धर्म: जानिये कलयुग में कब होगा भगवान विष्णु का कल्कि अवतार?

Know Fact About Lord Vishnus Kalki Avatar in Kalyuga
धर्म: जानिये कलयुग में कब होगा भगवान विष्णु का कल्कि अवतार?
धर्म: जानिये कलयुग में कब होगा भगवान विष्णु का कल्कि अवतार?

डिजिटल डेस्क, भोपाल। भगवान कल्कि का जन्मोत्सव उनके जन्म या अवतार लेने से पहले मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु का यह अवतार कल्कि अवतार कहलाएगा। पुराणों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि इस बार 16 अगस्त 2018 को है इसलिए इस दिन कल्कि जयंती का पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के कल्कि अवतार के बारे में विस्तृत वर्णन है। उसके अनुसार कल्कि अवतार कलियुग व सतयुग के संधिकाल में होगा। माना जाता है की कल्कि अवतार आखरी अवतार होगा और जो 64 कलाओं से युक्त होगा

कल्कि पुराण हिन्दुओं के विभिन्न धार्मिक एवं पौराणिक ग्रंथों में से एक है यह एक उपपुराण है। इस पुराण में भगवान विष्णु के दसवें तथा अन्तिम अवतार की भविष्यवाणी की गई है और कहा गया है कि विष्णु का अगला अवतार कल्कि अवतार होगा। इसके अनुसार 4,320 वीं शताब्दी में कलियुग के अन्त के समय भगवा विष्णु कल्कि अवतार लेंगें। पुराणों में भगवान विष्णु के 24 अवतारों का वर्णन है। इनमें से एक अवतार होना अभी शेष है।

पुराणों के अनुसार उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जिले के शंभल नामक स्थान पर विष्णुयशा नामक तपस्वी ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि पुत्र रूप में जन्म लेंगे। भगवान कल्कि देवदत्त नामक घोड़े या वाहन पर सवार होकर संसार से पापियों का विनाश करेंगे और धर्म की पुन:स्थापना करेंगे। भारत में कल्कि अवतार के कई मंदिर भी हैं, जहां भगवान कल्कि की पूजा होती है। यह भगवान विष्णु का पहला अवतार है जो अपनी लीला से पूर्व ही पूजे जाने लगे हैं। जयपुर में हवा महल के सामने भगवान कल्कि का प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निर्माण सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। इस मंदिर में भगवान कल्कि के साथ ही उनके घोड़े की प्रतिमा भी स्थापित है।

भारत के उत्तर राज्य में होंगे अवतरित 

भगवद् गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म और पाप का बोलबाला होता है, तब-तब धर्म की स्थाापना के लिए वो अवतार लेते हैं। भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में मृत्यु लोक में आठवां अवतार लिया था। शास्त्रों  में विष्णुन जी के दस अवतारों का उल्लेख मिलता है। इनमें से अब तक वे नौ अवतार तो ले चुके हैं किन्तु कलियुग में भगवान का अंतिम अवतार होना अभी शेष है।

श्रीमद्भागवत कथा पुराण के बारहवें स्कंद में लिखा है कि भगवान का कल्कि अवतार कलियुग के अंत और सतयुग के संधिकाल में होगा। शास्त्रों की मानें तो भगवान राम और श्रीकृष्ण का अवतार भी अपने-अपने युग के अंत में हुआ था इसलिए जब कलियुग का अंत निकट आ जाएगा तब भगवान कल्कि जन्म लेंगे।

श्रीमद्भागवत गीता, स्कंद पुराण और कल्कि पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भगवान का अंतिम अवतार उत्तर प्रदेश में गंगा और रामगंगा के बीच बसे मुरादाबाद के संभल ग्राम में होगा। शास्त्रों की मानें तो इस गांव में 68 तीर्थों का वास है और शायद इसी कारण इस गांव को चुना गया है। पुराणों में लिखे गए श्लोकों से ज्ञात होता है कि कल्कि भगवान का जन्म संभल ग्राम में विष्णुसयश नाम के भगवान विष्णु के भक्त के घर में होगा।

बौद्ध धर्म में कल्कि को भगवान विष्णु का अवतार नहीं माना गया है। उसमें यह बताया गया है कि भविष्य में संभल में कल्कि नाम का एक राजा होगा जो अधर्म का नाश कर लोगों को सत्य से अवगत कराकर धर्म का राज्य स्थापित करेगा और इस तरह अधर्म पर धर्म और सत्य की जीत होगी।

गुरु गोविंद सिंह ने श्रीदशम नामक ग्रंथ में लिखा है कि भविष्य में भगवान का कल्कि अवतार अवश्य होगा और उनका यह अवतार कश्मीर में बिशन दत्त नाम के एक ब्राह्मण के घर होता है। इसमें यह भी बताया गया है कि केवल 12 साल की उम्र में ही उनका विवाह त्रिकोता नाम की कन्या से होगा।

कल्कि अवतार के बारे में दक्षिण भारतीय ज्योतिषों का कहना है कि इनके जन्म के समय चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र और कुंभ राशि में होगा। सूर्य तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में होगा और गुरु स्वराशि धनु में और शनि अपनी उच्च राशि तुला में होगा।प्राचीन काल की बात करें तो उस समय सभी सत्य और धर्म को मानने वाले हुआ करते थे और भगवान ने भी सगुणी और सत्यवचन बोलने वाले व्यक्तियों के घर जन्म लिया था किन्तु कलियुग में तो हर कोई झूठ, पाप और अधर्म में लिप्त है तो फिर ऐसे में कल्कि भगवान किसके घर और क्यों जन्म लेंगे।

कलियुग में भगवान का अवतार होगा किसी अधर्मी के घर 

भविष्य में होने वाले भगवान के इस अवतार के वर्तमान में बहुत से मंदिर हैं। जहां न केवल कल्कि भगवान की पूजा होती है बल्कि उनके घोड़े की प्रतिमा को भी आदरपूर्वक प्रणाम किया जाता है। जयपुर में हवा महल के सामने भगवान कल्कि का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है की यह संसार का पहला मंदिर है। इसका निर्माण जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह ने सिरहड्योढ़ी दरवाजे के सामने वर्ष 1739 में करवाया था। लगभग पौने तीन सौ साल प्राचीन इस मंदिर को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक घोषित कर रखा है।

कई सालों से कल्कि अवतार की बात कही जा रही है और ये भी बताया जाता है कि शीघ्र ही कलियुग का अंत होने वाला है किंतु अभी तक तो ऐसा कुछ नहीं हुआ है। हम तो बस प्रतिक्षा ही कर सकते हैं कि कल्कि भगवान कब इस धरा के उद्धार के लिए जन्म लेंगे। 

Created On :   15 Aug 2018 8:28 AM GMT

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