जानिए क्या है पवनी के ऐतिहासिक किले की कहानी ?

Know the story of Pawni historic fort
जानिए क्या है पवनी के ऐतिहासिक किले की कहानी ?
जानिए क्या है पवनी के ऐतिहासिक किले की कहानी ?

डिजिटल डेस्क,भंडारा। भंडारा के पवनी में बना ऐतिहासिक किला आज भी सही सलामत स्थिति में खड़ा हुआ है। न जाने कितने युद्ध झेल चुके इस किले की दीवारें अपनी गौरवगाथा खुद ही कह रही है। मध्यप्रदेश के गैजीटियर में पवनी नगर का इतिहास इसवी सन के दूसरे शतक से जुड़ा होने का उल्लेख किया गया है। इससे जुड़ी गोंड राजा व रानी की एक दंतकथा काफी प्रसिद्ध है। यह किला पर्यटन का भी माध्यम बना हुआ है।

वैनगंगा नदीं किनारे बसा पवनी
पवनी शहर वैनगंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। आज के दौर में शहर में प्रवेश करने के लिए कई रास्ते हैं, लेकिन एक समय शहर में प्रवेश करने के लिए सिर्फ दो ही रास्ते हुआ करते थे। यहां आने वाले हर नए व्यक्ति को इसमें से एक मार्ग से ही शहर में प्रवेश करना होता है। शहर के मुख्य चौराहे से नजर आने वाले किले के निचले हिस्से में यह भव्य गेट बना है जिसे वर्तमान में लोग नेहरू गेट के नाम से जानते हैं। 

राजा के नाम पर किले का नाम
लोगों का कहना है कि पवनी का नाम पवन राजा के नाम पर पड़ा।  उनकी रानी पद्मावती जो काफी सुंदर होने के बावजूद साधारण पोशाक में रहती थी। रानी पद्मावती  इतनी नाजुक थी कि किले के पास वाले तालाब में लगे कमल के पत्तों पर चलकर तालाब के बीच से पानी भर कर लाया करती थी। इस दौरान हरितालिका के दिन उसने अन्य महिलाओं को देखा कि वे गहने व सुंदर वस्त्र पहने हुए हैं। जिन्हें देख उसने भी गहने व वस्त्र परिधान पहने। इसके बाद वो पानी लेने के लिए तालाब गई जहां तालाब में डूबकर उसकी मौत हो गई।
 
किले की खासियत

आज इस किले का इतिहास किसी को भी पता नहीं है। कोई नहीं जानता कि इस किले का निर्माण किसने किया और कितने राजाओं ने इस पर राज किया। इसकी बनावट गोंड राजा के किलों के जैसी नजर आती है। इतिहास के पन्नों में उल्लेख है कि सम्राट अशोक ने तीसरे दशक में पवनी पर राज्य किया। इनके बाद भी इस स्थान पर कई राजाओं ने जीत हासिल कर राज किया।

कहा जाता है कि इस किले पर चढ़ाई करना और इसे जीतना काफी आसान था। पवनी नगरी काफी समृद्ध व वैभवशाली होने से सभी राज इस पर राज करने की इच्छा रखते थे। गोंड राजाओं के राज के बाद नागपुर के रघुजीराजे भोसले ने इसे जीता और पूर्व इतिहास से प्रेरित होकर संपूर्ण पवनी के इर्द-गिर्द परकोट यानी सुरक्षा दीवार खड़ी कर दी। इस सुरक्षा दीवार के निचले हिस्से में उन्होंने पानी से भरे तालाब भी बनाए जिससे शत्रु भीतर प्रवेश न कर पाए। वहीं दीवार में बनाए गए छेदों पर नजर डाली जाए तो इन छेदों की रचना इस प्रकार की गई है कि हमला करने वाला शत्रु किसी भी स्थान पर खड़ा हो दीवार से सैनिक अपनी बंदूक से हर दिशा में निशाना लगा सकता था। 

पर्यटन स्थल बना किला
पवनी नगर का किला व उसकी दीवार नागरिकों के लिए पर्यटन का साधन बन चुकी है। पुरातत्व विभाग ने इसे आरक्षित स्मारक घोषित करते हुए इसके विकास पर भी विचार शुरू कर दिया है। यहां आने पर पर्यटक शाम का समय इस किले पर बिताने पर काफी आनंद महसूस करते हैं
 

Created On :   4 Aug 2017 6:45 AM GMT

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