गंगा से लेकर नर्मदा तक, इन नदियों में मिलता है कार्तिक स्नान का पुण्य

Kartik Purnima or Tripuri Purnima, Read here about holy river
गंगा से लेकर नर्मदा तक, इन नदियों में मिलता है कार्तिक स्नान का पुण्य
गंगा से लेकर नर्मदा तक, इन नदियों में मिलता है कार्तिक स्नान का पुण्य

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का बड़ा महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। इस दिन जो भी व्रत रखता है उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पवित्र नदी तटों पर कार्तिक माह की पूर्णिमा को मेले भी भरे जाते हैं। कुछ मेले एक दिवसीय होते हैं तो कुछ पूरी भव्यता के साथ पांच दिनों तक एकादशी से पूर्णिमा तक चलते हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसी पवित्र सलिलाओं और उनके तटों पर लगने वाले मेलों के बारे में बता रहे हैं जिनका स्नान कार्तिक पूर्णिमा पर विशेष बताया गया है और इनका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है। जहां पूर्णिमा के अवसर पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमघट लगता है...

सभी 12 पूर्णिमाओं में कार्तिक मास की पूर्णिमा का विशेष स्थान है। इस पूर्णिमा को गंगा स्नान पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। अतः स्पष्ट है कि इस दिन गंगा स्नान का कितना महत्व है। संगमस्थल गंगा के मुख्य तटों पर मेले का माहौल होता है। हर ओर जतना लाखों की संख्या में नजर आती है। कार्तिक स्नान पर इलाहबाद से प्रयाग तक पुण्य सलिला में मां गंगा से प्रार्थना व स्नान करने लोग एक दिन पूर्व ही पहुंच जाते हैं। 

गंगा के अलावा नर्मदा स्नान का भी उतना ही महत्व है। नर्मदा के तटों पर भी जमघट देखने मिलता है। इस दौरान जबलपुर स्थित विश्व प्रसिद्ध भेड़ाघाट नर्मदा के तट पर भी जनसैलाब उमड़ पड़ता है। मान्यता है कि नर्मदा के तट पर स्नान करने से शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही विष्णुदेव की कृृपा भी बनी रहती है। 

उज्जैन का शिप्रा तट भी इस दिन श्रद्धालुओं से भरा रहता है। अमृत कलश से अमृत की एक बूंद यहां भी गिरी थी। जिसकी वजह से कार्तिक पूर्णिमा पर ब्रम्ह मुहूर्त में शिप्रा के स्नान करने ने से सभी रोग संतापों का निवारण होता है। महादेव की नगरी में शिप्रा के स्नान से श्रीहरि विष्णु और महादेव दोनों की कृृपा से भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं। 

राजस्थान का पुष्कर मेला जगप्रसिद्ध है। यहां मेला पांच दिनों तक चलता है और पूर्णिमा को समाप्त होता है। पूर्णिमा से एक दिन पूर्व शाही स्नान व खास पूर्णिमा के दिन महास्नान में यहां का नजारा कुंभ के समान होता है। दूर-दूर से बड़े-बड़े साधु-संत, योगी यहां स्नान व ब्रम्हदेव पूजन के लिए पहुंचते हैं। 

पूर्णिमा मेले में मुख्य श्रद्धा दुर्ग के तालाबों में स्नान की है। कार्तिक पूर्णिमा का ऐतिहासिक कालिंजर दुर्ग का मेला भी काफी फेमस है।  बुड्ढा-बुड्ढी तालाब, रामकटोरा, कोटितीर्थ तालाबों और स्वर्गारोहिणी कुंड में श्रद्धालु स्नान करने के बाद नीलकंठेश्वर मंदिर में जलाभिषेक करते हैं। यह  बुंदेलखंड के मशहूर मेलों में शामिल है। भगवान भाेलेनाथ का स्थान हाेने की वजह से यहां स्नान का पुण्य पवित्र नदियाें के समान ही माना गया है।

Created On :   4 Nov 2017 6:30 AM GMT

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