आतंक से अशोक चक्र तक ऐसा था शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी का सफर

Lance Naik Nazir Ahmad Wani will posthumously awarded Ashok Chakra
आतंक से अशोक चक्र तक ऐसा था शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी का सफर
आतंक से अशोक चक्र तक ऐसा था शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी का सफर
हाईलाइट
  • आतंकियों का साथ छोड़कर सेना में शामिल हुए थे अहमद वानी
  • गणतंत्र दिवस समारोह में उनके परिजनों को दिया जाएगा सम्मान
  • शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी अशोक चक्र से होंगे सम्मानित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कश्मीर में आतंकियों का साथ छोड़कर सेना में शामिल हुए लांस नायक नजीर अहमद वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया है। यह सम्मान गणतंत्र दिवस समारोह में उनके परिजनों को दिया जाएगा। आतंकियों का साथ छोड़कर सेना में शामिल होने आए अहमद वानी शोपियां में आतंकी मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए। इस ऑपरेशन में छह आतंकी में दो खुद अहमद वानी ढेर किया था। अहमद वानी ने आतंक से अशोक चक्र तक सफर साहस का परिचय देते हुए तय किया। 

 

आतंक से अशोक चक्र सम्मान तक पहुंचे शहीद लांस नायक नजीर अहमद वानी जम्मू-कश्मीर की कुलगाम तहसील के अश्मूजी गांव के रहने वाले थे। नजीर एक समय खुद भी आतंकवादी थे। उन्होंने आतंकियों के साथ बंदूक थाम ली थी। हालांकि, कुछ ही वक्त बाद उन्हें गलती का अहसास हुआ और वो आतंकवाद छोड़ सेना में भर्ती होने चले गए। उन्होंने अपने 2004 में करियर की शुरुआत टेरिटोरियल आर्मी की 162वीं बटालियन से की थी।

बीते साल 23 नवंबर 2018 को 34 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात वानी जब अपने साथियों के ड्यूटी पर थे, तब उन्हें शोपियां के एक गांव में हिज्बुल और लश्कर के 6 आतंकियों के होने की खबर मिली थी। वानी ने अपनी टीम के साथ आतंकियों के भागने का रास्ता रोकने के ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस एनकाउंटर में वानी और उनके साथियों ने 6 आतंकियों को मार गिराया था। वानी जख्मी होने के बाद भी आतंकियों के सामने टिके रहे थे और दो आतंकियों ने उन्होंने खुद मार गिराया था। हालांकि, इसके बाद हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। वानी के उनके पैतृक गांव में 21 तोपों की सलामी के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया था। आर्मी ने वानी को अपना सच्चा सैनिक बताया था। वो अपने पीछे परिवार में पत्नी और दो बच्चे छोड़ गए। 

Created On :   24 Jan 2019 7:44 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story