विदेश की नौकरी छोड़ अब स्वदेश में भूकंपरोधी घर बना रहे देसाई दंपति

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 विदेश की नौकरी छोड़ अब स्वदेश में भूकंपरोधी घर बना रहे देसाई दंपति
 विदेश की नौकरी छोड़ अब स्वदेश में भूकंपरोधी घर बना रहे देसाई दंपति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। ग्रामीण इलाकों में निर्माण कार्य की खामियों को दूर कर भूकंपरोधी घर बनाने की दिशा में वर्धा, लातूर व मध्य प्रदेश के जबलपुर के अलावा देश के अन्य हिस्सों में काम करनेवाले राजेंद्र देसाई व उनकी पत्नी रुपल को 41 वें जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। देसाई दंपत्ति के अलावा अन्य तीन लोगों को भी इस पुरस्कार से नवाजा गया है। जिसमें राजस्थान की प्रसन्न भंडारी, उत्तराखंड के धूम सिंह नेगी व विदेशों (अमेरिका व यूरोप) में गांधीवादी मूल्यों का प्रचार करनेवाले क्लेबार्न कार्सन को यह पुरस्कार दिया गया है।

गुरुवार को महानगर के पांच सितारा होटल में आयोजित कार्यक्रम के दौरान देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायुड ने इन सभी लोगों को जमनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित किया। कार्यक्रम के दौरान फाउंडेशन के अध्यक्ष राहुल बजाज ने कहा कि दुनिया को बेहतर बनाने की दिशा में निस्वार्थ भाव से काम करनेवाले को सम्मानित करना हमारे लिए गौरव की बात है। 

विदेश में नौकरी छोड़ वर्धा से की शुरुआत

विदेश में अच्छी नौकरी छोडकर भारत आनेवाले राजेंद्र देसाई ने ‘दैनिक भास्कर’ से बातचीत में कहा कि मैंने पेशे से आर्किटेक्चर पत्नी के साथ वर्धा के ग्रामोपयोगी विज्ञान केंद्र से सामाजिक कार्यों की शुरुआत की थी। हमने लोगों को विज्ञान व तकनीक के जरिए गांवो के विकास का मॉडल लोगों को समझाया। हमने इस बात पर जोर दिया कि तकनीक का इस्तेमाल कर कैसे घरों को भूकंपरोधी बनाया जा सकता है। देसाई दंपति ने वर्धा के बाद लातूर में भी काफी कार्य किया। इसके बाद जबलपुर और गुजरात के कच्छ और उत्तराखंड में इस भूकंपरोधी घर बनाने की दिशा में कार्य किया। अब वे बिहार में कार्य करने की योजना बना रहे हैं। 

राजस्थान में तीन हजार बच्चों का सवारा जीवन

राजस्थान में महिलाओं के विकास व कल्याण के लिए काम करनेवाली प्रसन्न भंडारी अपनी संस्था के माध्यम से तीन हजार निरश्रित बच्चों का जीवन संवार चुकी हैं। इन्होंने 927 अनाथ शिशुओं को अभिभावक उपलब्ध कराए हैं। उन्होंने कहा कि वे पुरस्कार में मिलनेवाली राशि को भी बच्चों, महिलाओं व दिव्यांगों के कल्याण के लिए खर्च करेगी। 

विकास का नहीं पर्यावरण के विनाश का विरोध

पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए जमनालाल बजाज पुरस्कार से नवाजे गए उत्तराखंड में हजारों वृक्षों को बचानेवाले धूम सिंह नेगी ने कहा कि हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसके नाम पर पर्यावरण का विनाश नहीं होना चाहिए। क्योंकि पर्यावरण ही जिंदा रहने का आधार है। जनभागीदारी के जरिए पौधारोपण के कार्यक्रम सफल बनाए जा सकते हैं। 

Created On :   15 Nov 2018 3:30 PM GMT

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