याकूब मेनन को फांसी, सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान जैसे फैसले लिए हैं, जल्द संभालेंगे चीफ जस्टिस की कुर्सी

याकूब मेनन को फांसी, सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान जैसे फैसले लिए हैं, जल्द संभालेंगे चीफ जस्टिस की कुर्सी
याकूब मेनन को फांसी, सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान जैसे फैसले लिए हैं, जल्द संभालेंगे चीफ जस्टिस की कुर्सी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मौजूदा जस्टिस जेएस खेहर का कार्यकाल 27 अगस्त को खत्म हो रहा है। उनकी जगह दीपक मिश्रा लेंगे। दीपक मिश्रा 3 अक्तूबर को 45वें चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेंगे। मिश्रा इस समय के सबसे सीनियर जज है। राष्ट्रपति की मुहर के बाद ही केंद्र सरकार ने दीपक शर्मा का नाम बतौर चीफ जस्टिस घोषित कर दिया है। मिश्रा ने अबतक के सर्विस लाइफ में कई बड़े और अहम फैसले लिए हैं। दीपक मिश्रा बड़े और विवादित मुद्दों पर अपने जजमेंट के लिए चर्चा में रहे हैं। याकूब मेनन की फांसी के फैसले पर तो उन्हे धमकी भी मिल चुकी है।आइए जानते हैं जस्टिस दीपक मिश्रा से जुड़े कुछ ऐसे ही फैसले और किस्से।

दीपक मिश्रा के दादा थे उड़ीसा के शिक्षा मंत्री

गोदावरीश मिश्र जस्टिस दीपक मिश्रा के दादा है। जो 1941 में उड़ीसा के शिक्षा मंत्री और वित्तमंत्री बने थे। 1937 से 1956 तक (एक बार छोड़कर) हर बार विधायक रहे। वे एक कवि और संपादक भी थे महात्मा गाँधी से प्रभावित होकर कांग्रेसी बने और 1939 मे सुभाष चंद्र बोस से जुड़े। जिसके बाद 1951 में निर्दलीय विधायक बने।

दिल्ली का निर्भया केस में फांसी की सजा

2012 का दिल झकझोर देने वाला केस, किसको याद ही होगा। केस के बाद हर किसी को कोर्ट के फैसले का इंतजार था। 5 मई 2016 को इस गैंगरेप में तीनों दोषियों की फांसी की सजा जस्टिस मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने ही बरकरार रखी थी।

सिनेमाहॉल में राष्ट्रगान का फैसला 

सिनेमाहाल मे फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान का फैसला तो आपको याद होगा। 30 नवंबर 2016 को इसका फैसला जस्टिस दीपक मिश्रा ने ही सुनाया था।

वेबसाइट पर 24 घंटे के अंदर दर्ज हो FIR    

जस्टिस मिश्रा ने 7 सितंबर को एक फैसले में दिल्ली पुलिस को आदेश दिया कि, FIR दर्ज करने के 24 घंटे के अंदर उसे वेबसाइट पर अपलोड करें। जस्टिस सी नागप्पन उनके साथ इस फैसले मे बेंच पर थे।

याकूब मेनन की फांसी का फैसला 

13 ब्लास्ट, 257 लोगों की मौत, 700 से ज्यादा लोग घायल। मुंबई 1993 ब्लास्ट।  23 साल बाद फैसला। याकूब को फांसी किसे याद नही होगी। इस फांसी के फैसले का निर्णय लेने वाली बेंच में भी जस्टिस दीपक मिश्रा ही थे। जिसके बाद उन्हे जान से मारने की भी धमकी मिली थी।

प्रमोशन में रिजर्वेशन 

2012 के कांग्रेस सरकार के प्रमोशन में रिजर्वेशन के फैसले पर भी रोक लगाने वाले जज भी दीपक मिश्रा ही थे। सुनवाई में साथ दिया था जस्टिस दलवीर भंडारी ने। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया था। जिसमें कहा गया था कि प्रमोशन में आरक्षण तभी दिया जा सकता है। जब जरूरतमंद की पहचान करने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज मौजूद हो। सुप्रीम कोर्ट ने सभी जरूरी डेटा ना दे पाने के कारण ही यूपी सरकार के प्रमोशन में आरक्षण के फैसले को पलट दिया था।

अब अयोध्या विवाद पर करेंगे सुनवाई 

देश के प्रमुख विवादों में से एक अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद की सुनवाई में भी दीपक मिश्रा ही जज होंगें। गौरतलब हो कि हाईकोर्ट ने  30 सितंबर 2010 को मामले में लखनऊ बेंच के तीन जजों ने मेजॉरिटी से फैसला दिया। कि विवादित जमीन को तीन भागों में बांट दिया जाए और सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला को इनका मालिकाना हक दे दिया जाए। इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दायर की गयी है जिसकी सुनवाई 11 अगस्त से शुरू हुई है।

Created On :   12 Aug 2017 3:17 AM GMT

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