लर्निंग डिसेबिलिटी शारीरिक विकलांगता नहीं, छात्रा को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

Learning disability is not physical disability, HC reject petition
लर्निंग डिसेबिलिटी शारीरिक विकलांगता नहीं, छात्रा को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
लर्निंग डिसेबिलिटी शारीरिक विकलांगता नहीं, छात्रा को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पढ़ाई लिखाई में जुड़ी तकलीफ (लर्निंग डिसेबिलिटी) और मेंटल डिसऑर्डर को शारीरिक विकलांगता नहीं माना जा सकता है। बांबे हाईकोर्ट ने भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान बांबे (IIT) की एक छात्रा की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है। छात्रा ने याचिका में दावा किया था कि वह डिसलेक्सिया से पीड़ित जो कि लर्निंग डिसेबिलिटी है। इसलिए यह शारीरिक विकलांगता के दायरे में आती है। जस्टिस एमएस शंकलेचा व जस्टिस एके मेनन की बेंच ने कहा कि डिसलेक्सिया की बीमारी मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है इसे शारीरिक विकलांगता नहीं माना जा सकता है।ऐसे में यदि छात्रा को विकलांग लोगों की श्रेणी में दाखिला दिया जाता तो यह पूरी तरह से अनुचित होता। 

डिसलेक्सिया एक तरह का डिसआर्डर 
बेंच ने कहा कि डिसलेक्सिया एक तरह का डिसआर्डर है। जिससे बहुत से लोग पीड़ित है। बेंच ने कहा कि छात्रा की सुनने व देखने की क्षमता सामान्य है।  छात्रा का शारीरिक व मानसिक मूल्याकन भी  सामान्य पाया गया है। ऐसे में छात्रा शारीरिक रुप से विकलांग लोगों के लिए बनाई गई श्रेणी में प्रवेश पाने के लिए पात्र नहीं है। छात्रा ने प्रवेश के लिए साल 2012 में आवेदन किया था प्रवेश न दिए जाने से नाराज छात्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 

दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच का फैसला 
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया और इस मामले में IIT बांबे को छात्रा को डिग्री देने का निर्देश देने से इंकार कर दिया। गौरतलब है कि IIT ने छात्रा को इसलिए मास्टर आफ डिजाइन पाठ्यक्रम में एडमिशन देने से इंकार कर दिया था। क्योंकि एडमिशन को लेकर किए गए आवेदन में छात्रा ने स्पष्ट नहीं किया था कि वह किस तरह की शारीरीक विकलांगता से ग्रस्त है। IIT बांबे ने लर्निंग डिसेबिलिटी को शारीरीक विकलांगता मानने से इंकार कर दिया था। 

Created On :   20 April 2018 12:23 PM GMT

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