ऐसे करें लक्ष्मी पूजन, ये मुहूर्त और विधि है खास, गुरु-चित्रा का विशेष योग

Laxmi Pujan or lakshmi puja Timing shubh muhurt On the Diwali
ऐसे करें लक्ष्मी पूजन, ये मुहूर्त और विधि है खास, गुरु-चित्रा का विशेष योग
ऐसे करें लक्ष्मी पूजन, ये मुहूर्त और विधि है खास, गुरु-चित्रा का विशेष योग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में बुराई के प्रतीक रावण का वध करने के बाद 14 वर्ष का वनवास पूर्ण करते हुए भगवान श्री राम अयोध्या वापस लौटे थे। इसी दौरान दीप जलाकर, मिठाईयां बांटते हुए फूलों की बरसात के साथ भगवान श्रीराम का स्वागत किया गया था। तभी से भारतवर्ष समेत विश्वभर में दीपावली त्योहार मनाया जाने लगा है। इसी दिन माता लक्ष्मी की भी पूजा अर्चना की जाती है, जिससे घर में मां लक्ष्मी का वास रहे और परिवार धन-संपदा और सुख-शांति से संपन्न रहे। इस साल दीपावली चित्रा नक्षत्र मेें है जो  सभी के लिए शुभ है। 27 साल बाद गुरुवार को चित्रा नक्षत्र में दीवावली मन रही है। अब यह योग चार साल बाद 2021 में आएगा। 

देवी लक्ष्मी को सिद्ध करने दिवाली की रात ही पढ़े जाते हैं ये विशेष मंत्र

दिवाली की रात माता लक्ष्मी के साथ-साथ गणेश जी की भी पूजा होती है। दिवाली के इस पावन पर्व पर लोग घर का कोना-कोना साफ कर माता लक्ष्मी के आगमन की कामना करते हैं। दिवाली की रात माता लक्ष्मी की पूजा कर साल भर तक सुख-समृद्धि और धन प्राप्ति की कामना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि दिवाली पर महालक्ष्मी की पूजा पूरे विधि-विधान से करने पर ही लक्ष्मी की कृपा बनती है। इसका पालन कर आप धन-धान्य और सुख-समृद्धि का भोग कर सकते हैं...

पूजा विधि 

देवी लक्ष्मी-गणेश और विष्णु का हल्दी-चावल और सिंदूर से तिलक करें। इत्र, पुष्प व नैवेद्य  देवी लक्ष्मी को समर्पित उनके लिए एक मिट्टी का दिया अलग से जलाएं और उसे कलश पर रखें। अब देवी लक्ष्मी को कमल अत्यधिक प्रिय है। उन्हें कमल का पुष्प अवश्य चढ़ाएं। धनिया के बीज हल्दी सिक्का नोट सुपारी के अतिरिक्त आपके घर में जो भी गहने हैं वे भी माता को अर्पित करें। 

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श्रीहरि के बगैर अपूर्ण 

स्मरण रहे कि देवी लक्ष्मी की पूजा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती, जब तक श्रीहरि को ना पूजा जाए। लक्ष्मी पूजन के दौरान विष्णु व मां लक्ष्मी की आराधना साथ ही करें। भगवान विष्णु व गणेश को इत्र, पुष्प, मिठाई आदि अर्पित करें और उनके लिए भी दीपक जलाएं।

इनका भी करें पूजन

इसके पश्चात दिवाली पर घर में जलने वाले दीपक भी एक साथ जलाएं। इनके साथ ही पूजा में लगने वाले कम से कम 5 या 7 मिट्टी के खिलौने भी रखें। बही-खाते व कलम भी पूजन स्थान पर रखें, सभी की हल्दी-चावल से पूजा करें और इसके बाद मां लक्ष्मी को अर्पित किया गया प्रसाद उन्हें भी अर्पित करें। देवी सरस्वती ज्ञान की देवी हैं इसलिए दिवाली की रात मां लक्ष्मी के साथ इनकी पूजा भी फलदायी बतायी गई है। उन्हें भी इत्र, पुष्प, मिठाई आदि अर्पित करें और उनके लिए भी दीपक जलाएं। 

मंत्र का जाप 

अब मां लक्ष्मी को गन्ने की जोड़ी, सिंघाड़े, मिठाई, लाई, बताशा के साथ ही विभिन्न प्रकार के फलों को अर्पित करें। अगर आप मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करना चाहते हैं, तो सबसे आसान और बहुत प्रभावी मन्त्र ""श्रीं स्वाहा"" इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके बाद देवी लक्ष्मी की आरती पढ़कर उनके सम्मुख प्रार्थना करें कि हे देवी हम आपकी शरण में हैं। हम पर सदैव ही अपनी कृपा बनाएं रखें व सदा ही धन-धान्य व समृद्धि से संपन्न रखना। इसके बाद मां लक्ष्मी के सम्मुख फुलझड़ी जलाकर दीपोत्सव का प्रारंभ करें। 

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शुभ-लाभ लिखें

पूजन के उपरांत वंदन या सिंदूर को शुद्ध घी में मिलाकर पूजन स्थान से लेकर घर के सभी द्वारों पर शुभ-लाभ, श्री लिखकर स्वास्तिक का चिंह बनाएं। 

तुला का महत्व 

दिवाली का शुभ मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इस समय सूर्य अपने द्वितीय दिशा दक्षिणायन की ओर बढ़ता है और तुला राशि में प्रवेश करता है। तुला राशि को संतुलन या माप से दर्शाते हैं। इसलिए इस दिन बही खातों की पूजा कर उनका उपयोग नहीं करने के लिए कहा जाता है। 

दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 

प्रदोष काल मुहूर्त: लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 19.11  से  20.16 अवधि 1 घंटा 5 मिनट
प्रदोष काल: 17.43 से 20.16
वृषभ काल: 19.11 से 21.06 
अमावस्या तिथि का प्रारंभ: 00.13                 19 अक्टूबर 2017 
अमावस्या तिथि की समाप्ति  00.41 बजे         20 अक्टूबर 2017

इस काल में करें पूजा 

महानिशीत काल में मुहूर्त लक्ष्मी पूजा मुहूर्त 23.40 से 24.31  (बिना स्थिर लग्न) है। कई बार लोग महानिशीत काल को पूजन के लिए उपयुक्त मानते हैं, लेकिन ये तांत्रिक या पंडितों के लिए सही बताया गया है। ऐसे में प्रदोषकाल में मां का पूजन सर्वथा फलदायी सिद्ध होगाा। 

Created On :   18 Oct 2017 3:42 AM GMT

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