सरकारी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश की उम्र 6 साल रखना ही उचित- शिक्षा मंत्री सावंत

It is fine to keep the school entry age of students to 6 years
सरकारी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश की उम्र 6 साल रखना ही उचित- शिक्षा मंत्री सावंत
सरकारी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश की उम्र 6 साल रखना ही उचित- शिक्षा मंत्री सावंत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश की उम्र 6 साल से घटा कर 5 वर्ष करने के विषय पर विधानपरिषद में चर्चा हुई। इस समय शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि घर को सजाने के लिए हम नर्सरी से फूल ले आते हैं और घर के फूल को हम नर्सरी में छोड़ आते हैं। सरकार द्वारा बच्चों की स्कूल जाने की उम्र 6 वर्ष रखना सही बताया। विधान परिषद में विधायक दत्तात्रय सावंत ने यह मुद्दा उपस्थित किया। तावड़े उनके उठाए मुद्दों पर चर्चा की।

बच्चों का बचपन छिनना ठीक नहीं
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने बच्चों की पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र 6 साल इसलिए तय की है ताकि बच्चा स्कूल जाने व पढ़ाई के लिए पूरी तरह तैयार हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार का यह निर्णय निश्चित ही विकास की ओर ले जाने वाला है। तावड़े ने कहा कि महाराष्ट्र विकसित राज्य है और अन्य राज्यों की अपेक्षा काफी आगे है। सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय विशषेज्ञों, देश-विदेश के अनुसंधानकर्ताओं, आरटीई नियमों पर अध्ययन करने व  वरिष्ठों से चर्चा कर लिया गया है। यदि पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र 5 वर्ष की जाती है तो बच्चे को 4 साल में सीनियर केजी, 3 साल में जूनियर केजी और 2 साल की उम्र में नर्सरी जाना पड़ेगा। इससे उनका बचपन छीन जाएगा।

स्पर्धा करते हुए बच्चों को छोटी उम्र में स्कूल भेजना उनके साथ अन्याय होगा। 6 से 14 साल तक के बच्चों की शिक्षा के लिए भी कानून बने हैं। उन्होंने बताया कि नेट एनरोलमेंट दायरे में भी इस पर विचार किया गया है। सरकारी स्कूलों में बच्चे की उम’ 5 साल करने के विषय पर तावड़े ने कहा कि ऐसा करने से राज्य में रैगिंग भी बढ़ सकती है। बता दें कि महाराष्ट्र सहित बिहार, पंजाब, मेघालय, मणिपुर,त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, नगालैंड, मिजोरम सहित अन्य केन्द्रशासित राज्यों में पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र 6 वर्ष ही है।
 

Created On :   18 July 2018 8:38 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story