40 साल पहले शादी के लिए गिरवी रखी थी जमीन, सूदखोर ने हड़पी, SDM ने कहा करो वापस 

Land was mortgaged for marriage 40 years ago, SDM ordered for return
40 साल पहले शादी के लिए गिरवी रखी थी जमीन, सूदखोर ने हड़पी, SDM ने कहा करो वापस 
40 साल पहले शादी के लिए गिरवी रखी थी जमीन, सूदखोर ने हड़पी, SDM ने कहा करो वापस 

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। तकरीबन चालीस साल पहले सन् 1977 में एक भाई ने अपनी बहन की शादी करने के लिए 13 हजार रुपए में अपनी भूमि सूदखोर के पास 13 साल के लिए गिरवी रखी थी। कर्ज चुकाने के बाद जब वह जमीन के कागज वापस लेने पहुंचा तो पता चला कि उसकी भूमि सूदखोर ने अपने नाम करवा ली है। तब से लेकर आज चालीस साल बीतने के बाद पीड़ित किसान अपनी जमीन वापस लेने के लिए कई अदालतों के चक्कर काटे। एसडीएम जबलपुर नम: शिवाय अरजरिया की कोर्ट से उसे न्याय मिला और उसकी जमीन उसे वापस मिल गई। 


जानकारी के अनुसार, पनागर तहसील के ग्राम खजरी में रहने वाले खजांची ने जून 1977 में अपनी बहन की शादी करने के लिए गांव में ही रहने वाली विमला बाई से 13 हजार रुपए उधार लिए थे। रकम के बदले खजांची ने अपनी भूमि विमला बाई के पास गिरवी रख दी थी। ब्याज पर उधार राशि लेते समय तय हुआ था कि वह प्रतिवर्ष राशि देगा और जैसी ही उसकी उधारी खत्म हो जाएगी शर्त के अनुसार उसे भूमि वापस कर दी जाएगी। शर्त का पालन करते हुए सूदखोर उधार की राशि लेती रही और 12 वर्ष बीत गए। इसी बीच सूदखोर के मन में लालच आ गया और उसने पावर ऑफ अर्टानी पर गिरवी रखी जमीन काे गलत तरीके से अपने नाम पर दर्ज करवा लिया। पुश्तैनी भूमि हाथ से निकल जाने के बाद परेशान खजांची ने इसे वापस हालिस करने के लिए कई जगह फरियाद की। आखिर में हाईकोर्ट की शरण लेते हुए पीड़ित ने न्याय की गुहार लगाई और उच्च न्यायालय ने इस मामले को फैसला के लिए उचित फोरम के पास भेज दिया। इसके बाद खजांची ने अगस्त 2007 में इस संबंध में एसडीएम जबलपुर की कोर्ट में पेश किया। मामला दायर होने के बाद इसमें दस बिंदुओं के तहत जांच करवाई गई और हर पहलू का परीक्षण किया गया। दस साल तक चली इस लंबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार एसडीएम ने पीड़ित किसान एवं अन्य के हक में फैसला देते हुए भूमि पुन: उनके नाम पर दर्ज कराने का आदेश पारित कर दिया। 



तब डेढ़ लाख थी कीमत- 
एसडीएम ने अपने आदेश में कहा है कि जिस सन् में खजांची ने 13 हजार रुपए में अपनी तकरीबन 1 हेक्टेयर भूमि गिरवी पर रखी थी तब इसकी वास्तविक बाजार मूल्य डेढ़ लाख रुपए था। किसान की माली हालत अच्छी न होने की वजह से उसने अपनी बहन की शादी करवाने के लिए जमीन को गिरवी रखते हुए पावर ऑफ अर्टानी विमला बाई के नाम कर दी थी। आदेश में कहा गया है कि जांच के दौरान तब के बाजार मूल्य के अनुसार खजांची और विमला बाई के बीच कोई पंजीकृत विक्रय नहीं प्रस्तुत किया गया है। इससे यह स्पष्ट है कि नियमानुसार यदि खजांची ने जमीन बेची थी, तो क्रेता-विक्रेता के बीच डेढ़ लाख के पंजीयन संबंधी कोई प्रमाण होना चाहिए, जो कि नहीं पाया गया है। 



कलेक्टर ने किया आदेश निरस्त- 
इसी तरह के एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए कलेक्टर महेशचन्द्र चौधरी ने एसडीएम पाटन द्वारा शून्य की गई एक रजिस्ट्री के आदेश को निरस्त कर दिया है। जानकारी के अनुसार, धनसिंह लोधी ने एसडीएम पाटन के आदेश के विरुद्ध कलेक्टर कोर्ट में अपील की थी। आवेदक ने कहा था कि उसकी शहपुरा तहसील के ग्राम बेलखेड़ा में भूमि है, जिसपर सुनवाई करते हुए एसडीएम कोर्ट ने उसकी जमीन की रजिस्ट्री शून्य घोषित कर दी थी। कलेक्टर ने अपने आदेश में कहा है कि मामले में विभिन्न पहलुओं और गहराई से जांच नहीं करवाई गई, इसलिए रजिस्ट्री शून्य घोषित नहीं हो सकती। इसी के आधार पर कलेक्टर ने एसडीएम के आदेश को निरस्त कर दिया।

Created On :   16 Jan 2018 5:34 PM GMT

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