कितनी है कलियुग की आयु, क्या है युग चक्र, जानें...
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू मान्यताओं के अनुसार युग चार काल चक्र के साथ विशिष्टिकाल या युग को संदर्भित करता है। वर्तमान में चल रहा युग कलियुग है। यह 3102 ईसा पूर्व में आरंभ हुुआ। हालांकि इसे लेकर भी कई तरह की अलग-अलग मान्यताएं हैं। चार युग एक महायुग बनाते हैं जो 4.32 मिलियन मानव वर्ष के बराबर होता है। ब्रम्हा के एक दिन में एक हजार महायुग या 4.32 बिलियन मानव वर्ष होते हैं। महाकल्प में ब्रम्हा का सौ वर्ष सम्मलित होता है।
पुराणों में ऐसा है उल्लेख
पुराणों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि यह अंतिम युग है। जिसमंे अंधकार एवं अज्ञानता का बोलबाला होगा। लोग पापी और सदाचार रहित होंगे। भावनाओं के वशीभूत होकर कार्य करेंगे। औसत आयु 100 वर्ष रह जाएगी, जो युग की समाप्ती तक घटकर बीस वर्ष होगी।
युग चक्र
प्रथम युग अर्थात सतयुग स्वर्ण युग था। यह सत्य और पूर्णता का युग था क्योंकि केवल एक ही धर्म था और लोग संत थे। रोग-शोक से रहित किसी चीज का भय नही था।
दूसरा युग त्रेता युग था जिसमें सदाचार में थोड़ी कमी आई। सम्राटों का प्रभुत्व हुआ। महासागर और मरूस्थल बने। मनुष्य की आयु घटकर दस हजार वर्ष रह गई।
तीसरा युग द्वापर युग, जिसमें लोग अपने पूर्वजों के समान मजबूत नही रह गए। मनुष्य की औसत आयु घटकर कुछ शताब्दी रह गई। रोग अनियंत्रित हो गए। विवादों में वृद्धि हुई।
आयु 432,000 वर्ष के बराबर
इस प्रकार युग परिवर्तन के बाद कलियुग का आगमन हुआ। जिसकी आयु 432,000 वर्ष के बराबर है। पुराणों में ऐसा भी उल्लेख मिलता है कि कलियुग का वास स्वर्ण में है। जिसकी वजह से जो भी इसे जितना अधिक धारण करेगा। उस पर भी इसका स्पष्ट असर देखने मिलेगा। इस युग में मनुष्य को ईश्वर की आराधना की सलाह दी गई है। जो उसके समस्त दुखों एवं दोषों को नाश होने वाला बताया गया है।
Created On :   14 Jan 2018 3:07 AM GMT