राम मंदिर निर्माण  के लिए कानून बनाकर रामभक्ति का परिचय दें मोदी : आचार्य जितेन्द्रनाथ

Jitendra Nath Maharaj  says, PM Modi should built ram temple
राम मंदिर निर्माण  के लिए कानून बनाकर रामभक्ति का परिचय दें मोदी : आचार्य जितेन्द्रनाथ
राम मंदिर निर्माण  के लिए कानून बनाकर रामभक्ति का परिचय दें मोदी : आचार्य जितेन्द्रनाथ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए गठित पूज्य संत उच्चाधिकार समिति ने स्वीकार किया कि चार साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बार भी अयोध्या नहीं जाने से संतों में आक्रोश है, लेकिन उन्होंने उत्तरप्रदेश की कमान एक संत योगी आदित्यनाथ के हाथों में सौंपी है। समिति के महाराष्ट्र से एकमात्र सदस्य श्रीदेवनाथ मठ (सुर्जी-अंजनगांव) के श्रीनाथ पीठाधिश्वर आचार्य श्रीजितेंद्रनाथ महाराज ने कहा कि मोदी भले ही अयोध्या नहीं गए, लेकिन उनके हृदय में राम बसे हैं। राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाकर मोदी को रामभक्ति का परिचय देना चाहिए। राम मंदिर निर्माण के लिए जनजागरण हेतु पूज्य संत उच्चाधिकार समिति ने नागपुर सहित देशभर में चार स्थानों पर हुंकार सभा का आयोजन किया है। नागपुर में 25 नवंबर को होने वाली हुंकार सभा की जिम्मेदारी आचार्य श्रीजितेंद्रनाथ महाराज तथा साध्वी ऋतंभरा को सौंपी गई है। हुंकार सभा की तैयारी में जुटे जितेंद्रनाथ महाराज दैनिक भास्कर से विशेष बातचीत में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह अन्य धर्मों के आस्था स्थलों पर जाकर सभी मजहब, पंथ और संप्रदाय से समान रिश्ते की बात कर रहे हैं, तो राम मंदिर के लिए कानून बनाकर हिंदुओं के साथ भी समानता का रिश्ता निभाना चाहिए। 

चुनाव से कोई संबंध नहीं
आचार्य जितेंद्रनाथ ने स्पष्ट किया कि राम मंदिर निर्माण के लिए देशभर में चार स्थानों पर हुंकार सभा का सन 2019 के चुनाव से कोई संबंध नहीं है। यह महज संयोग है कि राम मंदिर को लेकर संतों द्वारा चलाया जा रहा जनजागरण और चुनाव करीब है। राजनीति से इसका कोई संबंध नहीं है। यदि कांग्रेस पार्टी भी कहती है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा तो संत और समाज इसका स्वागत करेगा। केंद्र सरकार राम मंदिर निर्माण को लेकर दोनों सदनों में अध्यादेश लाए तो साफ हो जाएगा कि कौन राम मंदिर के पक्ष में है और कौन विरोध में।

इसलिए उठाया मुद्दा
राम मंदिर का मुद्दा पहले क्यों नहीं उठाया, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा था कि राम जन्मभूमि मामले पर नियमित और तेज गति से सुनवाई होगी, लेकिन उनकी सेवानिवृत्ति के बाद कोर्ट ने इस मामले की उपेक्षा करते हुए सुनवाई जनवरी तक टाल दी। साथ ही सरकार भी अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण का आश्वासन दिया था। भाजपा की सरकार बहुमत में आने से आशा थी कि कोई कदम उठाएगी, लेकिन मौन है। इससे संत समाज में रोष है। 

कोर्ट मामले को प्राथमिकता दे 
उन्होंने कहा कि समाज और संतों के साथ विश्वासघात नहीं होना चाहिए। संत सत्ता किसी से बंधी नहीं है। यह आंदोलन कोर्ट और सरकार के विरोध में नहीं है। कोर्ट और सरकार को उनके कर्तव्य के प्रति आगाह करने के लिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है। सरकार राम मंदिर के लिए कानून बनाए और कोर्ट मामले की प्राथमिकता से सुनवाई करे। कानून बनाना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि न्याय व्यवस्था पर हमारा विश्वास है, लेकिन मंदिर मामले की उपेक्षा से यह विश्वास डोलने लगा है।

आंदोलन होगा आखिरी रास्ता
उन्होंने कहा कि कोर्ट ने भी कहा है कि वर्तमान स्थल राम जन्मभूमि है। इसलिए अब जल्द फैसला करना चाहिए। हिंदुओं की सहनशीलता की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए। यदि सरकार जनमत के दबाव में कदम उठाना चाहती है तो संत समाज जनजागरण कर दबाव भी बनाएगा। राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन आखिरी रास्ता होगा। संत और समाज का जब ज्वार उठेगा, तो रोकना मुश्किल होगा। प्रस्तावित मंदिर से भी बड़ा मंदिर बनेगा, क्योंकि यह करोड़ों लोगों की आस्था का सवाल है। यह मामला हल नहीं होने के कारण देश में अस्थिरता का वातावरण रहता है।  

हुंकार सभा में 3 लाख लोगों के आने का दावा 
क सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 25 नवंबर को क्रीड़ा चौक स्थित ईश्वरराव देशमुख शारीरिक महाविद्यालय के ग्राउंड में आयोजित हुंकार सभा में पूर्व विदर्भ से करीब 3 लाख लोग आएंगे। हुंकार सभा को आचार्य जितेंद्रनाथ साध्वी ऋतंभरा, विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोककुमार तथा ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती संबोधित करेंगे। 
 

Created On :   19 Nov 2018 10:42 AM GMT

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