परमाणु रिव्यु: भारत की शक्ति का एहसास कराती है फिल्म, जॉन ने की दमदार एक्टिंग

परमाणु रिव्यु: भारत की शक्ति का एहसास कराती है फिल्म, जॉन ने की दमदार एक्टिंग

फिल्म: परमाणु :द स्टोरी ऑफ पोखरण
डायरेक्टर: अभिषेक शर्मा
स्टार कास्ट: जॉन अब्राहम, बोमन ईरानी, डायना पैंटी, दर्शन पांडेय, अनुजा साठे, विकास कुमार, योगेंद्र टिक्कू
अवधि: 2 घंटा 10 मिनट
सर्टिफिकेट: U
रेटिंग: 4 स्टार

निर्देशक परिचय 


डायरेक्टर अभिषेक शर्मा निर्देशित फिल्म परमाणु :द स्टोरी ऑफ पोखरण आज रिलीज हो गई है। अभिषेक शर्मा ने 2010 में "तेरे बिन लादेन" से डेब्यू किया था, जिसके 6 साल बाद उन्होंने इसी फिल्म का सीक्वल "तेरे बिन लादेन डेड और अलाइव" बनाया। वह फिल्म "द शौकीन्स" भी लेकर आए जो कुछ खास कमाल नहीं कर पाई। इसके बाद अभिषेक शर्मा ने जॉन अब्राहम का ड्रीम प्रोज्क्ट ""परमाणु"" को निर्देशित किया। यह फिल्म 1998 में राजस्थान में हुए परमाणु परीक्षण पर आधारित है। आइए रिव्यू के जरिए जानते हैं कि फिल्म दर्शकों पर क्या छाप छोड़ पाई। 

 

कहानी:

परमाणु की कहानी एक ऐसी कहानी है जो दुनिया को भारत की शक्ति का एहसास कराएगी। इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे 1998 में भारत ने अपना परमाणु टेस्ट किया था, फिल्म 80 प्रतिशत सच्चाई को बयान करती है। कहानी की शुरुआत 1995 से होती है जब पीएमओ के एक जूनियर ब्यूरोक्रेट अश्वत रैना (जॉन अब्राहम) भारत के परमाणु परीक्षण पर एक रिपोर्ट तैयार करके सरकार को देते हैं। उस समय इस रिपोर्ट को पूरी तरह से नहीं पढ़ा जाता है और परमाणु मिशन धरा रह जाता है। यह मिशन फेल होने का जिम्मेदार अश्वत रैना को बना दिया जाता है। जिस कारण अश्वत को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है और दिल्ली से वापस मसूरी की ओर रुख करना पड़ता है। इसी बीच वह कॉलेज के लड़कों को लोक सेवा आयोग की परीक्षा के लिए पढ़ाना शुरू कर देता है। इस बीच दिल्ली में सरकार बदलती है और परमाणु परीक्षा की बात फिर से उठने लगती है। प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सचिव एक बार फिर से उस मिशन को जिन्दा करते हैं और अश्वत को उसकी लीडरशिप की जिम्मेदारी देते हैं। इसके बाद अश्वत अपने खास लोगों को चुनकर एक टीम बनाता है और परमाणु परीक्षण के लिए राजस्थान के पोखरण में डेरा डालता है। अब अश्वत कैसे इस मिशन को सफल करता है, यह देखने के लिए आपको सिनेमाघरों की ओर रुख करना होगा। 

 

 

जाने-माने फिल्म विषलेषक तरण आदर्श ने ट्ववीट किया है, फिल्म जबरदस्त है, इसका क्लाइमेक्स एक दूसरे लेवल पर ले जाता है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की एक बेस्ट फिल्म है। 

 

 

पटकथा और निर्देशन

इस फिल्म का स्क्रीनप्ले जबरदस्त है, इसके लेखक सेवन क्वाद्रस, संयुक्ता चावला शेख और अभिषेक शर्मा बधाई के पात्र हैं। डायरेक्टर अभिषेक शर्मा ने फिल्म के निर्देशन में कहीं भी कमी नहीं की है। यह फिल्म उत्तराखंड, देहरादून और मसूरी में फिल्माई गई है। सिनेमेटोग्राफी भी बेहतरीन है। फिल्म की कहानी बिल्कुल कसी हुई है। 90 के दशक की फुटेज भी काफी बेहतरीन तरीके से यूज की गई है।  


 

 

अभिनय और संगीत

जॉन अब्राहम ने फिर सबित किया है, कि वह इस तरह की फिल्मों के लिए एक फिट अभिनेता हैं, इससे पहले जब वे मद्रास कैफे में दिखे तो उनकी एक्टिंग की काफी तारीफ हुई थी। अनुजा साठे ने भी फिल्म में अच्छा अभिनय किया है। डायना पैंटी, बोमन ईरानी के साथ-साथ विकास कुमार, योगेंद्र टिंकू, दर्शन पांडेय, अभीराय सिंह, अजय शंकर और बाकी किरदारों ने बेहतरीन अभिनय किया है। फिल्म का संगीत भी सुखद हैं। दिव्य कुमार का "थारे वास्ते" संगीत आपको बांधे रखता है।

 

 

क्यों देखें

यह फिल्म सत्य घटनाओं पर बेस्ड है। 1998 में भारत में परमाणु परीक्षण के बाद अमेरिका के साथ-साथ आस-पास के देशों को भी झटका लगा था। इस पूरी घटना को निर्देशक अभिषेक शर्मा ने बखूबी पर्दे पर उतारा है। अगर आप जॉन अब्राहम के फैन हैं तो यह फिल्म जरूर देख सकते हैं। 


 
 
 

बॉक्स ऑफिस

फिल्म का बजट लगभग 45 करोड़ रुपए बताया जा रहा है, जिसमें से कि 35 करोड़ रुपए प्रोडक्शन कास्ट है और 10 करोड़ रुपए प्रिंट और पब्लिसिटी। भारत में फिल्म 1600 से ज्यादा स्क्रीन्स में रिलीज होगी। फिल्म पहले दिन 5 करोड़ से ऊपर का आकड़ा छू सकती है। 

Created On :   25 May 2018 10:09 AM GMT

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