राजकीय सम्मान के साथ खय्याम सुपर्द-ए-खाक,अख्तर, गुलजार समेत पहुंची तमाम हस्तियां

राजकीय सम्मान के साथ खय्याम सुपर्द-ए-खाक,अख्तर, गुलजार समेत पहुंची तमाम हस्तियां

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नेशनल अवॉर्ड विनर म्यूजिक कंपोजर मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी का अंतिम संस्कार मंगलवार शाम को पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया गया। फोर बंग्लोज कर्बिस्तान में उनके पार्थिव शरीर को 21 बंदूकों की सलामी के साथ दफनाया गया और मौलवियों ने आखिरी रस्म अदा की।

खय्याम की बीमार पत्नी और जानी-मानी पाश्र्व गायिका जगजीत कौर भी व्हीलचेयर पर मौजूद थीं और अंतिम संस्कार की रस्मों को निभाते हुए कई बार फूट-फूट कर रोईं।

खय्याम ट्रस्ट के प्रवक्ता प्रीतम शर्मा ने बताया कि खय्याम साहब का जनाजा दोपहर साढ़े तीन बजे जुहू में दक्षिणा पार्क सोसायटी में स्थित उनके घर से निकला, जिसमें मुंबई पुलिस की एस्कार्ट टीम के साथ बड़ी संख्या में उनके दोस्तों, बॉलीवुड हस्तियों और प्रशंसक शामिल हुए।

रजा मुराद, जावेद अख्तर, गुलजार, अशोक पंडित, तबस्सुम, संजय खान, पूनम ढिल्लों, विशाल भारद्वाज, सोनू निगम, सुरेश वाडेकर, तलत अजीज, शब्बीर कुमार, नितिन मुकेश, जतिन पंडित और ललित पंडित, उत्तम सिंह, अलका याग्निक सहित कई बॉलीवुड हस्तियों और अन्य लोगों ने उनके अंतिम दर्शन के लिए उनके घर और कब्रिस्तान पर पहुंचे।

खय्याम के पार्थिव शरीर को जुहू में स्थित उनके आवास पर रखा गया था, जहां लोगों ने उनके आखिरी दर्शन कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। खय्याम को 28 जुलाई को फेफड़ों में संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 92 वर्षीय कलाकार जूहू के सुजॉय अस्पताल में भर्ती थे। उनका निधन सोमवार रात करीब 9:30 बजे कार्डियक अरेस्ट से हुआ।

खय्याम की मौत की खबर सामने आने के बाद से ही उन्हें श्रद्धांजलि देने का सिलसिला शुरू हो गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खय्याम के निधन पर शोक व्यक्त किया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस, भारतरत्न लता मंगेशकर, मेगास्टार अमिताभ बच्चन और अन्य हस्तियों ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

मोहम्मद जहूर खय्याम हाशमी हिंदी फिल्म जगत के एक प्रसिद्ध संगीतकार थे। वह उमराव जान और कभी कभी जैसी फिल्मों में उनकी रचनाओं के लिए जाने जाते थे। उनके कुछ सबसे लोकप्रिय गीतों में बाजार फिल्म के "दिखाई दिए यूं", नूरी के "आजा रे", कभी कभी के "तेरे चहरे से", उमराव जान के "इन आंखो की" है। वह पहली बार 1961 में फ़िल्म शोला और शबनम के लिए संगीत तैयार करने के बाद पॉपुलर हुए थे।

उमराव जान में उनके काम के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने उमराव जान और कभी कभी के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीता। उन्हें 2007 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें 2011 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

Created On :   20 Aug 2019 6:35 PM GMT

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