क्या स्पीकर के फैसले की न्यायिक समीक्षा मुमकिन है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

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क्या स्पीकर के फैसले की न्यायिक समीक्षा मुमकिन है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को यह सवाल किया कि क्या संसद और विधानसभा के स्पीकर के फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने यह सवाल 18 फरवरी को तमिलनाडु विधानसभा में ई के पलानिसामी द्वारा विश्वासमत जीतने के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका की सुनवाई करते हुए उठाया।

कोर्ट ने कहा कि स्पीकर का फैसला क्या न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है? जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय बेंच ने AIADMK के एक विधायक की याचिका की सुनवाई करते हुए यह बात पूछी। याचिका में विश्वास मत को खारिज करने की मांग की गई है। कोर्ट के इस सवाल पर सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने जवाब पेश करने के लिए समय मांगा। उन्होंने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद की जाए, ताकि वे कोर्ट को लिखित जवाब पेश कर सकें।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने दक्षिण अफ्रीका की एक कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि सदन की पवित्रता को बरकरार रखना स्पीकर का काम है। उन्होंने यह दलील भी दी कि विधायकों द्वारा स्पीकर को दिया गया प्रतिनिधित्व अभी भी विचाराधीन है। इन दलीलों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त को तय की और याचिका की एक कॉपी तमिलनाडु सरकार के वकील को देने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले याचिकाकर्ता के इस दावे का परीक्षण करने के लिए अटॉर्नी जनरल की सहायता मांगी थी, जिसमें कहा गया था कि विधायकों ने दबाव में विश्वासमत का समर्थन किया और विपक्षी सदस्यों को मॉर्शल की मदद से सदन से बाहर कर दिया गया था।

Created On :   11 July 2017 3:14 PM GMT

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