कार्तिक पूर्णिमा: सूर्यास्त के बाद करें ये कार्य, जानें पूजा विधि

Kartik Purnima: do these tasks after sunset, know the worship method
कार्तिक पूर्णिमा: सूर्यास्त के बाद करें ये कार्य, जानें पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा: सूर्यास्त के बाद करें ये कार्य, जानें पूजा विधि

डिजिटल डेस्क। हिन्दू धर्म में कार्तिक माह को सबसे उत्तम और पवित्र माह माना जाता है। इस माह में कई बड़े त्यौहार और व्रत आते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु, शंकर, माता लक्ष्मी को यह महीना विशेष रूप से प्रिय है, इसलिए इस माह में किए अच्छे-बुरे कार्य जातक को तत्काल फल प्रदान करते हैं। इस माह में पूर्णिमा का खास महत्व है, जो कि आज है। इस दिन स्नान-दान करने का बहुत महत्व होता है। 

नियम और अनुशासन
कार्तिक मास में नियम तथा अनुशासन पूर्वक है तो कि भगवान विष्णु, शंकर, माता लक्ष्मी तीनों भगवानों की कृपा प्राप्त होती है। तीनों देवी देवताओं की कृपा से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इस माह में जातक को सभी पापों से मुक्ति भी मिलती है। किंतु जो लोग पूरे माह नियमों और अनुशासन का पालन नहीं कर पाए, उनके लिए ‘कार्तिक पूर्णिमा’ का बहुत अच्छा अवसर है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन कुछ विशेष उपाय कर आप अपने दुखों से मुक्त होकर श्रीहरि के कृपापात्र बन सकते हैं और जातक को हर प्रकार से उन्नति मिलती है।

गंगा स्नान का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व होता है। जिस किसी भी जातक को आर्थिक कष्ट हों उसे इस दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय करने चाहिए। भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की पूजा करना तथा इस दिन व्रत रखना आपको शुभ लाभ देगा।  

मिलेगा ये फल
इस दिन व्रत रखने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो व्यक्ति व्रत रखता है उसे इस दिन नमक का इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। व्रत करने वाले इस दिन ब्राह्मणों या योग्य पात्र को दान करें।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन आप अपने घरों में हवन, यज्ञ पूजा आदि करा सकते है। इस दिन कुछ लोग गंगा स्नान के लिए जाते हैं। ऐसा मना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से आपकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और आपका पूण्य फल दोगुना हो जाता है।

पूजा विधि
मन्त्र 
ॐ नम: शिवाय और नारायण्यै दशहरायै गंगाये नम:

इस मंत्र का जाप करें तथा हवन यज्ञ करके आहूतियां डाले, धरती पर गंगा  को लाने वाले भागीरथ और जहां से वह आई हैं उस हिमालय के नाम का स्मरण करते हुए उनका भी विधिवत पूजन करें।

संध्याकाल सूर्यास्त के बाद तुलसी पर दीपदान करें और चार परिक्रमा करें। नमक वाला भोजन न खाएं,रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें।

Created On :   12 Nov 2019 4:48 AM GMT

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