जानें क्या होती है जेनेवा संधि, जिसके तहत पाक भारत को सौंपेगा पायलट अभिनंदन !

जानें क्या होती है जेनेवा संधि, जिसके तहत पाक भारत को सौंपेगा पायलट अभिनंदन !
हाईलाइट
  • जेनेवा संधि के तहत भारतीय पायलट को रिहा करेगा पाकिस्तान !
  • मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी।
  • युद्धबंदियों (POW) के अधिकारों को बरकरार रखने के लिए हुआ था जेनेवा समझौते

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान पाकिस्तान सेना के कब्जे में है। अभिनंदन के सुरक्षित वतन वापसी के लिए देशभर में मांग की जा रही है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने प्रेस कांफ्रेस में इस बात की पुष्टि की थी। विदेश मंत्रालय ने कहा, भारतीय एयरक्राफ्ट मिग-21 जवाबी कार्रवाई के दौरान पाक सीमा में क्रैश हो गया था। जिसके बाद से भारतीय पालयट अभिनंदन वर्धमान पाकिस्तान सेना के कब्जे में है। पाकिस्तान को जिनेवा संधि के तहत विंग कमांडर अभिनंदन को सात दिन के अंदर सुरक्षित भारत के हवाले करना होगा।

एक्ट के तहत पाकिस्तान को उन्हें एक सैनिक की तरह पूरी सुविधाएं मुहैया करानी होगी और सात दिनों के अंदर भारत के हवाले भी करना होगा। पायलट को कुछ होने पर जेनेवा एक्ट का उल्लंघन होगा, जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपराध माना जाएगा। जेनेवा एक्ट के तहत युद्ध बंदी से कुछ पूछताछ के लिए जबरदस्ती नहीं की जा सकती, उन पर किसी तरह का कोई दबाव भी नहीं बनाया जा सकता है। पायलट के लिए पर्याप्त पानी और खाने की व्यवस्था भी करनी होगी। इसके अलावा उन्हें सभी मेडिकल सुविधाएं भी मुहैया करानी होंगी।

बता दें कि जेनेवा समझौते के तहत पाकिस्तान भारत के पायलट को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। युद्धबंदियों (POW) के अधिकारों को बरकरार रखने के जेनेवा समझौते (Geneva Convention) में कई नियम दिए गए हैं। जेनेवा समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल (मसौदे) शामिल हैं, जिसका मकसद युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना है।

जेनेवा संधि से जुड़ी कुछ बातें

  • मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी।
  • दूसरी और तीसरी संधि 1906 और 1929 में हुई।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी।
  • इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास के मुताबिक जेनेवा समझौते में युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों और घायल लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना है इसको लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं।
  • इस संधि के अनुच्छेद 3 के मुताबिक युद्ध के दौरान घायल होने वाले युद्धबंदी का अच्छे तरीके से उपचार होना चाहिए। 
  • इस संधि के तहत घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाती है।
  • संधि के तहत उन्हें खाना पीना और जरूरत की सभी चीजें दी जाती है।
  • इस संधि के मुताबिक किसी भी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता।
  • किसी देश का सैनिक जैसे ही पकड़ा जाता है उस पर ये संधि लागू होती है। (फिर चाहे वह स्‍त्री हो या पुरुष)
  • संधि के मुताबिक युद्धबंदी को डराया-धमकाया नहीं जा सकता
  • युद्धबंदी की जाति, धर्म, जन्‍म आदि बातों के बारे में नहीं पूछा जाता
  • संधि के मुताबिक सैनिक को सात दिनों के भीतर उसके देश के हवाले करना होता है। 
  • युद्धबंदियों (POW) के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए।
  • सैनिक के साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए।
  • सैनिकों को कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी।
  • जेनेवा संधि के तहत सैनिक को अपमानित नहीं किया जा सकता। 
  •  इस संधि के मुताबिक युद्धबंदियों (POW) पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
  •  संधि के तहत युद्ध के बाद युद्धबंदियों को वापस लैटाना होता है। 
  • कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता। 
  • युद्धबंदियों से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है। 

Created On :   28 Feb 2019 4:56 AM GMT

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