कर्नाटक: राज्य सरकार ने लिंगायत समुदाय को दिया अल्पसंख्यक का दर्जा

Karnataka: Minority status given to Lingayat community by state government
कर्नाटक: राज्य सरकार ने लिंगायत समुदाय को दिया अल्पसंख्यक का दर्जा
कर्नाटक: राज्य सरकार ने लिंगायत समुदाय को दिया अल्पसंख्यक का दर्जा

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक सरकार ने चुनाव से पहले एक और बड़ा दांव खेलते हुए लिंगायत सुमुदाय को अलग धर्म की मान्यता देने के बाद एक और घोषणा की है। राज्य सरकार ने अब लिंगायत समुदाय को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की घोषणा की है। सरकार के इस फैसले को कांग्रेस का चुनावी चाल बताते हुए इसकी काफी आलोचना भी की जा रही है। लिंगायतों के एक समूह वीरशैव ने शुक्रवार को ही कांग्रेस से दोनों समूहों के बीच मतभेद ना डालने के लिए कहा गया था। बता दें इससे पहले राज्य सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंखयक का दर्जा देने के लिए केंद्र से सिफारिश की थी। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार इस प्रस्ताव को मंजूर करने के मूड में नहीं दिख रहा है। इस प्रस्ताव को लेकर पीएम मोदी के नेतृत्व में एक मीटिंग का भी आयोजन किया गया था। मीटिंग के दौरान अधिकतर मंत्रियों ने लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने का विरोध किया था।

2013 में कांग्रेस ने खुद ठुकराया था लिंगायतों का प्रस्ताव 
राज्य की कुल आबादी में 18% की हिस्सेदारी रखने वाले लिंगायत समुदाय के लोग प्रदेश की अगड़ी जाति में आते हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस सरकार की ओर से यह फैसला भाजपा को कमजोर करने के लिए लिया गया है। प्रस्ताव पर चर्चा के लिए राखी गई मीटिंग के दौरान कहा गया कि लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने से दलितों के आरक्षण में कमी आएगी। दिलचस्प बात यह है कि राज्य सरकार के इस कदम ने भले ही राजनीतिक तूफ़ान खड़ा कर दिया हो लेकिन 2013 में कांग्रेस की नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने लिंगायतों को अलग धर्म का दर्जा देने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। बताया जाता है कि 12वीं सदी के दौरान समाज सुधारक बास्वन्ना ने हिन्दू धर्म की खिलाफत करते हुए एक आन्दोलन छेड़ा था। वे मूर्ती पूजा की खिलाफत करते थे और उन्होंने वेदों को मानने से भी इनकार कर दिया था। 

Created On :   23 March 2018 3:05 PM GMT

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