कोम्बिनेड़ वुड कटिंग और फिनिशिंग सिस्टम से बच्चों ने किया कुछ ऐसा अविष्कार

Kids invention from Combined Wood Cutting finishing System
कोम्बिनेड़ वुड कटिंग और फिनिशिंग सिस्टम से बच्चों ने किया कुछ ऐसा अविष्कार
कोम्बिनेड़ वुड कटिंग और फिनिशिंग सिस्टम से बच्चों ने किया कुछ ऐसा अविष्कार


डिजिटल डेस्क, पवनी (भंडारा)।  बच्चों के भीतर छिपी प्रतिभा को  मौका प्रदान किया जाए तो वे आश्चर्यजनक सफलताएं हासिल कर सकते हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है पवन पब्लिक स्कूल के दो बच्चों ने। पवनी जैसी छोटी सी नगरी के दो बच्चों ने कम्बीनेड वुड कटिंग और फिनिशिंग सिस्टिम नामक यंत्र प्रस्तुत कर डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम इग्नाइट पुरस्कार-2017 से नवाजे गए।  उल्लेखनीय है कि  नया अविष्कार या नई खोज प्रदर्शित करनेवाले बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन इंडिया (एन.आई.एफ.) की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर डा.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम इग्नाइट पुरस्कार-2017  हेतु स्पर्धा आयोजित की जाती है। जिसमें पूरे देश के बच्चे हिस्सा लेते हैं। गत वर्ष भी बड़ी संख्या में बच्चों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था।

पवन पब्लिक स्कूल के बच्चों ने रोशन किया नाम
पवन पब्लिक स्कूल की विधि राजेश एलशेट्टीवार तथा समीर गौतम रामटेके नामक विद्यार्थियों ने अपनी कल्पना से नई तकनीक का इजाद कर यह सम्मान हासिल किया। इन विद्यार्थियों ने बांस व लकड़े का व्यवसाय करने वालों के लिए विशेष तकनीक का निर्माण किया जिससे बांस एवं लकड़ा व्यवसाय करनेवालों को अब अपने कार्य या व्यवसाय में असुविधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। प्रतिवर्ष 15 अक्टूबर को डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्मदिन  एन.आई.एफ. की ओर से चिल्ड्रेन्स क्रिएटिविटी ओर इनोवेशन दिन के तौर पर मनाया जाता है और बच्चों की रचनात्मकता को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से एक प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है जिसमें 12 वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के साथ ही शाला के बाहर के 17 वर्ष से कम आयु के बच्चे हिस्सा ले सकते हैं। गत वर्ष भी इस प्रतियोगिता में पूरे देश से 65 हजार बच्चों की प्रविष्टियां आयीं जिनमें से 56 विद्यार्थियों की प्रतिकृतियों का चयन पुरस्कार के लिए किया गया। इन 56 विद्यार्थियों की सूची में से पांच विद्यार्थी महाराष्ट्र के थे और इन पांच विद्यार्थियों में भी भंडारा जिले की पवनी के दो विद्यार्थियों ने बाजी मार ली। राष्ट्रपति भवन से इस प्रतियोगिता का संचालन होता है और  स्पर्धा की संकल्पना को संवेदना नाम दिया गया है। 

बांस कारीगर ही कर पाते हैं यह कार्य
आम तौर पर बांस का काम करनेवाले कारागीर, उनके पास मौजूद यंत्रों से प्रभावी तरीके से व तेज गति से काम नहीं कर पाते। काम करते समय कई बार वे जख्मी भी हो जाते हैं। बच्चों ने उनकी तकलीफ को देखते हुए अपनी कल्पना से इन कारीगरों के लिए यंत्र का निर्माण किया। बांस तथा लकड़े पर कार्य करनेवाले कारागीर अब इस यंत्र की सहायता से प्रभावी तरीके से, तेज गति से व बिल्कुल सुरक्षित रहकर अपना काम कर पाएंगे। इस पूरी प्रणाली का नाम है  कम्बीनेड वुड कटिंग और फिनिशिंग सिस्टिम।  एन.आई.एफ. ने प्रयास कर इसकी प्रथम प्रतिकृति जिसे प्रोटोटाइप कहते हैं, तैयार की और बच्चों की कल्पना को साकार कर दिया। गत माह 22 दिसंबर को पवन पब्लिक स्कूल की छात्रा विधि राजेश येलसट्टीवार तथा छात्र समीर गौतम रामटेके को गांधी नगर (गुजरात) में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, राज्यपाल ओ.पी.कोहली (गुजरात), डा.आर.ए.माशेलकर (अध्यक्ष, एन.आई.एफ.), प्रो.अनिल के. गुप्ता (कार्यकारी उपाध्यक्ष, एन.आई.एफ.) आदि की उपस्थिति में पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह में पवन पब्लिक स्कूल की संचालक वृंदन एकनाथ बावनकर व प्राचार्य मोनाली वानखेडे भी उपस्थित थीं।
 

Created On :   24 Jan 2018 10:45 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story