संसद में सदस्यों के बर्ताव को लेकर चिंतित थे सोमनाथ दा, दैनिक भास्कर के प्रोग्राम के लिए आए थे नागपुर

Late Somnath Da is looking tensed about the behaviour of the MP
संसद में सदस्यों के बर्ताव को लेकर चिंतित थे सोमनाथ दा, दैनिक भास्कर के प्रोग्राम के लिए आए थे नागपुर
संसद में सदस्यों के बर्ताव को लेकर चिंतित थे सोमनाथ दा, दैनिक भास्कर के प्रोग्राम के लिए आए थे नागपुर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष (स्पीकर) सोमनाथ चटर्जी नहीं रहे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह सबसे ज्यादा बार निर्वाचित होने वाले वे लोकसभा सदस्य थे। 2004 में वे सर्व-सम्मति से लोकसभा अध्यक्ष चुने गए थे। 2004 से 2009 तक का कार्यकाल उनका सांसद और स्पीकर के रूप में अंतिम कार्यकाल रहा। इस दौरान उन्होंने मन बना लिया था कि, वे अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। सांसदों के बर्ताव को लेकर भी उन्होंने उस वक्त चिंता व्यक्त की थी। 

समूह संपादक प्रकाश दुबे की पुस्तक का किया था विमोचन
यह बात उन्होंने ‘दैनिक भास्कर’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने नागपुर पहुंचे सोमनाथ दा ने अनौपचारिक चर्चा में कहीं थी। इस कार्यक्रम के लिए वे स्पीकर रहते हुए नागपुर आए थे। सोमनाथ दा ने कहा था कि, यह उनका अंतिम संसदीय कार्यकाल होगा। इसके बाद वे चुनाव नहीं लड़ेंगे। वाकई में इसके बाद उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा। इसी कार्यक्रम में उन्होंने ‘दैनिक भास्कर’ के समूह संपादक प्रकाश दुबे द्वारा लिखित ‘विचार की पत्रकारिता’ पुस्तक का विमोचन किया था। इस दौरान श्री दुबे ने ‘संसद के कामकाज का सीधे प्रसारण का प्रभाव’ विषय पर शोध किया था। शोध के लिए वे उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम, भारत का दौरा कर रहे थे। शोध के दौरान उन्होंने सोमनाथ दा से अनेक मुद्दों पर चर्चा की थी।

तब दादा ने पूछा था कि, आप इस तरह के विषय पर क्यों शोध करना चाहते हैं? चर्चा के दौरान लोस के तत्कालीन अध्यक्ष ने संसदीय कामकाज को लेकर अनेक चिंताएं जाहिर की थीं। वे सांसदों के बर्ताव को लेकर खासे चिंतित थे। शोध पर चर्चा करते समय उन्होंने कहा था कि, संसद में जो चल रहा है और सदस्य जो बर्ताव कर रहे हैं, उससे संसद की गरिमा गिर रही है। जब तक सांसद विषय का अध्ययन करके नहीं बोलेंगे, गिरावट रोकना मुश्किल है। चुनाव में पैसों का महत्व जितना बढ़ेगा, जातिगत असर जितना रहेगा, विचारधारा कमजोर होगी। इस तरह की गिरावट बढ़ती जाएगी। संसद में पांच प्रमुख सदस्यों को उत्कृष्ट माना गया था, जिसमें सोमनाथ चटर्जी भी एक थे। ये उपलब्धि इसलिए भी बड़ी थी कि, वे उस समय प्रतिपक्ष में थे और बड़ी पार्टी से भी नहीं थे, फिर भी पांच महत्वपूर्ण व्यक्तियों में वे चुने गए थे। 
 
 

Created On :   14 Aug 2018 8:49 AM GMT

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