गंभीर रूप से पिता का घर पर इलाज कराना अवैधानिक नहीं

It is not illegal to treat father at home high court order,
गंभीर रूप से पिता का घर पर इलाज कराना अवैधानिक नहीं
गंभीर रूप से पिता का घर पर इलाज कराना अवैधानिक नहीं

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में अभिनिर्धारित किया है कि गंभीर रूप से बीमार पिता का घर पर इलाज कराना अवैधानिक नहीं है। जस्टिस अतुल श्रीधरन की एकल पीठ ने इसे निजता के अधिकार का उल्लघंन मानते हुए पुलिस एडीजी डॉ. राजेन्द्र मिश्रा के खिलाफ मानव अधिकार आयोग की ओर से जारी नोटिस को खारिज कर दिया है। एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता किसी भी प्रकार का अवैधानिक काम नहीं कर रहा है।

मृत देह को घर पर रखने का था आरोप

पुलिस मुख्यालय भोपाल में पदस्थ एडीजी डॉ. राजेन्द्र मिश्रा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उनके 84 वर्षीय पिता कुलमिण मिश्रा को इलाज के लिए निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 14 जनवरी 2019 को अस्पताल ने उनके पिता को मृत घोषित कर दिया। अस्पताल द्वारा मृत घोषित करने के बाद वह अपने पिता को अस्पताल से भोपाल स्थित घर पर ले आए। इसके बाद वैद्यराज राधेश्याम शुक्ल से अपने पिता का इलाज करवा रहे है। मानव अधिकार आयोग ने 14 फरवरी 2019 को नोटिस जारी कर कहा कि उनके पिता को एक माह पूर्व डॉक्टरों ने मृत घोषित कर मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी कर दिया है। इसके बाद भी वह अपने मृत पिता की देह को घर पर रखे हुए है। मानव अधिकार आयोग ने राज्य सरकार को इस मामले की जांच करने के लिए कहा था। एडीजी ने जांच टीम को अपने घर में घुसने नहीं दिया था। इसके बाद एडीजी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा गया कि उनके पिता जीवित है। उनका इलाज चल रहा है। उन्हें उनके पिता के इलाज से नहीं रोका जा सकता है। मानव अधिकार आयोग ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर नोटिस जारी किया है। यह उनके निजता के अधिकार का उल्लघंन है। वरिष्ठ अधिवक्ता अजय मिश्रा और अधिवक्ता अमित मिश्रा के तर्क सुनने के बाद एकल पीठ ने मानव अधिकार आयोग के नोटिस को निजता के अधिकार का उल्लघंन बताते हुए खारिज कर दिया।
 

Created On :   24 Jun 2019 7:49 AM GMT

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