जेसीए बैठक में लगेगी जम्मू कश्मीर सहित 3 सूबों के पुलिस मुखिया के नाम पर मुहर!

JCA meeting will be approved in the name of the police chief of 3 states including Jammu and Kashmir.
जेसीए बैठक में लगेगी जम्मू कश्मीर सहित 3 सूबों के पुलिस मुखिया के नाम पर मुहर!
जेसीए बैठक में लगेगी जम्मू कश्मीर सहित 3 सूबों के पुलिस मुखिया के नाम पर मुहर!

नई दिल्ली, 21 नवंबर 2019 (आईएएनएस)। संसद सत्र के एकदम बाद या फिर समय मिलने पर सत्र के बीच में ही (दिसंबर के पहले सप्ताह में), कभी भी संयुक्त कैडर अथॉरिटी (जेसीए) बैठक बुलाई जा सकती है। इस बार की यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि, बैठक में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो नए केंद्र शासित राज्यों के प्रतिनिधि भी पहली बार इसमें शिरकत करेंगे। यह मशविरा देने के लिए कि उनके सूबे का पुलिस प्रमुख किसे और क्यों बनाया जाए?

संयुक्त कैडर अथॉरिटी के चेयरमैन केंद्रीय गृह-सचिव होते हैं। अपने आप में बेहद संवेदनशील और विशेष किस्म की इस बैठक में केंद्र शासित राज्यों के प्रतिनिधि के रूप में प्रमुख सचिव/सचिव हिस्सा लेते हैं। बैठक की खास बात यह भी होती है कि केंद्र शासित किसी भी राज्य के पुलिस प्रमुख के नाम को अंतिम रूप देने वाली इस बैठक में सदस्य के रूप में दिल्ली पुलिस कमिश्नर भी शामिल होते हैं।

अमूमन यह बैठक संसद सत्र के तुरंत बाद ही बुलाई जाती रही है। मौजूदा हालात लेकिन एकदम विपरीत हैं। वजह, दिल्ली में विधानसभा चुनाव कभी भी घोषित हो सकते हैं। ऐसे में आचार संहिता लगते ही इस बैठक का आयोजन और बैठक में लिए गए अहम निर्णयों को लागू करने-कराने की प्रक्रिया अधर में लटक सकती है। लिहाजा दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले ही केंद्र सरकार को यह भी तय करना है कि दिल्ली में मौजूदा पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ही इलेक्शन संपन्न करवाएंगे या फिर कोई और? इस सवाल के पीछे वजह भी बाजिव है।

दरअसल दिल्ली के मौजूदा पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक का रिटायरमेंट जनवरी में है। केंद्र का इरादा अगर पटनायक के ही पुलिस नेतृत्व में दिल्ली विधानसभा चुनाव संपन्न कराने का है, तो ऐसे में चुनाव के बीच में अमूल्य पटनायक को सेवा-विस्तार दिए जाने की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। यह सेवा विस्तार कम से कम तीन महीने का भी हो सकता है।

हाल-फिलहाल गोवा की खाली हुई पुलिस महानिदेशक की कुर्सी पर किसी को बैठाया जाना है। लिहाजा इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि इसी बैठक में गोवा के नए पुलिस महानिदेशक के नाम को भी अंतिम रूप दे दिया जाए। उल्लेखनीय है कि गोवा के पुलिस महानिदेशक प्रणव नंदा के आकस्मिक निधन से यह पद भी फिलहाल खाली ही है।

दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (सामान्य प्रशासन) राजेश मलिक इसी महीने के (नवंबर 2019) अंत में रिटायर हो रहे हैं। बैठक में राजेश मलिक के उत्तराधिकारी के नाम पर भी अंतिम मुहर लगाई जा सकती है। जबकि 2 नवंबर को तीसहजारी कोर्ट खूनी मारपीट कांड में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर खाली कराई गई, उत्तरी परिक्षेत्र के विशेष पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) कुर्सी पर भी अभी किसी आईपीएस की फुल-टाइम तैनाती नहीं हुई है। हाल-फिलहाल स्थायी इंतजाम न होने तक इस सीट का कामकाज विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) सतीश गोलचा को दे दिया गया है। लिहाजा बैठक में 1990 बैच (अग्मू कैडर) के आईपीएस संजय सिंह को हटाये जाने के बाद खाली हुई इस कुर्सी पर बैठाए जाने वाले आईपीएस का नाम भी तय किए जाने की प्रबल संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।

इसी तरह दिल्ली में उत्तरी परिक्षेत्र के संयुक्त आयुक्त राजेश खुराना की पदोन्नति भी निकट भविष्य में तय है। स्टेशन सीनियॉरटी के नजरिये से राजेश खुराना, नीरज ठाकुर (संयुक्त आयुक्त स्पेशल सेल) और आनंद मोहन (संयुक्त आयुक्त नई दिल्ली रेंज) ऊपर ही हैं। लिहाजा पदोन्नति के साथ ही उनका दिल्ली से बाहर स्थानांतरण भी तय है। राजेश खुराना को पदोन्नति के साथ कहां भेजा जाएगा और उनकी खाली जगह पर यानी दिल्ली में संयुक्त आयुक्त उत्तरी रेंज की कुर्सी पर कौन बैठेगा? सूत्रों के मुताबिक मीटिंग में इस पर भी मंथन होने की प्रबल संभावनाएं हैं।

इन तमाम बिंदुओं के साथ-साथ और सबसे ऊपर इस बैठक में मुद्दा होगा हाल ही में दो नए राज्यों के रूप में शामिल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के पुलिस प्रमुखों के नाम पर अंतिम मुहर लगाया जाना। यह पहला मौका होगा जब ज्वाइंट कैडर अथॉरिटी बैठक में ये दोनों नए राज्य भी पहली बार शामिल होंगे।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, बैठक में इस मुद्दे पर भी मंथन होने की पूरी-पूरी संभावनाएं बन रही हैं कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में तैनात पुलिस अफसरों को भी अब केंद्र शासित अन्य राज्यों में क्यों न भेजा जाए?

Created On :   21 Nov 2019 3:30 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story