खरमास समाप्त, सूर्य की दिशा से ऐसे निर्धारित होती है मकर संक्रांति

kharmas 2018 will be end on the Makar Sankranti Snan Parva 2018
खरमास समाप्त, सूर्य की दिशा से ऐसे निर्धारित होती है मकर संक्रांति
खरमास समाप्त, सूर्य की दिशा से ऐसे निर्धारित होती है मकर संक्रांति

 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  विशिष्ट माहों में होने वाली प्राकृतिक घटनाओं तथा ऋतुओं के चक्रों को बिगड़ने से बचाने के लिए चंद्र वर्ष तथा सौर वर्ष के बीच के अंति को समायोजित करने के उद्देश्य से प्रत्येक 2-3 वर्षों बाद किसी चंद्र वर्ष में जोड़े जाने वाले अंतर्विशी मास को अधिक मास कहा जाता है। इसे ही खरमास या अधिकमास भी कहा जाता है, जो कि 14 जनवरी 2018 को मकर संक्रांति के साथ ही समाप्त हो रहा है। एक अाेर जहां मकर संक्रांति की धूम हाेगी वहीं खरमास समाप्त हाेगा आैर एक बार फिर शुभकार्य प्रारंभ हाे सकेंगे। खरमास में मंगलकार्य वर्जित होते हैं। खरमास 16 दिसंबर 2017 से शुरू हुआ था।

 

प्रत्येक सौर वर्ष में 11 दिन कम

दरअसल, चंद्रवर्ष में 354 दिन होते हैं तथा यह प्रत्येक सौर वर्ष से 11 दिन कम होता है। इन 11 दिनाें को समायोजित करने के उद्देश्य से प्रत्येक 2.5 वर्षों के अंतराल में चंद्र कैलेण्डर में एक अंतर्वेशी मास जोड़ा जाता है जिसे अधिकमास कहते हैं। इस मास ने भगवान कृष्ण की शरण ली थी जिसकी वजह से इस पुरूषोत्तम मास भी कहा जाता है।

 

एक वर्ष में 12 संक्रमण

सूरत प्रत्येक वर्ष एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। सूरज की गति असमान होती है। किसी राशि चक्र चिंह में सूरज के प्रवेश को संक्रमण या संक्रांति कहते हैं। एक वर्ष में ऐसे 12 संक्रमण होते हैं। सूर्य की गति का असर प्रत्येक राशि में माह के अनुसार ही देखने मिलता है।

 

Related image

 

रात की लंबाई ज्यादा

मकर संक्रांति सभी संक्रांतियाें में श्रेष्ठ कही जाती है। दक्षिणी गोलार्द्ध में इस दिन रात की लंबाई अधिक होती है। इसके ठीक विपरीत ऐसा मास जिसके दौरान दो सूर्य संक्रांतियां घटित हों उसे शाय मास कहा जाता है। प्रत्येक दिन का नक्षत्रों के अनुसार विशेष महत्व है। इसी के अनुसार आगे के व्रत त्याेहारों का निर्धारण हाेता है।

Created On :   13 Jan 2018 2:34 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story