प्रार्थना क्या है, कैसे करें ईश्वर से प्रार्थना ताकि पूरी हो सके

प्रार्थना क्या है, कैसे करें ईश्वर से प्रार्थना ताकि पूरी हो सके

डिजिटल डेस्क, भोपाल। जीवन में सबसे महत्वपूर्ण प्रार्थना होती है... हम प्रार्थना कैसे करें, और क्या हमारी प्रार्थना सुनी जा रही है, और सबसे उपयुक्त प्रार्थना का समय क्या है। प्रार्थना तो हम रोज करते हैं पर हम ये नहीं जानते कि प्रार्थना करने का तरीका क्या है। प्रार्थना किस समय में की जाए तो फलदायी होती है। प्रार्थना में अद्भुत शक्ति होती है। प्रार्थना परेशानियों से निकलने की प्रक्रिया है। प्रार्थना करने से सकारात्मक सोच होती है और सकारात्मकता वो चीज है, जो बुरी चीजों को भी अच्छा नजरिया देती है। अध्यात्म में इसका बेहद महत्व है। सकारात्मक सोच अनहोनी चीजों को भी होनी में बदल सकती है। प्रार्थना में यह सकारात्मक्ता देने की अद्भुत ताकत है, लेकिन ये पूरी तरह प्रार्थना करने के तरीके पर निर्भर करता है। यदि प्रर्थना सही तरीके से नहीं की जाती है तो इसका बुरा परिणाम भी भुगतना पड़ सकता है।

क्या है प्रार्थना का उचित समय 

प्रार्थना करने का सबसे उपयुक्त समय सांध्यकाल है। सांध्यकाल से तात्पर्य है जब आप सुबह उठते हैं उसके अगले आधे घंटे तक का समय सांध्यकाल कहलाता है। इसी प्रकार रात को जब हम सोने जाते हैं तो सोने से पूर्व का आधा घंटा संध्याकाल कहलाता है। इसी प्रकार जीवन का सांध्यकाल पैदा होने के 6 महीने तक आता है और मृत्यु से 6 महीने पहले। इस समय बहुत सी चीजों की अनुभूति हो जाती है।

प्रर्थना करने का तरीका

जब हम सुबह उठते हैं, और अपने दोनों पैरों को जमीन पर रखेंगे उस समय दोनों हाथों की हथेलियों को सामने रखकर इस मंत्र का जाप करें। 
 

"कराग्रे वसते लक्ष्मीः, कर मध्ये सरस्वती।
 करमूले तू गोविंदः, प्रभाते कर दर्शनम्‌‌।।"

 अर्थात्

हथेलियों के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी, मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती 
और मूल भाग में भगवान गोविन्द (ब्रह्मा) का निवास है, मैं अपनी हथेलियों में इनका दर्शन करता/करती हूं। 


 

हथेलियों को देखते हुए इस मंत्र के जाप के बाद हथेलियों को चूम लें। जब प्रर्थना करें तो जोभी आपकी इच्छाएं हैं वो भगवान के सामने रखें। भगवान अवश्यरूप से हमारी इच्छाओं को पूरा करते हैं। 

Created On :   19 May 2018 11:21 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story