा बर्बाद
आईआरसीटीसी के टिकट सिस्टम से यात्री परेशान, पैसा और समय हो रहा बर्बाद
आईआरसीटीसी के टिकट सिस्टम से यात्री परेशान, पैसा और समय हो रहा बर्बाद

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  रेलवे का ऑनलाइन टिकट पाना किसी लॉटरी से कम नहीं है। समय पर लॉगिंग करने के बावजूद उपलब्ध टिकट जानकारी भरने तक ही वेटिंग लिस्ट में पहुंच जा रहे हैं। कभी-कभी तो खाते से रुपए का ट्रांजेक्शन हो जाता है और पीएनआर नंबर जनरेट ही नहीं होता है। इससे यात्रियों का समय बर्बाद होता है। यदि  वेटिंग सूची में टिकट मिल भी जाता है और कन्फर्म नहीं होता है, तो टिकट रद्द कराने पर पैसे बर्बाद होते हैं। ऐसे में यात्री आईआरसीटीसी के टिकट सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं। 

फार्म भरने के पहले खत्म हो जाते हैं टिकट
जब कोई यात्री तत्काल टिकट बुक करने के लिए साइट ओपन करता है, तो तत्काल का कोटा खुलते ही उसे किसी भी गाड़ी में 100 से अधिक सीटें उपलब्ध दिखाई देती हैं। टिकट हासिल करने के लिए ऑनलाइन फार्म भरने में 2 से 3 मिनट लग जाते हैं, तब तक टिकट प्रतीक्षा सूची में चले जाते हैं और यात्री टिकट प्राप्त करने से वंचित हो जाते हैं।  यात्री ए. त्रिपाठी ने बताया कि उन्होंने 10 मार्च को विदर्भ एक्सप्रेस व दुरंतो एक्सप्रेस में तत्काल टिकट लेने की कोशिश की। जब उन्होंने साइट ओपन की तो दोनों गाड़ियों में 80 टिकट उपलब्ध थे। उन्हें ऑनलाइन फार्म भरने में 2 से 3 मिनट लगे, तब तक टिकट 40 वेटिंग दिखाने लगा। 

हमेशा रहती है लंबी वेटिंग लिस्ट
ट्रेनों में अक्सर लंबी प्रतीक्षासूची बनी रहती है। खासकर त्योहारों के समय कर्न्फम टिकट पाने के लिए यात्रियों को जमकर कवायदें करनी पड़ती हैं। स्टेशन पर टिकट खिड़की पर लंबी-लंबी कतारें लगी रहती हैं। इससे राहत देने के लिए ऑनलाइन सिस्टम की सुविधा दी गई है, यानी घर बैठे आईआरसीटीसी की साइड पर जाकर टिकट बुक किया जा सकता है, लेकिन ऑनलाइन टिकट बुक करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। 

दलालों को आसानी से मिल जाती है टिकट
तत्काल टिकट हासिल करने के लिए भले ही आम आदमी को मशक्कत करनी पड़ती है, लेकिन दलालों को टिकट आसानी से मिल जाते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए। 

कट जाते हैं रुपए
जब कोई टिकट प्रतीक्षा सूची में आता है, तो यात्री इसे कैंसिल करते हैं, लेकिन इसमें भी यात्रियों का ही नुकसान होता है। टिकट रद्द करने पर स्लीपर कोच में 60 रुपए और वातानुकूलित कोच में 150 से ज्यादा रुपए तक रेलवे काट लेती है। यात्रियों का कहना है यदि कन्फर्म टिकट कैंसिल कराने पर पैसे कटे तो बात समझ में आती है, लेकिन वेटिंग टिकट लेने पर भी रुपए काट लिए जाते हैं, जो उचित नहीं है।

Created On :   18 March 2019 8:24 AM GMT

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