मोदी की कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं जेडीयू के दो मंत्री

JD(U) return to help NDA in other states
मोदी की कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं जेडीयू के दो मंत्री
मोदी की कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं जेडीयू के दो मंत्री

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एनडीए में जेडीयू को शामिल करने के लिए नीतीश की पाटी के दो सांसदों को केंद्र में कैबिनेट और राज्य मंत्री पद देने का लुभावना ऑफर दिया है। एक बार फिर अमित शाह की कूटनीति बीजेपी के लिए संजीवनी बूटी साबित हुई है। शाह इतिहास को गुमराह करते हुए इस तरह से अपने दोहरे उद्देश्यों को पूरे करने में कामयाब रहे हैं। जहां एक तरफ नीतीश के एनडीए में मिलने से शाह ने बाकी राज्यों के लिए एक उदाहण पेश किया है। वहीं दूसरी तरफ 2019 के चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी की सबसे संभावित चुनौती को भी समाप्त कर दिया है।

यह पूरा राजनीतिक संचालन नवंबर और दिसंबर में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनावों के लिए एक बेहतर कदम परिणाम की इच्छा से किया गया है। साथ ही बीजेपी का यह कदम 2018 में छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान और त्रिपुरा में होने वाले चुनावों पर स्थायी प्रभाव डाल सकता है।

बिहार में हुई सियासी उठापठक के बाद सब की निगाह इस बात पर थी कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू केंद्र में कब एनडीए के साथ शामिल होगा। नीतीश कुमार ने बीजेपी की मदद से बिहार में सरकार जरूर बनाई थी, पर उन्होंने एनडीए में शामिल होने के कोई खास संकेत कभी नहीं दिये थे। गौरतलब है कि 4 साल के बाद शनिवार को एक बार फिर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, एनडीए में शामिल होने का फैसला किया है। नीतीश कुमार के घर में हुई कार्यकारिणी की बैठक में इसका प्रस्ताव पारित कर दिया गया है।

शरद यादव को जनाधार पर भरोसा

कई विपक्षी नेताओं ने जेडीयू के संयोजक शरद यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ एकजुट होकर विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए हामी भर दी है। लेकिन, किसी भी जाति के संयोजन या किसी क्षेत्र में पकड़ ना होने की स्थिति में शरद यादव के लिए मुख्यमंत्री का सपना रखना मुश्किल होगा। यादव के करीबी नेता ने कहा कि वे सभी भाजपा के साथ फिर से मिलने के नीतीश के फैससे के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हैं। इसी के साथ निलंबित सांसद अली अनवर ने कहा, "बेशक हमारे पास पर्याप्त सांसद और विधायक नहीं हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर मजदूर वर्ग, बिहार के लोग और पूरा देश में हमारे साथ हैं। हम लड़ेंगे और जीतेंगी भी।" बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए अब भी 2019 के लोकसभा चुनावों की नजर से उत्तरप्रदेश की तरफ से बिहार में अपना सामाजिक आधार बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। नीतीश कुमार ने एनडीए शिविर में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान बेहद पिछड़े वर्ग के रूप में राजनीतिक बैनर के तहत 100 से अधिक जातियों को सफलतापूर्वक समेकित किया।

ग्रैंड एलायंस का टूटना बाकि विपक्षी दलों के लिए एक चुनौती

इस तरह से ग्रैंड एलायंस के टूटने ने अन्य विपक्षी दलों के एक साथ काम करने और सत्ता में टिकी रहने की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है। अगर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद इतनी बड़ी शक्ति होने के बावजूद एक साथ नहीं रह सकते, तो मायावती और अखिलेश यादव, ममता बनर्जी और सीताराम येचुरी और कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी,अरविंद केजरीवाल और शीला दीक्षित नरेन्द्र मोदी को कैसे चुनौती देंगे? ममता और शरद पवार दोनों के ही कहने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी उनको ये आश्वासन देने के लिए राजी हैं कि कांग्रेस राहुल गांधी को गठबंधन के नेता बनाने पर जोर नहीं देगी। ऐसा माना जा रहा है कि क्षेत्रीय दल खुद को कांग्रेस के साथ लाना चाहते हैं, पर वो उन पर किसी भी नेता का नेतृत्व नहीं चाहते है।
 

Created On :   20 Aug 2017 4:06 AM GMT

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