आपकी कुंडली में सभी बारह भावों में शनि का प्रभाव और उपाय

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आपकी कुंडली में सभी बारह भावों में शनि का प्रभाव और उपाय
आपकी कुंडली में सभी बारह भावों में शनि का प्रभाव और उपाय

डिजिटल डेस्क । नौ ग्रहों में शनि एक ऐसा ग्रह है जिसके प्रति सभी लोगों का डर सदैव बना ही रहता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शनि किस भाव में है, इससे मनुष्य के जीवन की दिशा, सुख, दुख,लाभ,हानि आदि सभी बातें निर्धारित हो जाती हैं। शनि को कर्म दण्डनायक के रूप में अधिक जाना जाता है। शनि कुंडली के त्रिक (6, 8, 12) भावों का कारक ग्रह है। शनि को सूर्य पुत्र कहा जाता है परन्तु इसे सूर्य पिता का शत्रु भी कहा जाता है। कुण्डली का पहला भाव सूर्य और मंगल ग्रह से प्रभावित होता है। पहले घर में शनि तभी अच्छे परिणाम देगा जब तीसरे, सातवें या दसवें घर में शनि के शत्रु ग्रह न हों। 
 
जब बुध,शुक्र, राहु या केतु, सातवें भाव में हों तो शनि अच्छे परिणाम देगा। शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है, लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नहीं है, जितना उसको अशुभ माना जाता है। इसलिए शनि केवल मात्र शत्रु ही नहीं होता ये मित्र भी होता है और मोक्ष देने वाला एक मात्र ग्रह शनि ही होता है। शनि का कार्य प्रकृति में संतुलन रखना है और हर जातक के साथ न्याय करता है। जो लोग अनुचित कार्य करते हे और किसी को भी अपने स्वार्थ के लिए प्रताड़ित करते हैं, तब शनि उन्हीं को दण्डित करता है। 

 
ज्योतिष शास्त्र में वर्णन है कि शनि वृद्ध, तीक्ष्ण, आलसी, वायु प्रधान, तमोगुणी और पुरुष प्रधान ग्रह है तथा इनका वाहन कौआ,गिद्ध,और गधा है। शनिवार इसका दिन माना जाता है इनको कसैला स्वाद पसंद हे तथा इनकी प्रिय वस्तु लोहा है। शनि राजदूत, सेवक, पैर के दर्द तथा कानून और शिल्प, दर्शन, तंत्र, मंत्र और यंत्र विद्याओं का कारक ग्रह है। भूमि इनका निवास स्थान है। इनका रंग काला है और यह जातक के स्नायु तंत्र को प्रभावित करता है। ये मकर और कुंभ राशियों का स्वामी तथा मृत्यु का देवता माना जाता है। ये ब्रह्म ज्ञान का भी कारक ग्रह है, इसीलिए शनि प्रधान लोग संन्यास ग्रहण कर लेते हैं।

 

कुंडली के प्रथम भाव में शनि

जिस भी जातक की कुंडली में जब शनि प्रथम भाव में हो तब वह व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने वाला होता है। यदि शनि अशुभ फल देने वाला है तो व्यक्ति रोगी, गरीब और बुरे कार्य करने वाला होता है। जिन जातकों की जन्म कुण्डली में शनि वक्री होती है वे भाग्यवादी होते हैं। उनके क्रिया-कलाप किसी अदृश्य शक्ति से प्रभावित होते हैं। वह जातक अपने पिता के प्रति उतना आज्ञाकारी नहीं होता है। प्रथम भाव में शनि वाले जातक अधिकतम एकांतवासी होकर साधना में लगे रहते हैं ये अविष्कारक भी हो सकते हें एवं धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि में शनि वक्री होकर लग्न में स्थित हो तो जातक राजा या गांव का मुखिया भी होता है।
 
उपाय :

1. शराब और मांसाहारी भोजन के सेवन से स्वयं को बचायें।
2. शनिवार के दिन न तो तेल लगाए और न ही तेल खायें।
3. बरगद के पेड़ की जड़ों पर मीठा दूध चढानें से शिक्षा और स्वास्थ्य में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।
4. शनिदेव और हनुमान जी के मंदिर में जाकर यह प्रार्थना करें।
5. शनि दोष निवारण मंत्र का जाप प्रतिदिन करें।
6. गले में पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करें।

 

कुंडली के दूसरे भाव में शनि 

जिस जातक की कुंडली में दूसरे घर में शनि हो वह लकड़ी संबंधी व्यापार ,कोयला एवं लोहे के व्यापार में धन प्राप्त करता हैं। जातक बुद्धिमान, दयालु और न्यायकर्ता होता है। ऐसा जातक धन का भरपूर आनंद लेता है और धार्मिक स्वभाव का होता है। जातक की वित्तीय स्थिति सातवें भाव में स्थित ग्रह पर निर्भर करेगी। दूसरे भाव में शनि जातक को परिवार से दूर भी करता हैं। ऐसा जातक सुख, साधन व समृद्धि की खोज में दूर देश या विदेश की यात्रा करता हैं। उसका भाग्योदय जन्म स्थान,या पैतृक निवास से दूर होता है ये जातक झूठ बोलने वाला, चंचल, बातूनी तथा दूसरों को मूर्ख बनाने में भी कुशल होता है।
 
उपाय :-
1. लगातार 51 दिनों तक नंगे पांव हनुमान मंदिर जाएं।
2. अपने माथे पर दही या दूध का प्रतिदिन तिलक लगाएं और मांसाहार तथा शराब के सेवन से बचें।
3. सर्प को दूध पिलाएं और कभी भी सर्प को परेशान नही करें और ना ही उसे कभी मारें।
4. दो रंग वाली गाय या भैंस कभी भी ना पालें, प्रतिदिन शनिवार को कणुआ तेल (सरसो तेल) का दान करें।
5. शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटे की गोली बनाकर खिलाएं।
6.गले में 6 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
 

 

कुंडली के तीसरे भाव में शनि 

कुंडली के तीसरे भाव में शनि हो तो जातक बुद्धिमान और उदार होता है, लेकिन इसके बाद भी जातक आलसी शरीर रहता है, ऐसे जातक के मन में सदा अशांति बनी रहती है संघर्षपूर्ण स्थितियो और कठोर परिश्रम के बाद भी मिलने वाली असफलता जातक को बहुत पीड़ित करती हैं। ऐसे जातक के भाइयो से तनावपूर्ण संबंध रहते हैं। और जातक को माता पिता से मात्र आशीर्वाद के अतिरिक्त और कुछ भी प्राप्त नहीं हो पाता हे।
 
उपाय :-

1. शनि के बुरे प्रभावों से बचने के लिए तीन कुत्तों की सेवा करें।
2. घर का मुख्य दरवाजा यदि दक्षिण दिशा की ओर हो तो उसे तुरंत बंद कर दें।
3. प्रतिदिन शनि चालीसा अवश्य पढ़ें, हर शनिवार को शनि चालीसा लोगो को भेंट करें।
4. शराब और मांसाहार का सेवन कदापि ना करें साथ ही गले में सात मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
5. मकान के आखिर में एक अंधेरा कमरा बनवाएं और घर में एक काला कुत्ता पालें।
 

 

कुंडली के चौथे भाव में शनि के कारण

कुंडली में शनि चौथे भाव में हो तो जातक गृहहीन हो जाता है, ऐसे जातक की या तो माता नहीं होती या माता को कष्टन होता है,ऐसा जातक बचपन में रोगी भी अधिक रहता है, यह भाव सुख का भाव माना जाता हैं। जातक घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं निभाता और अंत में संन्यासी जेसा बन जाता है। किन्तु यदि  चतुर्थ में शनि तुला, मकर,वृश्चिक या कुंभ राशि का हो तो जातक को पूर्वजों की संपत्ति प्राप्त होती है। चौथे भाव में शनि जातक को पित्त तथा वायु विकार से ग्रस्त रखता है. अभिभावक से जातक के विचार और सोच एक दूसरे से विरुद्ध होते है. जातक को व्यापार के प्रारम्भ में अनेक संकट प्राप्त होते है। 
 
उपाय :-

1. सांप को दूध पिलाएं अथवा किसी गाय या भैंस को दूध-चावल खिलाएं।
2. पराई स्त्री से अवैध संबंध कदापि न बनाएं, कौवों को दाना खिलाएं।
3. कच्चा दूध शनिवार दिन कुएं में डालें। रात में कभी स्वमं दूध न पियें।
4. एक बोतल शराब शनिवार के दिन बहती नदी में प्रवाहित कर दे।
5. शनिवार के दिन अपने भार के दसवें हिस्से के बराबर वजन का बादाम नदी में प्रवाहित करें।
6. गले में अष्ठमुखी रुद्राक्ष धारण करें।
 

 

कुंडली के पांचवें भाव में शनि के कारण

पंचम भाव में वक्री शनि हो तो वह अच्छा प्रेम संबंध देता है, इसके बाद भी जातक अपने प्रेमी को धोखा देता है। वह अपनी पत्नी एवं बच्चे की भी चिंता नहीं करता है। ये जातक भ्रमण बहुत करता है अथवा उसकी बुद्धि भी भ्रमित बनी रहती है। पंचम भाव में शनि हो तो वाह जातक ईश्वर में विश्वास नहीं रखता है और मित्रों से द्रोह करता रहता है, ऐसा जातक उदर(पेट) की पीड़ा से परेशान, घूमने वाला, आलसी और चतुर होता है पंचम भाव में शनि हो तो जातक का दिमाग बेकार के विचारों से ग्रस्त रहता है, यदि शनि उच्च का होकर पंचम हो तो जातक के पैरों को कमजोर कर देता है। मेष, सिंह, धनु राशि का शनि पंचम भाव में जातक में अहम का उदय करता है और जातक अपनी बातों को गोपनीय भी रखता है।
 
उपाय :-

1. चमड़े के जूते, बैग, अटैची आदि का प्रयोग न करें और शनिवार का व्रत करें.
2. चार नारियल बहते जल में प्रवाहित करें, लेकिन नदी का जल स्वच्छ होना चाहिए.
3. हर शनिवार के दिन काली गाय को घी लपेटी हुई रोटी नियमित रूप से खिलाएं.
4. शनि यंत्र धारण करें.
5. एक किलो बादाम का आधा भाग मंदिर में बाटें और दूसरा भाग लाकर घर में रख दें
6. गले में 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
 

 

कुंडली के छठे भाव में शनि

 

कुंडली के छठे भाव में अगर शनि हो तो शनि से संबंधित कोई भी कार्य रात में करने से सदा लाभ होता हे, और विवाह 28 वर्ष के बाद हो तो अच्छे परिणाम प्राप्त होते हें, और यदि साथ में केतु अच्छी स्थित में हो जातक धन, लाभदायक यात्राओं और बच्चों के सुख का आनंद पाता है। जिस किसी जातक की कुंडली में शनि छठे भाव में हो तो वह कामी, सुंदर, शूरवीर, अधिक खाने वाला, कुटिल स्वभाव, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होता है। छठवे भाव का वक्री शनि यदि निर्बल हो तो रोग, शत्रु एवं कर्ज देता है.
 

उपाय:-

1. एक काला कुत्ता पालें और उसे प्रतिदिन भोजन करायें।
2. किसी भी स्वच्छ नदी या बहते पानी में नारियल और बादाम बहाएं।
3. सांप की सेवा करना बच्चों के कल्याण के लिए लाभदायक होगी।
4. चमड़े के जूते, बैग, अटैची आदि का प्रयोग न करें और शनिवार का व्रत करें।
5.गले में दस मुखी रुदाक्ष धारण करें।

 

 

कुंडली के सातवें भाव में शनि

लग्न से सातवां भाव बुध और शुक्र से प्रभावित होता है। दोनों ही शनि के मित्र ग्रह हैं, इसलिए शनि इस घर में बहुत अच्छा परिणाम देता है। शनि से जुड़े व्यवसाय जैसे मशीनरी और लोहे का काम जातक के लिए बहुत लाभदायक होता है, यदि जातक अपनी पत्नी से अच्छे संबंध रखता है तो वह अमीर और समृद्ध होगा और लंबी आयु के साथ अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेता रहेगा साथ ही बृहस्पति भी पहले भाव में हो तो जातक को सरकार से लाभ होगा। और यदि जातक व्यभिचारी (बिगडेल) हो जाता है या शराब पीने लगता है तो शनि नीच और हानिकारक हो जाता है।
 

उपाय :-


1. बांस की बांसुरी में चीनी भरें और उसे ले जाकर किसी सुनसान जगह जैसे कि जंगल आदि में गाड दें।
2. काली गाय की सेवा करें, परस्त्री से अनेतिक संबंध कदापि न बनाएं।
3. मिट्टी के पात्र में शहद भरकर खेत में गद्दा खोद कर मिट्टी के नीचे दबा दें।
4. अपने हाथ में काले घोड़े की नाल का नाव की कील की अंगूठी बनवाकर शनिवार को धारण करें।
5. गले में 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करें।
 

 

कुंडली के आठवें भाव में शनि 

कुंडली के आठवें भाव में कोई भी ग्रह अदिकतम शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन जिस किसी भी जातक की कुण्डली के आठवें भाव में शनि हो तो वह जातक दीर्घायु होगा लेकिन उसके पिता की आयु कम होती है और जातक के भाई एक-एक करके शत्रु बनते जाते हैं। यह भाव शनि का मुख्यालय माना जाता है, किन्तु यदि बुध, राहू और केतु जातक की कुंडली में नीच के हैं तो शनि बुरा परिणाम ही देगा।
 
उपाय :-

1. अपने साथ हमेशा चांदी का एक चौकोर टुकड़ा रखें।
2. स्नान करते समय पानी में दूध डालें और किसी पत्थर या लकड़ी के आसन पर बैठ कर स्नान करें।
3. गले में सदा चांदी की चेन धारण करें और शराब व मांस का सेवन ना करें।
4. चाँदी की चेन में 12 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। 
5. वर्ष में एक बार काली उड़द काले कपड़े में बांध कर ले जायें और गांठ खोलकर दाल को बहते जल में प्रवाहित करें।
 

 

कुंडली के नौवें भाव में शनि 

कुंडली के नौवें भाव में शनि होने पर जातक के तीन घर अवश्य ही होंगे। जातक एक सफल यात्रा संचालक (टूर ऑपरेटर) या सिविल इंजीनियर होगा। वह एक लम्बे और सुखी जीवन का आनंद लेगा साथ ही जातक के माता-पिता भी सुखी जीवन का आनंद लेंगे। नवम भाव में स्थित शनि जातक की तीन पीढ़ियों को शनि के दुष्प्रभाव से बचाएगा और ऐसा जातक सभी को सहयोग करता है तो शनि ग्रह सदा उचित परिणाम देगा।
 
उपाय :-

1. चावल या बादाम जल प्रवाहित करें, बृहस्पति से संबंधित और चंद्रमा से संबंधित काम अच्छे परिणाम देंगे।
2. पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें और साबुत मूंग मिट्टी के बर्तन में भरकर नदी में प्रवाहित करें।
 3. सवा 6 रत्ती का पुखराज गुरुवार के दिन धारण करें।
4. शनिवार के दिन कच्चा दूध कुएं में डालें।
5. हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं।
6. गले में एक मुखी रुद्राक्ष धारण करें। 

 

कुंडली के दसवें भाव में शनि

कुंडली के दसवें भाव में शनि लाभदायक होता है, यह शनि का अपना घर है, जहां शनि अच्छा परिणाम देगा। जातक तब तक धन और संपत्ति का आनंद लेता रहेगा,जब तक कि वह घर नहीं बनवाता,जातक महत्वाकांक्षी होता हे और सरकार से लाभ प्राप्त करता हे, ऐसे जातक को चतुराई से काम लेना चाहिए और एक जगह बैठ कर काम करना चाहिए तभी उसे शनि से अच्छा लाभ और आनंद मिल पायेगा, दशम भाव का शनि होने पर व्यक्ति धनी, धार्मिक, राज्यमंत्री या उच्चपद पर उपस्थित होता है। दशमस्थ शनि वक्री हो तो जातक वकील, न्यायाधीश,बैरिस्टर, मुखिया, मंत्री या दंडाधिकारी और कभी-कभी ज्योतिष भी होता है।

 उपाय :-

1. प्रतिदिन मंदिर जाएं और शराब, मांस और अंडे से परहेज करें।
2. साल में दस अंधे लोगों को भोजन कराएं, पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें।
3. जातक अपने कमरे के पर्दे, बिस्तर का कवर, दीवारों का रंग आदि पीले रंग से रंगवाएं।
4. गुरुवार को पीले लड्डू बाटें अपने नाम से मकान कभी न बनवाएं।
5. अपने माथे पर प्रतिदिन दूध अथवा दही का तिलक लगाएं और।
6.गले में दो मुखी रुद्राक्ष सोने में मडवाकर कंठ में धारण करें।
 
 

कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि 

कुंडली के ग्यारहवें भाव में शनि हो तो उस जातक के भाग्य का उदय उसकी 48वे वर्ष की आयु में होगा। जातक कभी भी निःसंतान नहीं रहेगा। जातक चतुराई और छल से धन कमाएगा, शनि ग्रह राहु और केतु की स्थिति के अनुसार अच्छा या बुरा परिणाम देगा। जिस व्यक्ति की कुंडली में ग्याहरवें भाव में शनि हो तो वह लम्बी आयु वाला, धनी, कल्पनाशील, निरोगी, सभी सुखों को प्राप्त करने वाला होता है।एकादश भाव का शनि जातक को चापलूस भी बनाता है।
 

उपाय :-

1. किसी विशेष कार्य को आरंभ करने से पहले 52 दिनों तक तेल या शराब की बूंदें जमीन पर गिराएं।
2. शराब और मांसाहार का सेवन ना करें और अपना नैतिक चरित्र ठीक रखें।
3. मित्र के भेश मे छुपे शत्रुओं से सावधान रहें।
4. किसी पर स्त्री के साथ सहवास न करें और बाजु में शनि यंत्र धारण करें।
5. कच्चा दूध शनिवार के दिन कुएं में डालें और कौवों को दाना खिलाएं।
6.गले में तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करे।

 

 

कुंडली के बारहवें भाव में शनि 

कुंडली के बारहवें भाव में शनि अच्छा परिणाम देता है। सबसे पहले तो जातक का कोई शत्रु नहीं होता हें,और उसके अनेक घर होंगे,उसके परिवार और व्यापार में वृद्धि होती रहेगी। वह बहुत अमीर होगा किन्तु यदि जातक शराब पियेगा, मांसाहार करेगा तो शनि नीच का हो जाएगा और बाहरवें भाव में शनि होने पर व्यक्ति अशांत मन वाला, पतित, बकवादी, कुटिल दृष्टि, निर्दय, निर्लज, खर्च करने वाला हो कर धन-धन्य से बरबाद हो जायेगा।
 
उपाय : -

 

1. जातक को ऐसे में झूठ नहीं बोलना चाहिए साथ ही शराब और मांस से दूर रहना चाहिए।
2. चार सूखे नारियल बहते जल में प्रवाहित करें और सात मुखी रुद्राक्ष कंठ में धारण करें।
3. शनिवार के दिन काले कुत्ते और काली गाय को रोटी खिलाएं और कड़वे तेल व काली उड़द का दान करें।
5. सर्प को दूध पिलाएं और किसी काले कपड़े में बारहा बादाम बांधकर उसे किसी लोहे के बर्तन में भरकर किसी अंधेरे कमरे में रख दे उससे अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।

Created On :   3 Sep 2018 8:02 AM GMT

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